ग्राम प्रधान पर वित्तीय अनियमितता के आरोप, प्रशासनिक अधिकार निलंबित

ग्राम प्रधान पर वित्तीय अनियमितता के आरोप, प्रशासनिक अधिकार निलंबित

जिला मजिस्ट्रेट महराजगंज 

जिला मजिस्ट्रेट महराजगंज ने जांच समिति गठित कर सौंपी जांच की जिम्मेदारी

महराजगंज, 18 मार्च 2025 – महराजगंज जनपद के निचलौल विकास खंड अंतर्गत ग्राम पंचायत पकड़ी भारत के प्रधान श्री सुनील कुमार गुप्ता पर वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे हैं। जिला मजिस्ट्रेट अनुनय झा द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में गड़बड़ियां उजागर होने के बाद उनके प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार निलंबित कर दिए गए हैं। इसके साथ ही, मामले की विस्तृत जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है।

शिकायत और प्रारंभिक जांच की शुरुआत

  जिला पंचायत राज अधिकारी ओ श्रेया मिश्रा 

ग्राम पंचायत में वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत 9 सितंबर 2024 को अपर मुख्य सचिव, पंचायती राज विभाग को भेजी गई थी। इस शिकायत के आधार पर मुख्य विकास अधिकारी द्वारा निर्देशित जांच 16 अक्टूबर 2024 को जिला पंचायत राज अधिकारी द्वारा की गई। जांच रिपोर्ट 26 अक्टूबर 2024 को प्रस्तुत की गई, जिसमें ग्राम पंचायत में हुए विकास कार्यों में अनियमितता की पुष्टि हुई।

इसके बाद, 29 अक्टूबर 2024 को प्रधान को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, जिसमें उनसे 9 दिसंबर 2024 तक स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया। ग्राम प्रधान ने दस्तावेजों और साक्ष्यों के साथ जवाब प्रस्तुत किया, लेकिन जांच में पाया गया कि उनके द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण असंतोषजनक है।

वित्तीय अनियमितताओं के प्रमुख बिंदु

शिकायत कर्ता स्वतंत्र पत्रकार मनोज कुमार तिवारी 

1. छठ घाट बेदी निर्माण पर गड़बड़ी

वर्ष 2021-22 में छठ घाट की बेदी निर्माण के लिए ₹1,04,108 का भुगतान किया गया था, लेकिन इसकी कोई ठोस अभिलेखीय पुष्टि नहीं मिली। जांच में पाया गया कि सचिव ग्राम पंचायत द्वारा इस कार्य से संबंधित मापन पुस्तिका और अन्य आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए।

प्रधान का स्पष्टीकरण: प्रधान ने दावे को निराधार बताते हुए कहा कि निर्माण कार्य किया गया था और माप पुस्तिका व फोटोग्राफ्स इसके प्रमाण हैं।

2. पायका भवन मरम्मत कार्य में अनियमितता

वर्ष 2021-22 में पायका भवन की मरम्मत के लिए ₹2,49,000 का भुगतान किया गया। इसमें टाइल्स, खिड़की, दरवाजे व अन्य कार्य शामिल थे। मौके की जांच में पाया गया कि केवल टाइल्स का कार्य हुआ है, जबकि खिड़कियां, दरवाजे और अन्य मरम्मत कार्य नहीं किए गए।

प्रधान का स्पष्टीकरण: प्रधान ने बताया कि पायका भवन पंचायत क्षेत्र के बाहर होने के कारण उपद्रवी तत्वों द्वारा खिड़की-दरवाजे तोड़ दिए गए थे।

3. प्राथमिक विद्यालय में स्टेज निर्माण का स्थानांतरण

प्राथमिक विद्यालय पकड़ी भारत खंड में वर्ष 2022-23 में स्टेज निर्माण के लिए ₹2,32,928 का व्यय किया गया। कार्ययोजना के अनुसार विद्यालय परिसर में स्टेज बनना था, लेकिन यह ग्राम सचिवालय के पास बनवा दिया गया।

प्रधान का स्पष्टीकरण: प्रधान ने इसे तकनीकी त्रुटि बताते हुए कहा कि कार्ययोजना में गलती से स्कूल प्रांगण दर्ज हो गया था।

4. ग्राम सचिवालय मरम्मत में गड़बड़ी

वर्ष 2021-22 में ग्राम सचिवालय की मरम्मत के लिए ₹4,92,561 खर्च किए गए। लेकिन मौके पर छत की ढलाई, बिजली का काम, फाटक और पानी सप्लाई जैसी चीजें नहीं पाई गईं।

प्रधान का स्पष्टीकरण: प्रधान ने बताया कि छत की ढलाई का कार्य किया ही नहीं गया और अन्य सभी कार्य कराए गए थे।

5. हैंडपंप रिबोर कार्यों में भ्रष्टाचार

वर्ष 2021-22 में हैंडपंपों की स्थापना और मरम्मत के नाम पर ₹1,37,920 खर्च किए गए, लेकिन कई स्थानों पर हैंडपंप पाए ही नहीं गए।

प्रधान का स्पष्टीकरण: प्रधान ने बताया कि विवादित स्थानों से हैंडपंप हटाकर अन्यत्र लगा दिए गए थे, लेकिन सभी कार्य किए गए हैं।

प्रशासन की सख्त कार्रवाई

जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर जिला मजिस्ट्रेट ने 1 जनवरी 2025 को आदेश जारी कर ग्राम प्रधान के प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार निलंबित कर दिए। साथ ही, अंतिम जांच पूरी होने तक ग्राम पंचायत का कार्यभार एक तीन सदस्यीय समिति को सौंप दिया गया है।

जांच अधिकारी नियुक्त

इस मामले की विस्तृत जांच के लिए डीसी मनरेगा और सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता संजय प्रताप मल्ल को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। इन अधिकारियों को जल्द से जल्द रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।

ग्राम प्रधान पर लगे आरोपों का राजनीतिक प्रभाव

इस मामले ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है। विपक्षी दलों ने इसे भ्रष्टाचार का जीता-जागता उदाहरण बताया है और प्रशासन से कठोर कार्रवाई की मांग की है। वहीं, ग्राम प्रधान समर्थकों का कहना है कि यह आरोप राजनीतिक षड्यंत्र के तहत लगाए गए हैं।

निष्कर्ष

जांच रिपोर्ट के निष्कर्ष के अनुसार, ग्राम प्रधान पर लगे वित्तीय अनियमितताओं के आरोप गंभीर हैं। प्रारंभिक जांच में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की पुष्टि हुई है। यदि अंतिम जांच में भी प्रधान दोषी पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है और उन्हें प्रधान पद से हटाया जा सकता है।

आगे की कार्रवाई:

  1. जांच समिति 30 दिनों के भीतर अपनी विस्तृत रिपोर्ट सौंपेगी।
  2. दोष सिद्ध होने पर प्रधान के खिलाफ कड़ी प्रशासनिक और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
  3. ग्राम पंचायत के कार्यों का संचालन तीन सदस्यीय समिति द्वारा किया जाएगा।

यह मामला न केवल पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार की गंभीरता को उजागर करता है, बल्कि ग्रामीण विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता की आवश्यकता को भी दर्शाता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अंतिम जांच में क्या निष्कर्ष निकलता है और प्रशासन क्या कदम उठाता है।