बड़ी खबर: अरबों रुपये के टोल घोटाले का पर्दाफाश, NHAI ने दिए सख्त निर्देश
UP STF की कार्रवाई से हड़कंप, देशभर के टोल प्लाजा पर जांच तेज

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश विशेष कार्य बल (UP STF) ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के टोल प्लाजाओं पर अरबों रुपये के घोटाले का पर्दाफाश करते हुए एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया है। इस कार्रवाई ने देशभर में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को सतर्क कर दिया है। यूपी एसटीएफ की इस जांच ने न केवल टोल वसूली प्रणाली की खामियों को उजागर किया है, बल्कि इसमें बड़े अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई है।
कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?
यूपी एसटीएफ के चीफ अमिताभ यश के नेतृत्व में यह कार्रवाई की गई। एसटीएफ की लखनऊ इकाई ने इस घोटाले का खुलासा करते हुए बताया कि देशभर के 42 टोल प्लाजा पर यह रैकेट सक्रिय था। इनमें से अकेले उत्तर प्रदेश के 42 टोल प्लाजा से 120 करोड़ रुपये के घोटाले की पुष्टि हुई है।
दो दिन पहले, एसटीएफ ने मिर्जापुर के लालगंज स्थित अतरैला टोल प्लाजा पर छापा मारा। इस दौरान चार कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया, जो सॉफ्टवेयर हैक करके घोटाले को अंजाम दे रहे थे। टोलकर्मी 100 रुपये वसूलते थे, लेकिन केवल 90 रुपये बैंक के खाते में जमा किए जाते थे। बाकी 10 रुपये कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच बांट लिए जाते थे।
सॉफ्टवेयर हैकिंग के जरिए घोटाला
टोल प्लाजा पर घोटाले के लिए एक खास सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा था। इस सॉफ्टवेयर के जरिए टैक्स वसूली में हेरफेर की जाती थी। जो वाहन बिना टोल चुकाए निकलते थे, उनकी फर्जी रसीद तैयार की जाती थी। यहां तक कि सरकारी वाहनों को भी इस घोटाले का शिकार बनाया गया।
उदाहरण के तौर पर, एसटीएफ की एक सरकारी गाड़ी की फर्जी रसीद बनाकर उससे 220 रुपये वसूले गए। यही नहीं, अतरैला टोल प्लाजा से रोजाना 50,000 रुपये की अतिरिक्त वसूली की जा रही थी।
NHAI के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
इस घोटाले में टोल प्लाजा के कर्मचारियों के साथ-साथ NHAI के बड़े अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। माना जा रहा है कि इन अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इतने बड़े स्तर पर घोटाला संभव नहीं था।
सूत्रों के मुताबिक, इस तरह के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल राजस्थान, असम और अन्य राज्यों के टोल प्लाजा पर भी किया जा रहा था।
NHAI ने दिए सख्त निर्देश
घोटाले के खुलासे के बाद NHAI हरकत में आ गया है। आज, NHAI के सीजीएम अब्दुल बासित ने एक पत्र जारी कर सभी क्षेत्रीय अधिकारियों (RO) और परियोजना निदेशकों (PD) को सख्त निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सॉफ्टवेयर के माध्यम से हो रही राजस्व की क्षति को तत्काल रोका जाए।

पत्र में यह भी निर्देश दिए गए हैं कि सभी टोल प्लाजा पर निगरानी बढ़ाई जाए और सॉफ्टवेयर की कार्यप्रणाली की गहन जांच की जाए।
घोटाले की व्यापकता और असर
विशेषज्ञों का मानना है कि यह घोटाला सिर्फ एक राज्य तक सीमित नहीं है। देशभर में हजारों करोड़ रुपये की टैक्स चोरी हो रही है। इससे न केवल सरकार को बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि आम जनता के साथ धोखा भी हो रहा है।
NHAI की साख पर भी इस घोटाले का गहरा असर पड़ा है। आम जनता पहले से ही टोल प्लाजा पर अतिरिक्त शुल्क वसूलने को लेकर असंतुष्ट रहती है। ऐसे में इस तरह के घोटाले सरकार और प्रशासन की सख्ती पर सवाल खड़े करते हैं।
आगे की कार्रवाई
UP STF और संबंधित एजेंसियां इस मामले में शामिल सभी आरोपियों की पहचान कर रही हैं। गिरफ्तार कर्मचारियों से पूछताछ जारी है, और इस घोटाले से जुड़े अन्य टोल प्लाजा की भी जांच की जा रही है।
NHAI ने भी अपनी आंतरिक जांच शुरू कर दी है। सरकार ने संकेत दिए हैं कि दोषी पाए गए अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जनता को सतर्क रहने की जरूरत
इस घोटाले के बाद, विशेषज्ञों ने जनता को सतर्क रहने की सलाह दी है। टोल चुकाने के बाद रसीद को चेक करना और गड़बड़ी होने पर तुरंत शिकायत दर्ज कराना बेहद जरूरी है।
निष्कर्ष
यह घोटाला न केवल प्रशासन की कार्यप्रणाली की खामियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किस तरह से तकनीक का दुरुपयोग करके आम जनता को ठगा जा रहा है। इस घटना ने सरकार और NHAI को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाने की आवश्यकता का एहसास कराया है। अब देखना होगा कि इस घोटाले पर लगाम लगाने के लिए सरकार क्या कदम उठाती है।