आदेशों की अनदेखी में घिरे डीआईओएस महराजगंज, आयुक्त और संयुक्त शिक्षा निदेशक के निर्देशों पर नहीं हुई कार्रवाई

आदेशों की अनदेखी में घिरे डीआईओएस महराजगंज, आयुक्त और संयुक्त शिक्षा निदेशक के निर्देशों पर नहीं हुई कार्रवाई

महराजगंज जिले में शिक्षा विभाग से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) प्रदीप कुमार शर्मा पर उच्चाधिकारियों के आदेशों की अनदेखी करने का आरोप लग रहा है। मामला डीएवी नारंग इंटर कॉलेज, घुघली महराजगंज से जुड़ा है, जहाँ मध्यान्ह भोजन (एमडीएम) योजना में अनियमितताओं और धनराशि दुरुपयोग की शिकायत की गई थी।

शिकायतकर्ता द्वारा 2024 और 2025 में कई बार शासन-प्रशासन को लिखित शिकायतें दी गईं। इन पर संज्ञान लेते हुए आयुक्त गोरखपुर मंडल और संयुक्त शिक्षा निदेशक गोरखपुर ने क्रमशः 22 मई 2025, 23 मई 2025 और 21 अगस्त 2025 को डीआईओएस को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि डी ए वी नारंग इंटर कालेज धुंधली महराजगंज में मध्यान्ह भोजन के अंतर्गत प्रभारी प्रधानाचार्या श्री जोगिंदर प्रसाद द्वारा फर्जी क्षात्र संख्या दर्शाते हुए आहरित की गयी धनराशि की रिकवरी अपने स्तर से कराएं क्योंकि उक्त विद्यालय में प्रवंध तंत्र भंग है ऐसी स्थिति में कार्यवाही करने का अधिकार जिला विद्यालय निरीक्षक में निहित है लेकिन अपने अधिकारों का प्रभाव पुर्ण ढंग से दुरुपयोग एवं भ्रष्टाचार करते हुए उक्त आरोपी शिक्षक पर कार्यवाही के लिए सम्बंधित विद्यालय के प्रधानाचार्या पर अनावश्यक रूप से बार बार पत्राचार कर कार्यवाही का निर्देश दिया जा रहा है जो यह दर्शाता है कि जिला विद्यालय निरीक्षक महराजगंज भ्रष्टाचार में पुर्ण रुप से संलिप्त हैं क्योंकि प्रकरण के सम्बंध में महा निदेशक स्कूल शिक्षा द्वारा भी कार्यवाही हेतु दिनांक 30-09-2024 को कार्यवाही हेतु स्पष्ट निर्देश जिला विद्यालय निरीक्षक को दिया गया था प्रकरण के सम्बंध में प्रदेश की कुछ प्रतिष्ठित जांच अधिष्ठान द्वारा भी प्रकरण में कार्यवाही न किए जाने की जांच रिपोर्ट उच्च अधिकारियों से मांगी गई है

दरअसल, 28 अगस्त 2024 को सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) गोरखपुर द्वारा विद्यालय का निरीक्षण किया गया था। उस समय मौके पर केवल 21 छात्र मध्याह्न भोजन ग्रहण करते पाए गए, जबकि पंजिका में 46 छात्रों की उपस्थिति दर्ज की गई थी। इस स्पष्ट गड़बड़ी के बावजूद, डीआईओएस कार्यालय से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

यह मामला न केवल शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है बल्कि यह भी उजागर करता है कि अधिकारियों द्वारा उच्चाधिकारियों के आदेशों की अनदेखी किस तरह से योजनाओं की साख और जनता के विश्वास को प्रभावित करती है। फिलहाल, जिले में यह मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है और सभी की निगाहें इस पर टिक गई हैं कि आगे कार्रवाई किस स्तर तक पहुँचती है।

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