महराजगंज में समाधान दिवस की अनदेखी: बीएसए एवं चर्चित लिपिक यशवंत सिंह पर फर्जी आख्या और लापरवाही के आरोप

महराजगंज में समाधान दिवस की अनदेखी: बीएसए एवं चर्चित लिपिक यशवंत सिंह पर फर्जी आख्या और लापरवाही के आरोप

महराजगंज। जिले में समाधान दिवस की कार्यप्रणाली और शिक्षा विभाग की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। जिले के आनंदनगर निवासी शिकायतकर्ता जावेद अहमद खान ने जिलाधिकारी को भेजे गए पत्र में आरोप लगाया है कि बीएसए महराजगंज सुश्री रिद्धी पाण्डेय एवं उनके कार्यालय में कार्यरत चर्चित बाबू यशवंत सिंह द्वारा फर्जी जांच आख्या तैयार कर उच्च अधिकारियों को गुमराह किया गया है। यही नहीं, न्यायालय में विचाराधीन याचिकाओं का हवाला दिया गया है लेकिन याचिका संख्या का उल्लेख नहीं किया गया है जो बीएसए रिद्धि पांडेय एवं चर्चित लिपिक यशवंत सिंह के शातिर दिमाग का खेल है क्योंकि जिस याचिका संख्या 54719/2006 का हवाला देकर

 

आरोपीयों को बचाया जाता रहा उसे एवं अन्य समस्त याचिकाओं को जस्टिस सौरभ श्याम समशेरी द्वारा 18-03-2025 को खारिज किया जा चुका है लेकिन यशवंत सिंह और रिद्धि पांडेय द्वारा अपने शातिर दिमाग का प्रयोग करते हुए शिकायत कर्ता जावेद अहमद खान की निम्नलिखित आई0जी0आर0एस0 के निस्तारण में दिनांक 28-08-2025 को ग़लत जांच रिपोर्ट तैयार किया गया यही वह विद्यालय है जो समय समय पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारीयों के लिए एवं अन्य उच्च अधिकारियों के लिए दुधारू गाय के रूप में कार्य करता रहता है

क्या है मामला?

21 जून 2025 को आयोजित सम्पूर्ण समाधान दिवस में शिकायतकर्ता ने पंडित जवाहरलाल नेहरू इंटर कॉलेज, बरगाहपुर नेहका में कार्यरत दो सहायक अध्यापकों—संजय श्रीवास्तव और दिनेश चंद्र मिश्रा की बीएड अंकतालिका फर्जी होने का आरोप लगाया था। जिलाधिकारी ने इस मामले में बीएसए को एक सप्ताह के भीतर जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। लेकिन दो माह बीत जाने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

इसके अतिरिक्त, 25 जून 2025 को बीएसए कार्यालय में आयोजित सुनवाई में शिकायतकर्ता और विपक्षी दोनों उपस्थित थे। बावजूद इसके प्रकरण का निस्तारण अब तक नहीं हो सका। आरोप है कि बीएसए कार्यालय का संचालन एक तथाकथित बाबू के इशारों पर होता है और सुश्री पाण्डेय उन्हीं की सलाह पर निर्णय लेती हैं।

फर्जी आख्या का खेल

20 अगस्त 2025 को बीएसए कार्यालय से एक आख्या जारी की गई जिसमें यह उल्लेख किया गया कि उक्त प्रकरण उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में विचाराधीन (Subjudice) है, इसलिए जांच स्थगित की जाती है। इस आख्या में शिक्षा निदेशक प्रयागराज और संयुक्त शिक्षा निदेशक, गोरखपुर के पुराने पत्रों का हवाला देते हुए शिकायत को निक्षेपित करने की अनुशंसा की गई। शिकायतकर्ता का आरोप है कि यह आख्या वास्तविक तथ्यों को छिपाकर केवल मामले को ठंडे बस्ते में डालने के उद्देश्य से तैयार की गई।

समाधान दिवस की असलियत पर सवाल

इस पूरे प्रकरण ने समाधान दिवस की सार्थकता पर भी प्रश्नचिह्न लगा दिया है। समाधान दिवस का उद्देश्य जनता की समस्याओं का त्वरित निस्तारण है, लेकिन यदि जिलाधिकारी के आदेशों की भी अनदेखी कर दी जाए और विभागीय अधिकारी मनमाने तरीके से फर्जी आख्या लगाकर मामले को टालते रहें, तो आम जनता का विश्वास टूटना स्वाभाविक है।

शिकायतकर्ता की मांग

जावेद अहमद खान ने जिलाधिकारी से मांग की है कि उनकी शिकायतों का शीघ्र निस्तारण किया जाए और बीएसए कार्यालय की इस लापरवाही व कथित फर्जी आख्या तैयार करने की जांच कराई जाए। साथ ही, दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, ताकि भविष्य में आमजन की समस्याओं को यूं ही नजरअंदाज न किया जा सके।

 

यह मामला स्पष्ट करता है कि यदि शासन-प्रशासन की जवाबदेही तय न की गई, तो समाधान दिवस जैसे कार्यक्रम केवल औपचारिकता बनकर रह जाएंगे। जनता की आस्था तभी बहाल हो सकती है जब अधिकारियों को आदेश पालन के प्रति कठोरता से जवाबदेह बनाया जाए और फर्जीवाड़े के खिलाफ ठोस कदम उठाए जाएं।

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