तेंदुए के हमले से चार घायल, ग्रामीणों ने पीट-पीटकर मार डाला, वन्यजीव अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज वन विभाग की कार्रवाई पर उठे सवाल, फॉरेस्ट गार्ड पर हत्या का आरोप लेकिन पुलिस ने दर्ज नहीं किया मामला

तेंदुए के हमले से चार घायल, ग्रामीणों ने पीट-पीटकर मार डाला, वन्यजीव अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज

गोली लगें पैर में विना आपरेशन किए ही कर दिया पलस्तर 

वन विभाग की कार्रवाई पर उठे सवाल, फॉरेस्ट गार्ड पर हत्या का आरोप लेकिन पुलिस ने दर्ज नहीं किया मामला

घायल फौजदार सिसोदिया हास्पिटल गोरखपुर 

महराजगंज।

जनपद के कोल्हुई थाना क्षेत्र के मझौली गांव में शनिवार को तेंदुए के अचानक हमले से गांव में अफरा-तफरी मच गई। इस हमले में चार ग्रामीण घायल हो गए। घटना के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने तेंदुए को घेरकर पीट-पीटकर मार डाला। सूचना पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और तेंदुए के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि घटना के बाद दर्जनों ग्रामीणों के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस घटना ने इलाके में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। साथ ही, वन विभाग ने लोगों को सतर्क रहने और जंगली जानवरों से सावधान रहने की सलाह दी है।

गांव में तेंदुए के हमले से मचा हड़कंप

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ग्रामीणों के मुताबिक, तेंदुआ झाड़ियों में छिपा हुआ था और अचानक गांव में प्रवेश कर गया। उसने चार लोगों पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया। घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। घटना से नाराज ग्रामीणों ने तेंदुए को घेर लिया और उसे लाठी-डंडों से पीट-पीटकर मार डाला।

वन विभाग के डीएफओ निरंजन सुर्वे ने बताया कि तेंदुए के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है और मामले की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों का यह कदम वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

वन विभाग की कार्रवाई पर सवाल

 

इस घटना के बाद ग्रामीणों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, लेकिन प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग द्वारा उनकी सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए। वहीं, दूसरी ओर पकड़ी रेंज में वन विभाग के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगे हैं।

27-28 दिसंबर की रात पकड़ी रेंज के रेंजर, फॉरेस्ट गार्ड और एक प्राइवेट ड्राइवर पर फौजदार नामक व्यक्ति को गोली मारने का आरोप है। ग्रामीणों का कहना है कि इस घटना को लेकर अब तक पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है। पुलिस और वन विभाग के बीच “मैनेज” का खेल चलने की बात भी सामने आ रही है।

ग्रामीणों की दुविधा

ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने अपनी और अपने परिवार की जान बचाने के लिए तेंदुए को मार गिराया। उन्हें डर था कि तेंदुआ और भी लोगों पर हमला कर सकता था। लेकिन अब वे मुकदमों के डर से परेशान हैं। वहीं, वन विभाग की ओर से कहा जा रहा है कि कानून के तहत कार्रवाई करना उनकी जिम्मेदारी है।

ब्यूरोक्रेसी बनाम आम आदमी

फौजदार के पैर में गोली लगने से टूटी हड्डी 

इस घटना ने ब्यूरोक्रेसी और आम आदमी के बीच अंतर को उजागर कर दिया है। जहां एक ओर ग्रामीणों को अपने प्राणों की रक्षा के बावजूद मुकदमों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर फॉरेस्ट गार्ड पर हत्या का आरोप होने के बावजूद पुलिस और वन विभाग ने चुप्पी साध रखी है।

यह मामला न केवल वन्यजीव संरक्षण कानून की सीमाओं को दर्शाता है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा करता है कि प्रशासनिक व्यवस्था आम नागरिकों के प्रति कितनी संवेदनशील है। ग्रामीणों ने प्रशासन से निष्पक्ष जांच और न्याय की मांग की है।