पैतृक संपत्ति के विभाजन विलेख पर स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रीकरण फीस में मिलेगी छूट

पैतृक संपत्ति के विभाजन विलेख पर स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रीकरण फीस में मिलेगी छूट

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उत्तर प्रदेश सरकार ने जारी की नई अधिसूचना, तीन पीढ़ियों तक के सहस्वामियों को होगा लाभ

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश शासन ने पैतृक अचल संपत्ति के विभाजन विलेख पर स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रीकरण फीस में छूट को लेकर महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। महानिरीक्षक निबंधन, उत्तर प्रदेश, लखनऊ की ओर से 10 सितम्बर 2025 को जारी पत्र के अनुसार यह छूट कुछ शर्तों के साथ लागू की जाएगी। इस निर्णय से उन परिवारों को राहत मिलेगी, जो पैतृक संपत्ति के बंटवारे को लेकर लंबे समय से रजिस्ट्रीकरण शुल्क और स्टाम्प शुल्क की भारी भरकम लागत से परेशान थे।

तीन पीढ़ियों तक के सहस्वामी होंगे शामिल

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नई व्यवस्था के तहत छूट का लाभ केवल उन्हीं विभाजन विलेखों को मिलेगा, जिनमें पैतृक संपत्ति के सहस्वामी आपस में विभाजन कर रहे हों और इसमें अधिकतम तीन पीढ़ियां शामिल हों। विलेख में स्पष्ट रूप से पारिवारिक वंशावली (वंश वृक्ष) प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा, जिसमें प्रत्येक पक्षकार का अपने पूर्वज से संबंध स्पष्ट किया जाएगा।

प्रमाण के लिए जरूरी दस्तावेज

वंशावली और पारिवारिक संबंधों को स्थापित करने के लिए पक्षकारों को आवश्यक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने होंगे। इनमें उत्तराधिकार प्रमाणपत्र, खतौनी, पारिवारिक सदस्यता प्रमाणपत्र, परिवार रजिस्टर, उत्तर प्रदेश फैमिली आईडी, नगरीय निकायों के नामांतरण अभिलेख, सरकारी सेवकों के लिए सर्विस बुक, शैक्षणिक अभिलेख, पहचान पत्र (आधार, पैन, पासपोर्ट, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस), राशन कार्ड, जन्म प्रमाणपत्र और विवाह प्रमाणपत्र आदि शामिल हैं। विभिन्न रिश्तों को स्पष्ट करने के लिए अलग-अलग दस्तावेजों का उपयोग भी किया जा सकेगा।

संपत्ति का मूल्यांकन अनिवार्य

विभाजन उपरांत प्रत्येक सहस्वामी को प्राप्त होने वाली संपत्ति का मूल्यांकन उनके वैधानिक हिस्से के अनुसार होना चाहिए। विलेख में संपत्ति के कुल मूल्य और उसमें प्रत्येक पक्षकार को मिलने वाले हिस्से का स्पष्ट उल्लेख किया जाएगा। यदि संपत्ति एक से अधिक जनपदों या उप निबंधक कार्यालयों में स्थित है, तो संबंधित अधिकारियों से मूल्यांकन रिपोर्ट लेकर विलेख पंजीकरण कराया जाएगा।

किन संपत्तियों पर मिलेगा लाभ

छूट केवल कृषि, आवासीय और वाणिज्यिक संपत्तियों के विभाजन पर लागू होगी। औद्योगिक और संस्थागत संपत्तियां इस प्रावधान के अंतर्गत नहीं आएंगी। साथ ही, केवल वास्तविक व्यक्तियों की पैतृक संपत्ति का विभाजन मान्य होगा। फर्म, सोसायटी, ट्रस्ट या कंपनी जैसे कानूनी संस्थानों की संपत्तियों पर यह छूट लागू नहीं होगी।

प्रेरणा सॉफ्टवेयर पर अपलोड करना होगा विवरण

छूट का लाभ लेने के लिए पक्षकारों को प्रेरणा सॉफ्टवेयर पर सभी आवश्यक दस्तावेज, साक्ष्य, मूल्यांकन रिपोर्ट और संयुक्त शपथ पत्र अपलोड करना अनिवार्य होगा। पंजीकरण के समय मूल प्रतियां या सत्यापित प्रतियां उप निबंधक कार्यालय में प्रस्तुत करनी होंगी।

उप निबंधकों को स्पष्ट निर्देश

महानिरीक्षक निबंधन ने सभी उप निबंधकों को निर्देश दिया है कि वे छूट प्रदान करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि –

विलेख में अधिकतम तीन पीढ़ियों तक के सहस्वामी शामिल हों।

विभाजन केवल पैतृक अचल संपत्ति का हो।

प्रत्येक पक्षकार को उसकी वैधानिक हिस्सेदारी के अनुसार संपत्ति प्राप्त हो।

सभी आवश्यक साक्ष्य और मूल्यांकन रिपोर्ट विधिवत प्रस्तुत और सत्यापित हों।

यदि किसी भी बिंदु पर विसंगति पाई जाती है तो छूट न देकर सामान्य दरों पर पंजीकरण किया जाएगा।

पारदर्शिता और पारिवारिक विवादों में कमी

इस व्यवस्था से एक ओर तो लोगों को आर्थिक राहत मिलेगी, वहीं दूसरी ओर पारिवारिक विवादों में कमी आने की उम्मीद है। अक्सर स्टाम्प शुल्क और फीस अधिक होने के कारण लोग बगैर रजिस्ट्री संपत्ति का आपसी बंटवारा कर लेते थे, जिससे भविष्य में विवाद खड़े होते थे। अब दस्तावेजीकरण सुलभ होने से कानूनी दिक्कतें भी कम होंगी।

अधिसूचना के तहत कठोर अनुपालन

महानिरीक्षक निबंधन, नेहा शर्मा ने स्पष्ट किया है कि अधिसूचना में वर्णित नियमों का सख्ती से पालन कराया जाएगा। किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या लापरवाही पाए जाने पर छूट रद्द कर सामान्य शुल्क पर रजिस्ट्री की जाएगी।

यह निर्णय उत्तर प्रदेश सरकार के उस प्रयास का हिस्सा है, जिसके तहत आम जनता को संपत्ति संबंधित प्रक्रियाओं में राहत और पारदर्शिता प्रदान की जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है और इससे पारिवारिक संपत्तियों के बंटवारे में सरलता आएगी।

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