भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा विकास: निर्माण कार्यों में कमीशनखोरी चरम पर

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा विकास: निर्माण कार्यों में कमीशनखोरी चरम पर

प्राथमिक विद्यालय डिघवां

महराजगंज में पुलिया निर्माण में मानकों की उड़ रही धज्जियां, विधायक के करीबी पर आरोप

सेम ईंट से निर्माण कार्य

महराजगंज: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त शासन का दावा कर रही है, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग नजर आ रही है। प्रदेश में विकास कार्यों में कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार इस कदर बढ़ गया है कि गुणवत्ता की अनदेखी आम बात हो गई है। निर्माण कार्यों में मनमानी, ठेकेदारों की मनमर्जी और अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं।

सिल्ट बालू का प्रयोग 

जनपद महराजगंज के सिसवा विधानसभा क्षेत्र के मिठौरा ब्लॉक के ग्राम सभा गणेशपुर में डीघवां टोला के पास बनाई जा रही 4 मीटर की पुलिया इसकी ताजा मिसाल है। यह पुलिया घटिया निर्माण सामग्री के कारण विवादों में घिर गई है। स्थानीय लोग आरोप लगा रहे हैं कि इसमें फाउंडेशन में मानकों का बिल्कुल भी पालन नहीं किया गया है। थर्ड क्वालिटी की ईंट और बालू का उपयोग किया जा रहा है, जिससे यह पुलिया कुछ ही महीनों में धराशायी हो सकती है।

निर्माण कार्य में जमकर अनियमितता, गुणवत्ता से समझौता

सेम ईंट 

मौके पर मौजूद लोगों ने पुलिया निर्माण में की जा रही लापरवाही को उजागर किया। जब निर्माण कार्य की निगरानी कर रहे व्यक्ति से सवाल किया गया तो उसने स्वीकार किया कि घटिया ईंट और सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। पूछे जाने पर उसने बताया कि निर्माण कार्य का जिम्मा अखिलेश तिवारी नामक ठेकेदार के पास है, जो स्थानीय विधायक का करीबी बताया जाता है।

कमीशन के खेल में मानक ताक पर

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस पुलिया के निर्माण में ठेकेदार और अधिकारियों के बीच मिलीभगत है। इसमें निर्माण लागत का बड़ा हिस्सा कमीशन के रूप में अधिकारियों और राजनेताओं की जेब में जा रहा है, जिसके चलते कार्य की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जा रहा।

स्थानीय लोगों में आक्रोश, कार्रवाई की उठ रही मांग

ग्राम सभा गणेशपुर के ग्रामीणों ने इस घटिया निर्माण की शिकायत करने की बात कही है। लोगों का आरोप है कि जब कोई इस तरह के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाता है तो उसे दबाने की कोशिश की जाती है। सरकारी तंत्र में बैठे भ्रष्ट अधिकारी ठेकेदारों से साठगांठ कर विकास कार्यों में लूट मचा रहे हैं।

प्रशासन की चुप्पी पर सवाल, क्या होगी कार्रवाई?

अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन इस भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई सख्त कदम उठाएगा, या फिर यह पुलिया भी अन्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी निर्माण परियोजनाओं की तरह समय से पहले जर्जर होकर ढह जाएगी?

ग्रामीणों की मांग है कि सरकार इस निर्माण कार्य की निष्पक्ष जांच कराए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे। लेकिन जब ठेकेदार को सत्ता पक्ष के विधायक का समर्थन प्राप्त हो, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस पर क्या रुख अपनाता है। क्या सरकार इस मामले में कोई सख्त कदम उठाएगी, या फिर भ्रष्टाचारियों के सामने विकास यूं ही घुटने टेकता रहेगा?