नगर पंचायत घुघली में भ्रष्टाचार की परतें खुलीं: मुख्यमंत्री संदर्भ में गलत आख्या लगाकर भुगतान रोकने का आरोप, जांच के आदेश

महराजगंज जनपद की नगर पंचायत घुघली में पूर्व में कराए गए विकास कार्यों के भुगतान को लेकर गंभीर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए हैं। इस प्रकरण में ठेकेदार पास इंटरप्राइजेज के स्वामी श्री आलोक द्वारा की गई शिकायत के बाद अब शासन स्तर पर जांच के आदेश जारी किए गए हैं।

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प्राप्त दस्तावेज़ों के अनुसार, प्रार्थी द्वारा मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र (संदर्भ संख्या सीआरसीएफ00011259636 दिनांक 06.12.2024) पर प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जिलाधिकारी महराजगंज को विधिक परीक्षणोपरांत कार्यवाही के निर्देश दिए गए थे। किंतु नगर पंचायत घुघली के अधिशासी अधिकारी एवं लिपिक द्वारा गलत व भ्रामक आख्या लगाकर प्रकरण को निस्तारित कर दिया गया। शिकायतकर्ता का आरोप है कि उसने कार्यादेश की छायाप्रति सहित समस्त अभिलेख स्पीड पोस्ट (EU80520368IN) से भेजे थे, जो कार्यालय में रिसीव भी हुए, फिर भी अधिशासी अधिकारी ने यह दिखाया कि पत्र उपलब्ध नहीं कराया गया है।

इसके पश्चात पुनः दिनांक 08.04.2025 को शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री को दूसरा पत्र (संदर्भ संख्या सीआरसीएफ00011326821 दिनांक 14.04.2025) भेजा। लेकिन इस बार भी नगर पंचायत अधिकारियों द्वारा तथ्य छिपाकर भ्रामक रिपोर्ट लगाई गई, जिसमें कई पत्रावली “कार्यालय में उपलब्ध नहीं” दिखा दी गईं। शिकायतकर्ता का कहना है कि यह जानबूझकर किया गया ताकि संबंधित बाबू और अधिकारियों को बचाया जा सके और फर्जी भुगतान को वैध ठहराया जा सके।

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इस मामले में शासन ने गंभीरता दिखाते हुए नगर विकास अनुभाग-1, लखनऊ से पत्र संख्या 1609/9-1-2025-1921513 दिनांक 24.04.2025 के माध्यम से जांच के आदेश दिए हैं। जिलाधिकारी महराजगंज ने 09.05.2025 को श्री नंद प्रकाश मौर्य, अतिरिक्त मजिस्ट्रेट महराजगंज को जांच अधिकारी नामित किया है। अपर जिलाधिकारी (वि./रा.) डॉ. पंकज कुमार वर्मा द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि “जांच अधिकारी समस्त अभिलेखों और साक्ष्यों सहित अपनी जांच आख्या शीघ्र प्रस्तुत करें।”

यह मामला न केवल नगर पंचायत घुघली के कार्यप्रणाली पर प्रश्न खड़े करता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि मुख्यमंत्री संदर्भ जैसी संवेदनशील प्रक्रिया में भी स्थानीय स्तर पर पारदर्शिता का अभाव है। अब देखना यह होगा कि जांच अधिकारी की रिपोर्ट में सच्चाई किस हद तक सामने आती है और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है।

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