सवालों के घेरे में डीपीआरओ महाराजगंज का फैसला — सस्पेंड सचिव पवन कुमार गुप्ता की अंतरिम बहाली ने बढ़ाई जांच की मांग

सवालों के घेरे में डीपीआरओ महाराजगंज का फैसला — सस्पेंड सचिव पवन कुमार गुप्ता की अंतरिम बहाली ने बढ़ाई जांच की मांग

महराजगंज, 21 अक्टूबर 2025।
जनपद महराजगंज में पंचायती राज विभाग से जुड़ा एक बड़ा प्रशासनिक विवाद सामने आया है। सिसवा ब्लॉक की ग्राम पंचायत लक्ष्मीपुर एकडंगा के सचिव पवन कुमार गुप्ता, जिन्हें कुछ दिन पूर्व गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में निलंबित किया गया था, को अचानक डीपीआरओ (जिला पंचायत राज अधिकारी) द्वारा अंतरिम बहाली दे दी गई। इस निर्णय ने प्रशासनिक हलकों से लेकर ग्रामीणों तक में कई सवाल खड़े कर दिए हैं — आखिर किसके दबाव में इतना त्वरित निर्णय लिया गया?

जानकारी के अनुसार, सचिव पवन कुमार गुप्ता पर FFC Performance Grant राशि में भारी गड़बड़ी और GP Enterprises नामक एक संदिग्ध फर्म को लगभग ₹1 करोड़ रुपये का भुगतान करने के आरोप हैं। ग्रामीणों के अनुसार, यह फर्म केवल कागजों पर मौजूद है, जबकि ज़मीनी स्तर पर न तो कोई दुकान, गोदाम और न ही कोई मशीनरी या स्टाफ दिखाई देता है।

ग्राम प्रधान अमेरिका प्रसाद और सचिव पवन कुमार गुप्ता पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने डीएम और सीडीओ महराजगंज को एक विस्तृत शिकायत पत्र भेजा है। ग्रामीणों — रवि, अभिषेक पटेल, चंदन पटेल, दुर्गेश और अश्वनी — ने आरोप लगाया है कि पंचायत के अभिलेखों में GP Enterprises से हर तरह की खरीद दिखाई गई है — जैसे इंटरलॉकिंग ईंट, बेंच, सीमेंट, चूना, पाइप, दवाइयाँ, हैंडपंप रिबोर, ट्रैक्टर-जेसबी किराया, यहाँ तक कि स्टेशनरी और प्रिंटर काट्रिज तक।

ग्रामीणों ने अपने ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया कि अगर फर्म द्वारा सचमुच इतना बड़ा काम किया गया होता, तो उसका व्यापारिक ढांचा स्पष्ट रूप से क्षेत्र में दिखाई देता।

शिकायतकर्ताओं की प्रमुख माँगें:

1. GP Enterprises का GST, PAN, पंजीकरण, बैंक KYC, और लाइसेंस की जाँच।

2. पंचायत के भुगतानों का बैंक UTR और E-way/E-invoice से मिलान।

3. FFC और 5th Commission शीर्षकों में खर्च की हेड मिक्सिंग की जाँच।

4. दोषी पाए जाने पर भुगतान रोकने, रिकवरी, और दोषियों की ब्लैकलिस्टिंग।

 

ग्रामीणों ने यह भी सवाल उठाया है कि जब सचिव को स्वयं वित्तीय गड़बड़ी के मामले में निलंबित किया गया था (पत्रांक 3123, दिनांक 10/10/2025), तो केवल एक सप्ताह के भीतर उन्हें डीपीआरओ द्वारा अंतरिम बहाली कैसे दे दी गई? क्या यह किसी राजनीतिक संरक्षण या उच्च प्रशासनिक दबाव का परिणाम है?

विशेषज्ञों की राय में, पंचायती राज अधिनियम में बिना विभागीय जांच पूरी हुए अंतरिम बहाली देना सामान्य प्रक्रिया नहीं है, जब तक कि प्रकरण में ठोस साक्ष्य या प्रक्रिया त्रुटि न साबित हो।

अब ग्रामीणों ने जिलाधिकारी महराजगंज से उच्च स्तरीय जांच की माँग की है और दोषी अधिकारियों एवं संबंधित फर्म के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की अपील की है।

> “हम चाहते हैं कि GP Enterprises की हकीकत सामने आए और पंचायत निधि का हर एक रुपया जनता के हित में उपयोग हो, न कि कागजी फर्मों में समा जाए।” — अभिषेक पटेल, ग्रामवासी लक्ष्मीपुर एकडंगा

 

इस पूरे प्रकरण ने न केवल डीपीआरओ महराजगंज की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि यह भी उजागर किया है कि पंचायतों में आर्थिक अनियमितताओं पर निगरानी तंत्र कितना कमजोर है। प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही की परीक्षा अब सीधे जिलाधिकारी के दरवाजे पर है।

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