पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल का दर्जा: अयूब खान के बाद पहले फाइव स्टार जनरल, भारत-विरोधी तेवर और धार्मिक रूझान ने बढ़ाई चिंता
आर्मी चीफ से प्रमोट होकर बने फील्ड मार्शल, सोशल मीडिया और वेस्टर्न कल्चर के आलोचक, कश्मीर को बताया ‘जुगुलर वेन’, भारत के खिलाफ जंग की चेतावनी भी दी
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को देश की कैबिनेट ने फील्ड मार्शल का दर्जा देने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इसके साथ ही मुनीर पाकिस्तान के सैन्य इतिहास में दूसरे फील्ड मार्शल बन गए हैं। उनसे पहले यह पद सिर्फ जनरल अयूब खान को मिला था, जिन्होंने बाद में देश की सत्ता भी अपने हाथ में ले ली थी।
फील्ड मार्शल का दर्जा पाकिस्तान सेना का सर्वोच्च रैंक है और इसे पाँच सितारा जनरल की मान्यता प्राप्त होती है। आमतौर पर यह रैंक युद्ध में असाधारण योगदान या रणनीतिक नेतृत्व के लिए दिया जाता है।
मुनीर का विवादित सफर: ISI से डिमोशन तक और फिर शीर्ष तक
जनरल मुनीर का सैन्य करियर कई उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। एक समय वह पाकिस्तान की दो सबसे बड़ी खुफिया एजेंसियों—ISI और मिलिट्री इंटेलिजेंस—के प्रमुख रह चुके हैं। हालांकि, जब वह ISI प्रमुख थे, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ उनका टकराव हुआ। खबरों के अनुसार, मुनीर ने इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी के कथित भ्रष्टाचार से जुड़ी कुछ जानकारियां साझा की थीं। इसके बाद इमरान ने तत्कालीन आर्मी चीफ जनरल बाजवा से उन्हें हटवाने की सिफारिश की, और मुनीर को ISI से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
बाद में उन्हें जनवरी 2021 से नवंबर 2022 तक क्वार्टरमास्टर जनरल बनाया गया, जो रसद और आपूर्ति से संबंधित पद होता है। इसे आमतौर पर एक डिमोशन माना गया।
राजनीतिक समीकरणों से वापसी और सेना की कमान
हालात तब बदले जब अप्रैल 2022 में इमरान खान को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए प्रधानमंत्री पद से हटा दिया गया और शहबाज शरीफ सत्ता में आए। शहबाज शरीफ ने मुनीर को सेना प्रमुख बनाने का निर्णय लिया। 24 नवंबर 2022 को राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को उनका नाम भेजा गया, और 29 नवंबर को उन्हें जनरल बाजवा की जगह सेना प्रमुख नियुक्त कर दिया गया।
धार्मिक विचारधारा और कट्टरपंथी बयान
जनरल मुनीर की खास पहचान उनके धार्मिक झुकाव और इस्लामिक राष्ट्रवाद से जुड़ी विचारधारा है। वे सार्वजनिक मंचों पर अक्सर कुरान और इस्लामिक धर्मग्रंथों का हवाला देते हैं। जनवरी 2025 में एक भाषण में उन्होंने कहा था, “अगर हमें वेस्टर्न कल्चर ही अपनाना है, तो फिर हमने हिंदू कल्चर से आज़ादी क्यों पाई थी?”
उन्होंने पाकिस्तान की तुलना पश्चिमी देशों से करने को गलत ठहराते हुए इकबाल की पंक्तियां भी उद्धृत कीं—
“अपनी मिल्लत पर कियास अकवाम-ए-मगरिब से न कर, खास है तरकीब में कौम-ए-रसूल-ए-हाशमी।”
यानि “पश्चिमी देशों से तुलना मत करो, क्योंकि इस कौम की बनावट खास है।”
भारत के खिलाफ सख्त रुख, कश्मीर पर आक्रामकता
जनरल मुनीर ने भारत के खिलाफ शुरू से ही तीखे तेवर दिखाए हैं। उन्होंने बार-बार कश्मीर को पाकिस्तान की “जुगुलर वेन” बताया है। 16 अप्रैल 2025 को इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “कश्मीर था, है और रहेगा पाकिस्तान का हिस्सा।”
उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ दो रियासतें कलमे की बुनियाद पर बनीं— पहली मदीना और दूसरी पाकिस्तान। उनका मानना है कि पाकिस्तान का वजूद इस्लामिक पहचान के कारण है, और भारत से उसका कोई मेल नहीं।
5 फरवरी 2025 को उन्होंने कहा, “बेशक कश्मीर एक दिन आज़ाद होगा और पाकिस्तान का हिस्सा बनेगा।”
सेना के साथ इस्लामी राष्ट्रवाद का मिश्रण खतरनाक?
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि मुनीर का इस्लामी कट्टरता और सैन्य ताकत का मेल न केवल पाकिस्तान के अंदरूनी हालात के लिए, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए खतरा बन सकता है। पहले भी कई पाक आर्मी चीफ धार्मिक प्रवृत्ति के रहे हैं, लेकिन उन्होंने आमतौर पर एक सेक्युलर चेहरा बनाए रखा।
मुनीर, इस मामले में अपवाद हैं। वे खुलकर इस्लामी शासन व्यवस्था की बात करते हैं और पश्चिमी सभ्यता को खुलेआम कोसते हैं। सोशल मीडिया पर वे युवा पीढ़ी के असर को भी नुकसानदेह मानते हैं।
क्या पाकिस्तान में फिर से सैन्य वर्चस्व की वापसी?
जनरल मुनीर को फील्ड मार्शल बनाए जाने का फैसला ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान गंभीर राजनीतिक, आर्थिक और आंतरिक सुरक्षा संकटों से गुजर रहा है। उनके इस प्रमोशन को लेकर विपक्षी दलों और विश्लेषकों का मानना है कि इससे सेना का राजनीतिक हस्तक्षेप और बढ़ेगा।
पाकिस्तान में अतीत में जब भी कोई जनरल फील्ड मार्शल बना है, उसने राजनीति में हस्तक्षेप किया है। अयूब खान इसका उदाहरण हैं, जिन्होंने सत्ता हथिया ली थी। अब सवाल उठ रहा है कि क्या जनरल मुनीर भी उसी रास्ते पर हैं?
फील्ड मार्शल आसिम मुनीर का उभार पाकिस्तान में सैन्य शक्ति के नए युग की शुरुआत हो सकता है। भारत-विरोधी बयान, धार्मिक रूझान और कठोर नीतियों के साथ उनका नेतृत्व पाकिस्तान को किस दिशा में ले जाएगा, यह आने वाले समय में साफ होगा। लेकिन एक बात तय है— यह फैसला सिर्फ पाकिस्तान के लिए नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक निर्णायक मोड़ बन सकता है।