महराजगंज आरटीओ कार्यालय बना भ्रष्टाचार का अड्डा, बिना घूस के नहीं बनता ड्राइविंग लाइसेंस
फर्जी मेडिकल, अवैध ट्रेनिंग सर्टिफिकेट और दलालों की मिलीभगत से जारी हो रहे हैवी ड्राइविंग लाइसेंस; सामाजिक कार्यकर्ता ने शासन से की उच्चस्तरीय जांच की मांग
महराजगंज, उत्तर प्रदेश।
जनपद महराजगंज स्थित उप संभागीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए एक सामाजिक कार्यकर्ता व स्वतंत्र पत्रकार मनोज कुमार तिवारी ने शासन और सतर्कता विभाग को पत्र प्रेषित कर निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनके अनुसार, कार्यालय में हैवी ड्राइविंग लाइसेंस (एचएमवी) जारी करने की प्रक्रिया पूरी तरह भ्रष्टाचार से ग्रसित है और इसमें फर्जी मेडिकल रिपोर्ट, बिना मान्यता प्राप्त ड्राइविंग स्कूलों से प्राप्त जाली प्रमाण-पत्र और कार्यालय के कर्मचारियों की मिलीभगत शामिल है।
प्रेषित शिकायती पत्र में श्री तिवारी ने दावा किया है कि लाइसेंस प्रक्रिया में डॉक्टरों द्वारा फर्जी मेडिकल फिटनेस रिपोर्ट दी जा रही है, और बिना किसी प्रशिक्षण अथवा मान्यता के ड्राइविंग स्कूल अवैध रूप से प्रमाण पत्र दे रहे हैं। इतना ही नहीं, कार्यालय के भीतर दलालों का एक संगठित नेटवर्क सक्रिय है जो मोटी रकम लेकर लाइसेंस प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है, जबकि ईमानदार आवेदकों की फाइलें बिना सुविधा शुल्क के या तो रिजेक्ट कर दी जाती हैं या अनावश्यक अड़चनों में फंसा दी जाती हैं।
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि हाल ही में Pardafash news 24 × 7 नामक एक स्थानीय मीडिया संस्थान द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन में परिवहन कार्यालय के कुछ बाबुओं को रिश्वत लेते हुए कैमरे में कैद किया गया था। इसके बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। विशेष रूप से एक बाबू “राधेश्याम शर्मा” का नाम सामने आया है, जो दलालों के माध्यम से अवैध वसूली का संचालन करता है।
इस पूरे प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए प्रार्थी ने अपर मुख्य सचिव (गृह एवं सतर्कता), उ०प्र० शासन से मांग की है कि पूरे मामले की उच्चस्तरीय सतर्कता जांच कराई जाए और दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही पत्र की प्रतिलिपि गोरखपुर जोन के सतर्कता अधीक्षक को भी भेजी गई है।
यह मामला न केवल शासन व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खोलता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि आम नागरिकों को किस प्रकार सरकारी दफ्तरों में शोषण का शिकार होना पड़ता है। यदि इस पर शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो आरटीओ कार्यालय जैसे संवेदनशील विभाग की विश्वसनीयता पूरी तरह से समाप्त हो सकती है।
(रिपोर्ट: मनोज कुमार तिवारी, महराजगंज)