महराजगंज में ADO ISB रिश्वत लेते कैमरे में कैद, वीडियो वायरल होते ही प्रशासन में मचा हड़कंप

उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले से भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला सामने आया है। जिले के लक्ष्मीपुर ब्लॉक में तैनात ADO ISB बृजानंद यादव का रिश्वत लेते हुए वीडियो वायरल हो गया है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि वह 20 हजार रुपये नकद ले रहे हैं। यह रकम कथित तौर पर ग्राम पंचायत के कोटा चयन प्रक्रिया से जुड़ी बताई जा रही है। जैसे ही वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया, इलाके में हड़कंप मच गया और ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया।
सूत्रों के अनुसार, यह वीडियो सिसवनिया विशुन ग्राम सभा से जुड़ा है। ग्रामीणों का आरोप है कि कोटा आवंटन की प्रक्रिया में धांधली हो रही थी और इसी क्रम में अधिकारी ने रिश्वत की मांग की। वीडियो में बृजानंद यादव को खुलेआम रकम लेते हुए देखा जा सकता है। इस घटना ने न केवल स्थानीय जनता को झकझोर दिया है, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था की पोल भी खोल दी है।
ग्रामीणों ने इस घटना को महज एक रिश्वतखोरी का मामला न मानते हुए, इसे ग्राम पंचायत स्तर पर व्याप्त व्यापक भ्रष्टाचार का उदाहरण बताया। उनका कहना है कि अगर प्रशासन ऐसे अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई नहीं करता है, तो पात्र व गरीब लाभार्थियों को कोटा जैसी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ेगा। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि इस प्रकार की धांधली से जनता का विश्वास शासन-प्रशासन पर से उठ रहा है।
वीडियो वायरल होने के बाद जिला प्रशासन भी हरकत में आ गया है। हालांकि, अब तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि प्रशासन ने मामले की प्राथमिक जांच शुरू करने की तैयारी कर ली है। संभावना है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद आरोपी अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब तक ऐसे मामलों में कठोर दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी, तब तक इस तरह की घटनाएं थमने वाली नहीं हैं। ग्रामीणों ने साफ कहा है कि अगर इस मामले में लीपापोती की गई तो वे बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे।
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या ग्राम पंचायत स्तर पर चल रही योजनाएं वास्तव में पारदर्शिता के साथ लागू हो रही हैं या फिर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं। अब देखना होगा कि जिला प्रशासन इस मामले में कितनी तेजी और कितनी पारदर्शिता के साथ कार्रवाई करता है।
👉 यह मामला न केवल महराजगंज बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक चेतावनी है कि ग्राम पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए सख्त कदम उठाए बिना जनता का विश्वास बहाल करना कठिन होगा।