बसूली पंचायत में मनरेगा वृक्षारोपण और नाली खुदाई कार्य में फर्जीवाड़ा उजागर

पौधे गायब, नाली पहले से बनी, मजदूरों की झूठी हाजिरी—एनएमएमएस ऐप पर अपलोड फोटो से खुला गड़बड़ी का राज

महराजगंज, उत्तर प्रदेश।
जिला महराजगंज के निचलौल ब्लॉक की ग्राम पंचायत बसूली में मनरेगा योजनांतर्गत संचालित वृक्षारोपण और नाली निर्माण कार्य में बड़े फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। ग्राम पंचायत स्तर से ली गई उपस्थिति की तस्वीरों और स्थान-समय की डिजिटल पुष्टि (Geo-tagged Timestamp) से यह स्पष्ट होता है कि काम का वास्तविक रूप से धरातल पर अस्तित्व ही नहीं है।
पहला मामला – विद्यालय, पोखरा और बंजर भूमि पर वृक्षारोपण कार्य
दिनांक 17 जुलाई 2025 को शाम 5:39 बजे ली गई उपस्थिति की फोटो को शाम 6:22 पर एनएमएमएस ऐप पर अपलोड किया गया।
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तस्वीर में कुछ मजदूर दिखाई दे रहे हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि कहीं भी वृक्षारोपण अथवा पौधों का नामोनिशान नहीं है। ना तो गड्ढे खुदे हैं, ना ही कोई वृक्ष दिख रहे हैं। सवाल उठता है कि जब पौधे लगाए ही नहीं गए, तो उपस्थिति किस काम की ली गई?
दूसरा मामला – सड़क किनारे वृक्षारोपण कार्य
उसी दिन 17 जुलाई को शाम 6:17 बजे खींची गई और 6:23 पर अपलोड की गई दूसरी तस्वीर में भी यही खेल दोहराया गया।
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यहां कुछ लोग सड़क के किनारे खड़े नजर आते हैं, लेकिन वहां भी कोई पौधा या वृक्षारोपण संबंधी कार्य दिखाई नहीं देता। लगता है केवल हाजिरी दिखाने के लिए फोटो खींची गई, और काम का कोई निशान नहीं छोड़ा गया।
तीसरा मामला – नाली खुदाई कार्य
तीसरे कार्य का नाम है “बसूली में बड़ी नहर से दुखी के खेत तक नाली खुदाई कार्य”, जिसकी उपस्थिति की फोटो भी 17 जुलाई की ही शाम 5:39 पर ली गई और 6:24 पर अपलोड की गई।
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यहां भी गिनती के मजदूरों की उपस्थिति है, जिनके हाथ में न तो कोई औजार है और न ही कोई खुदाई का कार्य दिखाई दे रहा है। जिस स्थान की तस्वीर है, वहां पूर्व से बनी नाली दिख रही है। ऐसे में यह आशंका बलवती हो जाती है कि पुराने निर्माण कार्य को ही दोबारा दिखाकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा रहा है।
जांच की ज़रूरत
तीनों कार्यों में ली गई उपस्थिति, GPS लोकेशन और टाइमस्टैम्प एक ही तरह की प्रक्रिया से हुए हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक उलट है। वृक्षारोपण में पौधे नहीं, नाली निर्माण में खुदाई नहीं—यह मनरेगा जैसी योजना की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। खास बात यह है कि इन सभी कार्यों में उपस्थिति दर्ज कराने वाली कर्मी “श्रीमती शिरोमणि देवी” हैं, जो ग्राम पंचायत स्तर की अधिकृत अधिकारी हैं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रतिदिन दर्जनों की संख्या में मजदूरों की फर्जी हाजिरी लगाई जा रही है और लाखों रुपये का गबन किया जा रहा है।
प्रशासन से मांग की जा रही है कि इस पूरे प्रकरण की स्वतंत्र एजेंसी या जिला स्तरीय जांच समिति से जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
यदि ऐसे फर्जीवाड़े पर समय रहते रोक नहीं लगी, तो न केवल सरकार की योजनाएं मजाक बन जाएंगी बल्कि ग्रामीण विकास के सपनों पर भी पानी फिर जाएगा।