झूलनीपुर बॉर्डर पर गोल्ड तस्करी की गुत्थी: असली या नकली? – एसएसबी की सतर्कता से दो संदिग्ध गिरफ्तार, लेकिन थाने पहुंचते ही सोना बना रोल गोल्ड”

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झूलनीपुर बॉर्डर पर गोल्ड तस्करी की गुत्थी: असली या नकली? – एसएसबी की सतर्कता से दो संदिग्ध गिरफ्तार, लेकिन थाने पहुंचते ही सोना बना रोल गोल्ड”

महराजगंज। भारत-नेपाल सीमा पर तस्करी की कोशिश को नाकाम करते हुए सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के जवानों ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। मिली सूचना के आधार पर एसएसबी की संयुक्त टीम ने झूलनीपुर बॉर्डर के समीप कनमिसवा गांव के पास चेकिंग के दौरान एक बाइक सवार दो संदिग्ध व्यक्तियों को रोककर उनकी तलाशी ली। तलाशी के दौरान उनके बैग से सोने जैसी धातु और कुछ फर्जी दस्तावेज बरामद हुए, जिससे सीमा पर हड़कंप मच गया।

सूत्रों की मानें तो मुखबिर से मिली पक्की सूचना पर एसएसबी की टीम लंबे समय से इन संदिग्धों की निगरानी कर रही थी। सोमवार सुबह जब दोनों युवक नेपाल से भारतीय सीमा में घुसे, तो टीम ने फौरन कार्रवाई करते हुए उन्हें पकड़ लिया। पूछताछ में पता चला कि एक तस्कर महराजगंज जनपद का निवासी है जबकि दूसरा गोंडा जनपद से ताल्लुक रखता है।

जांच में आया मोड़ – जब ‘गोल्ड’ बना ‘रोल गोल्ड’

हालांकि एसएसबी की इस कार्रवाई की शुरुआत में इसे बड़ी तस्करी की सफलता माना गया, लेकिन जब बरामद धातु की जांच की गई और उसे स्थानीय थाना निचलौल ले जाया गया, तो पूरा मामला एक नया मोड़ लेता दिखा। प्रारंभिक परीक्षण में वह धातु शुद्ध सोना न होकर ‘रोल गोल्ड’ जैसी प्रतीत हुई। इससे अफसरों के साथ-साथ आमजन भी हैरान रह गए।

लोगों में इस बात को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया कि क्या वाकई यह रोल गोल्ड था या कोई बड़ी साजिश को ‘क्लोज केस’ दिखाने की कोशिश? स्थानीय बाजारों और चाय की दुकानों पर दिनभर इस मुद्दे पर चर्चा होती रही।

कस्टम विभाग ने झाड़ा पल्ला

जब इस विषय पर कस्टम विभाग के इंस्पेक्टर से सवाल किया गया तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि “कस्टम को अब तक इस मामले में किसी भी प्रकार का गोल्ड या रोल गोल्ड नहीं सौंपा गया है। न ही इस संबंध में कोई आधिकारिक सूचना मिली है।” यह बयान और भी संदेह उत्पन्न करता है कि कहीं न कहीं कुछ तो छिपाया जा रहा है या फिर मामला अभी स्पष्ट नहीं है।

पूछताछ जारी, खुल सकते हैं बड़े राज

फिलहाल दोनों गिरफ्तार तस्करों से सीमा पर तैनात सुरक्षा एजेंसियां गहन पूछताछ कर रही हैं। उनके मोबाइल, दस्तावेज और नेपाल संपर्कों की भी जांच की जा रही है। आशंका जताई जा रही है कि यह तस्करी का एक बड़ा नेटवर्क हो सकता है जो नेपाल सीमा के जरिए सक्रिय है।

 

एसएसबी की सतर्कता से जहां एक संभावित बड़ी तस्करी को रोका गया, वहीं गोल्ड की जगह रोल गोल्ड मिलने से पूरे मामले पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं। अब निगाहें जांच एजेंसियों पर टिकी हैं कि वे आगे इस मामले में क्या निष्कर्ष निकालती हैं – क्या यह केवल एक भ्रम था या किसी बड़ी साजिश की परतें धीरे-धीरे खुल रही हैं?

रिपोर्ट: मनोज तिवारी, महराजगंज
(स्थानीय संवाददाता – भारत-नेपाल सीमा)