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नगर पंचायत घुघली में डस्टबिन घोटाले की फिर खुली परतें, आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन ने दर्ज किए बयान — कई बड़े नामों पर गिर सकती है गाज
महराजगंज।
नगर पंचायत घुघली में हुए बहुचर्चित “डस्टबिन घोटाले” की जांच एक बार फिर तेज हो गई है। आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (E.O.W.) की टीम गुरुवार को नगर पंचायत घुघली के कार्यालय पहुंची, जहां आरोपितों के बयान दर्ज किए गए और महत्वपूर्ण अभिलेखों को साक्ष्य के रूप में संकलित किया गया। टीम ने पूर्व नगर अध्यक्ष, तत्कालीन अधिशासी अधिकारी, नगर पंचायत के बाबू, तथा संबंधित ठेकेदारों से भी पूछताछ की।

यह वही मामला है जिसमें कुछ समय पूर्व वरिष्ठ कोषाधिकारी, महराजगंज ने जांच आख्या जिलाधिकारी को सौंपी थी। उस रिपोर्ट में नगर पंचायत द्वारा डस्टबिन क्रय प्रक्रिया में गंभीर वित्तीय अनियमितताओं की पुष्टि की गई थी, परंतु “उच्च स्तर पर संलिप्तता” के कारण कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
शिकायतकर्ता श्री अजीत सिंह निवासी मेदनीपुर (नरायन टोला) ने मामले को मुख्यमंत्री कार्यालय एवं शासन स्तर तक पहुंचाया, जिसके बाद यह जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन को सौंपी गई।
क्या है पूरा मामला?
साल 2018-19 में नगर पंचायत घुघली ने लगभग 23 लाख 52 हजार रुपए की लागत से 200 डस्टबिन क्रय किए थे। जांच रिपोर्ट के अनुसार यह कार्य 14वें वित्त आयोग के धन से कराया गया। परंतु कोषाधिकारी की रिपोर्ट में पाया गया कि—
निविदा प्रक्रिया ई-टेंडर प्रणाली से नहीं कराई गई, जबकि शासनादेश के अनुसार 10 लाख से अधिक लागत के कार्यों में ई-टेंडर अनिवार्य है।
निविदा सूचना 26-27 अगस्त को प्रकाशित कर मात्र 01 सितंबर को टेंडर खोले गए — यानी नियमानुसार 21 दिन का समय नहीं दिया गया।
तीनों फर्में — सौरभ एग्रो कैमिकल्स, सिंह एग्रो केमिकल्स और नारायण एग्रो केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स — तकनीकी रूप से अनर्ह पाई गईं।
धरोहर धनराशि (Earnest Money) अधिशासी अधिकारी के पक्ष में बंधक नहीं थी और एक फर्म ने दूसरी फर्म के एफ.डी.आर. का इस्तेमाल किया — जो मिलीभगत का स्पष्ट प्रमाण है।
बाजार मूल्य 3000 से 3400 रुपये प्रति डस्टबिन था, परंतु नगर पंचायत ने ₹14,160 प्रति डस्टबिन के दर से आदेश निर्गत किया।
भौतिक सत्यापन में खुली पोल
जांच में सामने आया कि कई स्थानों पर डस्टबिन मिले ही नहीं। कुछ जगहों पर नागरिकों ने बताया कि “कभी लगाए ही नहीं गए” या “4-5 साल पहले लगाए थे, अब नहीं हैं।” कुल सत्यापित स्थानों में लगभग 40 प्रतिशत डस्टबिन गायब पाए गए।
आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन की सक्रियता बढ़ी
टीम ने सभी संबंधितों के बयान दर्ज किए और अभिलेखों की फोटोकॉपी जब्त की। सूत्रों के अनुसार, टीम रिपोर्ट तैयार कर शासन को अनुशंसा भेजेगी, जिसके बाद पूर्व अध्यक्ष, तत्कालीन ईओ और संबंधित अधिकारियों पर धोखाधड़ी, वित्तीय गड़बड़ी और पद का दुरुपयोग जैसी धाराओं में कार्रवाई संभव है।
इस जांच की प्रगति से नगर पंचायत घुघली के प्रशासनिक गलियारों में हड़कंप मचा हुआ है। सूत्रों का कहना है कि अगर यह मामला अभियोजन स्तर तक गया तो कई बड़े अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ सकती है।
(पर्दाफाश न्यूज़ 24×7 की विशेष रिपोर्ट)