महाराजगंज का “अमर सेक्रेटरी” मनोज प्रजापति: 20 साल से निचलौल ब्लॉक पर कब्जा, राजनीतिक संरक्षण में चल रहा करोड़ों का भ्रष्टाचार खेल!
सेवा नियमों की खुलेआम धज्जियां, फर्जी पता, भूमि खरीद, मलाईदार पदों पर कब्जा… जिला प्रशासन मौन क्यों?
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महराजगंज जनपद का निचलौल ब्लॉक इन दिनों भ्रष्टाचार और राजनीतिक संरक्षण की एक चौंकाने वाली कहानी का केंद्र बना हुआ है। ग्राम पंचायत सचिव मनोज प्रजापति का नाम इस पूरे खेल में सबसे ऊपर है। बताया जा रहा है कि मनोज प्रजापति पिछले 20 वर्षों से निचलौल ब्लॉक में जमे हुए हैं, मानो यह ब्लॉक उनकी निजी जागीर हो।
नियमों के मुताबिक ग्राम विकास अधिकारी का ट्रांसफर हर 3 साल में होना चाहिए, लेकिन मनोज प्रजापति पर ये नियम लागू नहीं होते। पिछले दो दशकों में उनका केवल दो बार ट्रांसफर हुआ, वो भी कुल 18 महीनों के लिए, जिसके बाद वह दोबारा निचलौल में ही लौट आए। सवाल उठता है – क्या यह सिर्फ संयोग है या फिर ऊंचे राजनीतिक रसूख का नतीजा?
ब्लॉक प्रमुख /विधायक का ‘सुपर प्रोटेक्शन’!
स्थानीय सूत्रों का दावा है कि निचलौल ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि अमरीश यादव की राजनीतिक छत्रछाया मनोज प्रजापति पर इतनी मजबूत है कि जिला स्तर के अधिकारी भी इनके आगे नतमस्तक रहते हैं। विकास कार्यों की फाइलों से लेकर योजनाओं की निविदाओं तक, हर जगह मनोज प्रजापति का बोलबाला है।
इतना ही नहीं, क्षेत्र पंचायत के कार्यों का प्रभारी पद भी वर्षों से इन्हीं के कब्जे में है, जबकि ब्लॉक में कई एडीओ स्तर के अधिकारी मौजूद हैं। इस मनमाने फैसले से यह साफ है कि पूरा सिस्टम ‘मैनेजमेंट मोड’ में काम कर रहा है, जहां नियमों की जगह ‘सिफारिश’ और ‘सेटिंग’ का बोलबाला है।
फर्जी पता, होम ब्लॉक में जमींदारी और बड़े घोटालों के आरोप
मनोज प्रजापति का स्थायी निवास निचलौल ब्लॉक के बढ़या भोथियाही ग्राम सभा में है। नियम है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी अपने गृह क्षेत्र में लंबे समय तक तैनात नहीं रह सकता, लेकिन यहां मामला उल्टा है। न केवल तैनाती बरकरार है, बल्कि ग्राम पंचायतों में बड़े पैमाने पर जमीन खरीदकर उन्होंने अपनी ‘स्थायी सत्ता’ बना ली है।
अधिकारियों की आंख में धूल झोंकने के लिए अपनी सर्विस बुक में गोरखपुर का पता दर्ज कराया, जबकि उनकी वोटर लिस्ट आज भी बढ़या भोथियाही में मौजूद है। बढ़या भोथियाही के ही पते पर पैकौली खुर्द में बड़े पैमाने पर अपनी पत्नी, पिता तथा भाई मुरलीधर के पत्नी के नाम कई करोड़ रुपए का खेत खरीद किया है यह साफतौर पर फर्जीवाड़े और सेवा नियमों का उल्लंघन है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि ब्लॉक में होने वाले विकास कार्यों की निविदाएं, योजनाओं की धनराशि और क्षेत्र पंचायत के फंड का सबसे बड़ा हिस्सा कमीशनखोरी में गायब हो जाता है, और इस पूरे खेल का केंद्र मनोज प्रजापति हैं।
अफसरशाही की चुप्पी, संरक्षण का खुला खेल
जनपद के अधिकारी मनोज प्रजापति के मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। सूत्र बताते हैं कि जब भी इस सेक्रेटरी के ट्रांसफर की बात उठती है, ऊपर से ‘फोन कॉल’ आने लगते हैं और फाइलें वापस बंद हो जाती हैं।
इस पूरे मामले ने प्रशासनिक ईमानदारी पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। आखिर कैसे एक ग्राम पंचायत सचिव 20 साल से एक ही ब्लॉक में डटा रह सकता है? क्या जिला प्रशासन और शासन के नियम सिर्फ आम कर्मचारियों के लिए हैं, रसूखदारों के लिए नहीं?
जनता की मांग – उच्चस्तरीय जांच
निचलौल और आसपास के कई गांवों के लोग अब मुख्यमंत्री और अपर मुख्य सचिव, पंचायती राज विभाग से उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर इस ‘बाहुबली सेक्रेटरी’ पर कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले समय में विकास कार्यों में पारदर्शिता की उम्मीद खत्म हो जाएगी।