बसडिला ग्राम पंचायत में छठ पूजा विवाद ने खोला भ्रष्टाचार का पिटारा, ग्राम प्रधान पर लगे दोहरे खेल के आरोप

बसडिला ग्राम पंचायत में छठ पूजा विवाद ने खोला भ्रष्टाचार का पिटारा, ग्राम प्रधान पर लगे दोहरे खेल के आरोप

महराजगंज जनपद के सिसवा ब्लॉक की ग्राम पंचायत बसडिला में छठ पूजा को लेकर उपजा विवाद अब तूल पकड़ता जा रहा है। ग्राम प्रधान और उसके समर्थकों द्वारा कुछ ग्रामीण परिवारों को छठ पूजा करने से रोकने की बात सामने आने के बाद गांव का माहौल तनावपूर्ण हो गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान ने साफ कहा — “तुमने चंदा नहीं दिया, इसलिए तुम्हारा छठ घाट नहीं बनने दूंगा।”

यह विवाद केवल धार्मिक स्वतंत्रता पर रोक का मामला नहीं है, बल्कि इसमें सरकारी धन के दुरुपयोग की बू भी आ रही है। सिसवा ब्लॉक के बसडिला ग्राम पंचायत में जिस सोता नाले के पास छठ घाट पर पूजा-अर्चना की जाती है, उसी स्थल पर पहले से ही सरकारी धन से निर्माण कार्य कराए जाने के साक्ष्य उपलब्ध हैं। रिकॉर्ड के अनुसार, इस कार्य हेतु 5th State Finance Commission-Development योजना के तहत दो व्यय वाउचर जारी हुए — क्रमांक 5THSFC/2025-26/P/5 और 5THSFC/2025-26/P/6

 

इन दोनों वाउचरों के माध्यम से क्रमशः ₹1,14,349.00 और ₹55,199.00 की राशि 24 जुलाई 2025 को खर्च दिखाई गई है। वाउचर में कार्य का ब्यौरा “बुसडिला में सोता नाला पर सीढ़ी और मिट्टी भराई कार्य व नया निर्माण कार्य” के रूप में दर्ज है। भुगतान विवरण में “पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार” का उल्लेख स्पष्ट रूप से यह दर्शाता है कि यह पूरा कार्य सरकारी धन से कराया गया है।

इसके बावजूद ग्राम प्रधान और उसके सहयोगियों ने दोबारा ग्रामीणों से “चंदा” वसूल किया और अब उन्हीं पैसों के नाम पर यह तुगलकी फरमान जारी किया जा रहा है कि जिन्होंने चंदा नहीं दिया, उन्हें छठ घाट का उपयोग करने नहीं दिया जाएगा। ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी बजट से तैयार घाट पर पुनः चंदा मांगना और फिर पूजा रोकना न सिर्फ गैरकानूनी है बल्कि यह धार्मिक भावनाओं का अपमान भी है।

जब पर्दाफाश न्यूज़ 24×7 ने इस मामले पर ग्राम प्रधान बसडिला  से बातचीत की, तो उन्होंने आरोपों से इंकार किया। उनका कहना था — “मैं किसी को पूजा करने से नहीं रोक रहा हूं। ग्राम सभा के 80 प्रतिशत लोग उन परिवारों से नाराज़ हैं जिन्होंने छठ घाट के निर्माण में कोई सहयोग नहीं किया था। ग्रामीणों ने स्वयं विरोध किया है, इसमें मेरा कोई व्यक्तिगत हस्तक्षेप नहीं है। यदि वे लोग क्षमा मांग लें तो उन्हें कोई रोक नहीं है। यह पूरा विवाद कोटेदार की राजनीति का परिणाम है।”

ग्राम प्रधान के इस बयान से साफ झलकता है कि विवाद अब धार्मिक कम और राजनीतिक अधिक हो चुका है। एक ओर ग्रामीण इसे भ्रष्टाचार और भेदभाव का मामला बता रहे हैं, तो दूसरी ओर प्रधान इसे “ग्रामसभा की सामूहिक नाराज़गी” कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं।

अब देखना यह है कि प्रशासन इस विवाद में कब हस्तक्षेप करता है। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से मांग की है कि न केवल छठ घाट निर्माण कार्य बल्कि पंचायत के अन्य वित्तीय व्यय की भी लेखा परीक्षा (ऑडिट) कराई जाए ताकि भ्रष्टाचार और पक्षपात की हकीकत सामने आ सके।

स्पष्ट है कि बुसडिला ग्राम पंचायत में छठ पूजा का यह विवाद सिर्फ आस्था का प्रश्न नहीं, बल्कि शासन व्यवस्था, भ्रष्टाचार और राजनीति के घालमेल की जीती-जागती मिसाल बन चुका है।

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