“बिना नोटिस के थानाध्यक्ष ने दिलाया भूमि पर कब्जा, पीड़ित ने लगाए गंभीर आरोप”

“न्यायालय में लंबित मामले में पुलिस का एकपक्षीय हस्तक्षेप, राजस्व संहिता के उल्लंघन का आरोप, पीड़ित ने एसपी को भेजा शिकायती पत्र”
महराजगंज/निचलौल। जिले के निचलौल थाना क्षेत्र के ग्राम सभा कोहड़वल में एक विवादित भूमि पर बिना किसी विधिक नोटिस के पुलिस द्वारा एक पक्ष को जबरन कब्जा दिलाए जाने का मामला सामने आया है। इस मामले में थानाध्यक्ष निचलौल पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उन्होंने न्यायालय में लंबित भूमि विवाद के बावजूद एकपक्षीय कार्यवाही कर कानून और राजस्व संहिता का उल्लंघन किया है।
जानकारी के अनुसार, ग्राम कोहड़वल निवासी पंकज पांडेय पुत्र सुरेन्द्र पांडेय ने आरोप लगाया है कि उनके पुस्तैनी जमीन पर न्यायालय में मुकदमा विचाराधीन है। भूमि बंटवारे से जुड़ा मामला सिविल जज (सीनियर डिवीजन), महराजगंज के न्यायालय में लंबित है, जबकि उक्त भूमि के फाटबंदी से जुड़ा मामला पूर्व में उपजिलाधिकारी निचलौल के समक्ष चल रहा था, जिसे खारिज कर दिया गया और अब वह मामला कमिश्नर, गोरखपुर के न्यायालय में अपील के रूप में लंबित है।
पंकज पांडेय का कहना है कि इस संवेदनशील मामले में निचलौल पुलिस ने बिना किसी पूर्व सूचना या नोटिस के उनके विरोधी पक्ष को कब्जा दिला दिया। उन्होंने बताया कि थानाध्यक्ष अखिलेश कुमार वर्मा के नेतृत्व में राजस्व व पुलिस टीम मौके पर पहुंची और खेत की जुताई करवाकर जबरन कब्जा दिलवा दिया गया, जबकि उन्हें या अन्य पक्षकारों को किसी भी प्रकार की कोई विधिक सूचना या नोटिस नहीं दी गई।
पीड़ित ने बताया कि उन्होंने इस मामले को लेकर पुलिस अधीक्षक महराजगंज को जान-माल की सुरक्षा हेतु शिकायती पत्र भी प्रेषित किया था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
जब इस बाबत थानाध्यक्ष निचलौल अखिलेश कुमार वर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उक्त भूमि से जुड़ा मामला उपजिलाधिकारी द्वारा पहले ही निस्तारित कर दिया गया था। उनका कहना है कि पंकज, धीरेन्द्र व अखिलेश (अन्य पक्षकार) को फोन के माध्यम से सूचित किया गया था, लेकिन वे जानबूझकर कार्रवाई से बचने के लिए उपस्थित नहीं हुए। इसलिए पुलिस व राजस्व टीम ने उपजिलाधिकारी के आदेशानुसार कार्यवाही की।
हालांकि स्थानीय ग्रामीणों व कानूनी जानकारों का कहना है कि जब मामला उच्च न्यायालय स्तर पर अपील में लंबित हो तो निचली प्रशासनिक इकाइयों द्वारा किसी भी प्रकार की कब्जा दिलाने की कार्यवाही विवादित मानी जाती है और यह न्याय प्रक्रिया में हस्तक्षेप है।
इस पूरे प्रकरण ने जिले में प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह होगा कि पीड़ित द्वारा किए गए शिकायत के बाद उच्च अधिकारी इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं और क्या संबंधित अधिकारियों की भूमिका की निष्पक्ष जांच हो पाएगी।