“बिजली नहीं जाती इस गांवों में, फिर भी हर महीने आ रहा बिल”

“बिजली नहीं जाती इस गांवों में, फिर भी हर महीने आ रहा बिल”

ग्राम सभा भोथहा में सात वर्षों से नहीं आई बिजली, खंभे-तार लगे लेकिन ट्रांसफार्मर नहीं चालू; विभाग ने थमाया बिल, ग्रामीणों में भारी आक्रोश

 

निचलौल (महराजगंज)।
जहां एक ओर सरकार ‘हर घर बिजली’ और ‘सौभाग्य योजना’ के अंतर्गत गांव-गांव तक बिजली पहुंचाने के दावे कर रही है, वहीं महराजगंज जनपद की निचलौल तहसील अंतर्गत ग्राम सभा भोथहा, शिकारपुर , सोहागी बरवां आदि की सच्चाई इन दावों की हवा निकाल रही है।

इस गांव में साल 2017 में बिजली के खंभे और तार तो लगा दिए गए, लेकिन लगभग तीन -चार महिने बाद ही बिजली आपूर्ति बंद हो गई तबसे अब तक ट्रांसफार्मर चालू नहीं किया गया और न ही बिजली आपूर्ति शुरू हुई। ग्रामीण आज भी अंधेरे में जीवन जीने को मजबूर हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि हर महीने मोबाइल पर बिजली बिल भेजा जा रहा है।

बिल जमा न करने पर बिजली विभाग के कर्मचारी लगातार दबाव बना रहे हैं, जबकि गांव वालों का कहना है कि उन्होंने आज तक बिजली का एक बल्ब तक नहीं जलाया।

7 वर्षों से सिर्फ सांसद और विधायक वादे ही किए , लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ

भोथहा गांव के दर्जनों ग्रामीणों ने बताया कि लगभग सात साल पहले बिजली विभाग की टीम आई और खंभे तथा तार लगाए, जिससे गांव वालों को उम्मीद जगी थी कि जल्द ही रोशनी का उजाला गांव में फैलेगा। लेकिन इसके बाद से न ट्रांसफार्मर चालू हुआ, न लाइन में करंट आया।

ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और ग्राम प्रधान से शिकायत की, लेकिन किसी ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया। परिणामस्वरूप गांव आज भी बिजली की मूलभूत सुविधा से वंचित है।

अब आया बिल, तो फूटा ग्रामीणों का गुस्सा

गांव में बिजली न होने के बावजूद हर महीने बिजली बिल भेजा जाना ग्रामीणों के लिए असहनीय बन गया है। अब विभाग के कर्मी बिल जमा करने का दबाव बनाते हैं और कहते हैं कि “कनेक्शन लिया है तो बिल जमा करना पड़ेगा।”

इस पर ग्रामीणों का कहना है कि जब कनेक्शन के बाद एक दिन भी बिजली नहीं मिली, तो किस बात का बिल जमा करें? यह शुद्ध रूप से शोषण और लापरवाही का उदाहरण है।

आंदोलन की तैयारी में ग्रामीण

अब गांव के लोगों ने ठान लिया है कि यदि जल्द ही बिजली आपूर्ति बहाल नहीं की गई और बिल भेजना बंद नहीं हुआ, तो वे प्रशासनिक कार्यालयों के सामने धरना प्रदर्शन करेंगे।

ग्रामीण संजय यादव, रघुवीर, मीना देवी, रामस्वरूप, सविता देवी आदि ने कहा कि हम लोग वर्षों से दीपक और मिट्टी के चिरागों के सहारे रात काटते हैं, जबकि मोबाइल पर हर महीने बिजली का बिल देखकर व्यंग्य जैसा लगता है।

जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी सवालों में सिर्फ चुनाव के समय करते हैं वादा

गांव के लोगों ने स्थानीय सांसद, विधायक और जिला प्रशासन पर भी उपेक्षा का आरोप लगाया है। ग्रामीणों का कहना है कि हर चुनाव में बिजली देने का वादा किया जाता है, लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई भी इस ओर ध्यान नहीं देता।

भोथहा गांव का यह मामला सरकार की ग्रामीण विकास योजनाओं की असल जमीनी हकीकत को उजागर करता है। सात वर्षों से बिजली के इंतजार में बैठे ग्रामीण अब उम्मीद छोड़कर संघर्ष के रास्ते पर उतरने को तैयार हैं।