जनपद भर में यूरिया के लिए मचा हाहाकार, समितियों पर किसानों की लंबी कतारें

जनपद भर में यूरिया के लिए मचा हाहाकार, समितियों पर किसानों की लंबी कतारें

प्रति बोरी 266 रुपये की यूरिया पाने को किसान लगा रहे चार-चार दिन तक चक्कर, दिहाड़ी गंवाकर भी नहीं मिल रहा खाद, कई जगहों पर हुई झड़प

 

 

महराजगंज।
जिलेभर में खरीफ की फसलों के लिए जरूरी यूरिया खाद की भारी किल्लत से किसानों में हाहाकार मचा है। आलम यह है कि सरकारी दर 266 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से मिलने वाली यूरिया के लिए किसान रात-दिन समितियों के चक्कर काट रहे हैं। कई जगहों पर किसानों की भीड़ पर नियंत्रण के लिए पुलिस बुलानी पड़ी, तो कहीं समिति सचिवों और किसानों के बीच तीखी झड़प और हाथापाई तक की नौबत आ गई।

शनिवार को निचलौल तहसील के गड़ौरा समिति पर तो हालात और भी बेकाबू हो गए। मात्र 400 बोरी यूरिया के लिए हजार से अधिक किसान रात दो बजे से ही लाइन में खड़े रहे। सुबह होते-होते भीड़ बेकाबू हो गई। पुलिस को बुलाकर लाइन व्यवस्थित कर खाद का वितरण कराया गया। लेकिन सीमित स्टॉक के चलते अधिकांश किसान खाली हाथ लौट गए।

गड़ौरा समिति से सुकरहर, मैरी, बोदना, निपानिया, बकुलडीहा, करदह, कड़ज़ा जैसे दर्जनों गांवों के किसान यूरिया लेने आते हैं। समिति के सचिव बिक्की यादव ने बताया कि मांग बहुत अधिक है, लेकिन आपूर्ति बेहद कम। अगली खेप की मांग भेज दी गई है।

केवल गड़ौरा ही नहीं, बल्कि मिठौरा, घुघुली, फरेंदा, नौतनवा, बृजमनगंज और सिसवा की समितियों में भी यही हाल है। किसान सुबह से शाम तक कतार में खड़े रह जाते हैं, लेकिन खाद नहीं मिलती।

किसानों का कहना है कि उन्हें 266 रुपये की यूरिया बोरी के लिए दो से तीन दिन तक दिहाड़ी छोड़कर भागदौड़ करनी पड़ रही है। औसतन एक किसान की रोज़ाना मजदूरी 300 रुपये है, यानी दो दिन की मेहनत का 600 रुपये का नुकसान सिर्फ एक बोरी यूरिया पाने में हो रहा है। इससे एक बोरी की वास्तविक लागत करीब 866 रुपये तक पहुंच रही है।

कई किसानों ने बताया कि समितियों में खाद न होने के बावजूद झूठा आश्वासन देकर लाइन में खड़ा किया जा रहा है। कुछ स्थानों पर कथित रूप से बिचौलियों के ज़रिए खाद बेचे जाने की शिकायतें भी सामने आई हैं।

किसानों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि “डबल इंजन की सरकार” किसानों को राहत देने की बात करती है, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे उलट है। प्रशासन दावा कर रहा है कि पर्याप्त यूरिया उपलब्ध है, जबकि जमीनी स्तर पर किसान दर-दर भटक रहे हैं।

जिले में यूरिया आपूर्ति और वितरण प्रणाली पूरी तरह चरमरा गई है। आवश्यकता है कि जिला प्रशासन सख्त कदम उठाकर समितियों पर खाद की पारदर्शी उपलब्धता सुनिश्चित करे। साथ ही बिचौलियों और कालाबाजारी पर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि अन्नदाता को उसकी मेहनत का हक समय पर मिल सके और देश का खाद्य सुरक्षा तंत्र मज़बूत रह सके।