महराजगंज के मिठौरा ब्लॉक में मनरेगा घोटाला उजागर कागजों पर सैकड़ों मजदूरों की हाजिरी, हकीकत में गिने-चुने लोग मिले कार्यरत

महराजगंज के मिठौरा ब्लॉक में मनरेगा घोटाला उजागर
कागजों पर सैकड़ों मजदूरों की हाजिरी, हकीकत में गिने-चुने लोग मिले कार्यरत

जनपद महराजगंज के मिठौरा ब्लॉक में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई है। 13 दिसंबर 2024 को एक ही दिन में मजदूरों की संख्या और मस्टर रोल में हुए भारी हेरफेर ने प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

फर्जी हाजिरी और बदलते आंकड़े

13 दिसंबर 2024 को मिठौरा ब्लॉक में 64 गांवों के लिए 674 मस्टर रोल जारी किए गए, जिनमें 5739 मजदूरों की हाजिरी दर्ज की गई। लेकिन साम 6:02 बजे, जब अटेंडेंस साइट का निरीक्षण किया गया, तो यह आंकड़ा 40 गांवों में 397 मस्टर रोल के तहत 3993 मजदूरों तक सीमित पाया गया।

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि दिन के 2:24 बजे, यह संख्या अचानक बदल गई। उस समय सिर्फ 14 गांवों में 110 मस्टर रोल पर 970 मजदूरों की उपस्थिति दर्ज की गई। वहीं, शाम 7:42 बजे, मस्टर रोल की संख्या फिर बढ़कर 64 गांवों में 674 हो गई और मजदूरों की गिनती 5739 पर पहुंच गई।

जमीनी हकीकत: कागजी और वास्तविक आंकड़ों में अंतर

मीडिया चैनल पर्दाफाश 24×7 के पत्रकारों ने मिठौरा ब्लॉक के कुछ गांवों का दौरा किया और जमीनी सच्चाई को उजागर किया। ग्राम सभा रेहाव में, जहां कागजों पर 127 मजदूरों की हाजिरी दर्ज थी, वहां केवल 19 मजदूर ही कार्यरत पाए गए। इसी प्रकार, मधुबनी टीकर और अन्य गांवों में भी अधिकांश मजदूर अनुपस्थित पाए गए।

ग्राम सभा रेहाव 13-12-2024 को लगें मजदूर

इस गड़बड़ी ने स्पष्ट कर दिया कि कागजों में फर्जी आंकड़े दर्ज कर सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा रहा है। यह गड़बड़ी सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि सुनियोजित भ्रष्टाचार का संकेत देती है।

मनरेगा: रोजगार योजना या भ्रष्टाचार का अड्डा?

मनरेगा का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाना और विकास कार्यों को गति देना है। लेकिन मिठौरा ब्लॉक का यह मामला इस योजना के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार का खुलासा करता है।

मस्टर रोल में हेरफेर: मजदूरों के नाम पर फर्जी हाजिरी लगाई जा रही है।

कागजी कार्यवाही: कागजों में दिखाए गए आंकड़े और जमीन पर वास्तविकता में भारी अंतर है।

धन का दुरुपयोग: असली मजदूरों को उनकी मजदूरी नहीं मिल रही, जबकि फर्जी मजदूरों के नाम पर पैसे निकाले जा रहे हैं।

प्रशासन की चुप्पी और लापरवाही

इस पूरे मामले पर प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। स्थानीय अधिकारियों और निगरानी समितियों की जिम्मेदारी है कि वे कार्यों की निगरानी करें और गड़बड़ियों को रोकें। लेकिन इस मामले में उनकी चुप्पी कई सवाल खड़े करती है।

यह पहली बार नहीं है जब महराजगंज जिले में मनरेगा के तहत घोटाले की बात सामने आई है। पूर्व में भी मनरेगा में हुए घोटालों की जांच लोकायुक्त और विजिलेंस टीम द्वारा की गई थी। लेकिन इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों और ग्राम प्रधानों में कोई भय नहीं दिखाई देता।

क्या होनी चाहिए कार्रवाई?

मनरेगा के तहत हो रहे भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए प्रशासन को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।

1. फील्ड निरीक्षण: सभी गांवों में कार्यरत मजदूरों की वास्तविक स्थिति का फिजिकल सत्यापन किया जाए।

2. डिजिटल रिकॉर्ड की जांच: मस्टर रोल और अटेंडेंस साइट पर दर्ज आंकड़ों का विस्तृत सत्यापन हो।

3. जवाबदेही तय हो: ब्लॉक स्तर के अधिकारियों, ग्राम प्रधानों और रोजगार सेवकों से जवाब मांगा जाए।

4. कानूनी कार्रवाई: दोषी पाए जाने पर सख्त कानूनी कदम उठाए जाएं और भ्रष्टाचार से निकाली गई राशि की वसूली की जाए।

5. स्वतंत्र जांच समिति: मामले की निष्पक्ष जांच के लिए स्वतंत्र समिति का गठन हो।

 

ग्रामीणों का आक्रोश

इस मामले के खुलासे के बाद ग्रामीणों में आक्रोश है। मजदूरों ने आरोप लगाया कि उनका नाम तो मस्टर रोल में दर्ज कर लिया जाता है, लेकिन उन्हें न तो काम दिया जाता है और न ही मजदूरी।

ग्राम सभा रेहाव के एक मजदूर ने बताया, “हम रोज सुबह काम की उम्मीद में जाते हैं, लेकिन हाजिरी में हमारा नाम तक नहीं होता। जबकि कागजों में दिखाया जाता है कि हम काम कर रहे हैं।”

भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार जरूरी

मनरेगा जैसी योजनाएं ग्रामीण विकास और रोजगार का आधार हैं। लेकिन मिठौरा ब्लॉक का यह मामला दर्शाता है कि भ्रष्टाचार के चलते इस योजना का असली उद्देश्य विफल हो रहा है।

प्रशासन को चाहिए कि वह इस मामले की गंभीरता को समझे और त्वरित कार्रवाई करे। दोषियों के खिलाफ कड़ी सजा सुनिश्चित की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की गड़बड़ियों पर रोक लगाई जा सके।

निष्कर्ष

महराजगंज के मिठौरा ब्लॉक में उजागर हुआ यह मामला सिर्फ एक ब्लॉक तक सीमित नहीं है। यह पूरे प्रशासनिक ढांचे और निगरानी तंत्र की खामियों को उजागर करता है। यदि समय रहते इस पर कार्रवाई नहीं की गई, तो मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना पर लोगों का भरोसा टूट सकता है।

जनता की अपेक्षा है कि प्रशासन इस मामले में सख्त कदम उठाए और दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाए। ऐसे भ्रष्टाचार पर नकेल कसकर ही ग्रामीण विकास और मजदूरों के हितों की रक्षा की जा सकती है।