सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग में पटल परिवर्तन आदेश हवा में, मलाईदार कुर्सियों पर अब भी जमे हैं बाबू
प्रभागीय वनाधिकारी के आदेश के बावजूद वर्षों से जमे लिपिक नहीं छोड़ रहे कुर्सी, पटल परिवर्तन आदेश को बना दिया मजाक

महराजगंज, 16 जुलाई 2025।
सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग, महराजगंज में प्रभागीय वनाधिकारी सुर्वे निरंजन राजेंद्र द्वारा दिनांक 26 जून 2025 को जारी पटल परिवर्तन आदेश को लिपिक वर्ग ने ठेंगा दिखा दिया है। वर्षों से मलाईदार कुर्सियों पर जमे बाबू अब भी उसी पद पर डटे हैं, जहां से उन्हें हटाया गया था।

उत्तर प्रदेश शासन के स्पष्ट निर्देशों के क्रम में जारी आदेश में 13 कर्मियों का पटल परिवर्तन किया गया था। इनमें वरिष्ठ सहायक, प्रधान सहायक, कनिष्ठ सहायक, सर्वेयर और मानचित्रकार जैसे पदाधिकारी शामिल थे। उन्हें नये कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन हकीकत यह है कि इनमें से कई कर्मचारी आज भी पुराने पटल पर ही कार्य कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, कुछ लिपिक ऐसे हैं जो 7 से 10 वर्षों से एक ही शाखा में तैनात हैं और उसी पटल से लाखों रुपये की अवैध कमाई का जरिया बनाए हुए हैं। आदेश के बावजूद उन्होंने न तो चार्ज छोड़ा, न ही फाइलों का हैंडओवर किया। इससे प्रभागीय कार्यालय में अव्यवस्था का माहौल बना हुआ है।
नाम मात्र की कार्रवाई, अधिकारियों की कार्यशैली पर उठे सवाल
जहां एक ओर प्रभागीय वनाधिकारी ने आदेश में स्पष्ट किया था कि कोई प्रत्यावेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा और यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू माना जाएगा, वहीं दूसरी ओर आदेश की अवहेलना पर किसी भी कर्मचारी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि विभागीय उच्चाधिकारी स्वयं भी इन कर्मचारियों के प्रभाव में हैं या जानबूझकर आंख मूंदे बैठे हैं।
कर्मचारियों का दबदबा, भ्रष्टाचार को मिला संरक्षण
जिन कर्मचारियों के खिलाफ पटल परिवर्तन का आदेश जारी हुआ, वे लंबे समय से विभिन्न शाखाओं में ‘कमाऊ पदों’ पर तैनात हैं। अधिष्ठान, लेखा, कोर्टकेस, भंडारण, मानचित्र व शिविर शाखा जैसे विभागों में इनकी जड़ें गहरी हो चुकी हैं।
प्रभाग में कार्यरत अन्य कर्मी भी दबे स्वर में कहते हैं कि “यहां नियम नहीं, पहचान चलती है।”
अब देखना यह है कि क्या प्रभागीय वनाधिकारी इस आदेश को लागू कराने के लिए सख्त रुख अपनाएंगे, या फिर यह आदेश भी सरकारी फाइलों की तरह धूल खाता रह जाएगा।