इंटरलॉकिंग, सीसी रोड और वृक्षारोपण कार्य में केवल फोटो खिंचवाकर अपलोड, न कार्यस्थल पर मजदूर, न उपकरण, केवल हेराफेरी का खेल

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महराजगंज, मिठौरा।
मनरेगा के तहत ग्राम पंचायत सेमरा (ब्लॉक मिठौरा) में चल रहे विभिन्न निर्माण और वृक्षारोपण कार्यों में भारी अनियमितताएं सामने आई हैं। एनएमएमएस ऐप पर अपलोड की गई उपस्थिति की तस्वीरों से यह साफ़ प्रतीत होता है कि यहां कार्य के नाम पर केवल खानापूर्ति और फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। तीन अलग-अलग कार्यों में जो फोटो अपलोड किए गए हैं, उनमें न कहीं कार्य होता दिख रहा है और न ही कोई निर्माण सामग्री या उपकरण मौजूद हैं।
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पहला मामला:
कार्य: “सेमरा में पानी टंकी से गौरीशंकर के खेत तक इंटरलॉकिंग निर्माण कार्य”
वर्क कोड: 3152004038/RC/958486255823652107
तिथि: 10 जुलाई 2025
समय: प्रातः 9:18 बजे
तस्वीर में कुछ ग्रामीण एक पुराने इंटरलॉकिंग स्थल पर खड़े दिख रहे हैं। न उनके पास कोई औजार है, न कार्य की कोई गतिविधि। केवल उपस्थिति दर्शाने के लिए फोटो ली गई है और इसे मस्टररोल में अपलोड कर दिया गया है। यह सीधे तौर पर धोखाधड़ी और धन के दुरुपयोग का मामला बनता है।
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दूसरा मामला:
कार्य: “संजय कोटेदार के घर से नसरुद्दीन के घर तक सीसी रोड निर्माण कार्य”
वर्क कोड: 3152004038/RC/958486255823558670
तिथि: 10 जुलाई 2025
समय: शाम 6:12 बजे
यहां भी फोटो में केवल कुछ लोग खड़े हुए दिखाई दे रहे हैं। उनके हाथ में कोई निर्माण सामग्री या औजार नहीं है, और न ही स्थल पर किसी प्रकार का निर्माण होता दिख रहा है। यह तस्वीर भी केवल उपस्थिति दर्ज कराने के उद्देश्य से खींची गई प्रतीत होती है। इससे यह अंदेशा और गहराता है कि पूरा कार्य सिर्फ कागजों पर हो रहा है।
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तीसरा मामला:
कार्य: “चारागाह की खाली ज़मीन पर वृक्षारोपण कार्य”
वर्क कोड: 3152004038/DP/958486255824254860
तिथि: 10 जुलाई 2025
समय: शाम 5:27 बजे
इस कार्य में वृक्षारोपण की तस्वीर अपलोड की गई है, परंतु स्थल पर कोई पौधा रोपित नहीं दिख रहा है। तस्वीर में कुछ ग्रामीण और बकरी चराने वाले लोग केवल खड़े होकर फोटो खिंचवा रहे हैं। न तो कहीं गड्ढे खुदे हैं और न ही पौधों की कोई उपस्थिति है। यह तस्वीर भी केवल दिखावे के लिए ली गई लगती है।
जिम्मेदार कौन?
उपरोक्त तीनों मामलों में एक ही व्यक्ति – शोभा देवी, जो ग्राम पंचायत स्तर की कर्मचारी बताई जा रही हैं – द्वारा उपस्थिति दर्ज की गई है। सवाल यह उठता है कि जब कार्यस्थल पर कार्य नहीं हो रहा है, तो फिर ये उपस्थिति और तस्वीरें कैसे अपलोड हो रही हैं? क्या यह उच्चस्तरीय मिलीभगत का हिस्सा है?
मांग उठी जांच की:
स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इन मामलों की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यह न सिर्फ सरकारी धन का दुरुपयोग है बल्कि गरीब मजदूरों के हक का भी अपमान है। यदि इन मामलों की निष्पक्ष जांच की जाए तो सेमरा पंचायत में बड़े पैमाने पर घोटाला उजागर हो सकता है।
मनरेगा जैसी योजनाएं ग्रामीणों को रोजगार और आधारभूत सुविधाएं देने के उद्देश्य से चलाई जाती हैं, लेकिन सेमरा पंचायत में ये योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती नजर आ रही हैं। यदि शासन और प्रशासन ने समय रहते हस्तक्षेप नहीं किया, तो यह मामला आने वाले समय में एक बड़े घोटाले का रूप ले सकता है। स्थानीय प्रशासन से अपील है कि तत्काल जांच कर दोषियों पर सख्त कार्यवाही की जाए।
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रिपोर्टर: मिठौरा संवाददाता
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