महराजगंज में सोशल ऑडिट के नाम पर अवैध वसूली का खेल

प्रधानों से रिकवरी का डर दिखाकर वसूले जा रहे 10 से 15 हजार रुपये, फर्जी रिपोर्ट बनाकर भेजे जाने के आरोप
महराजगंज।
जिला विकास कार्यालय महराजगंज की ओर से वित्तीय वर्ष 2024-25 के प्रथम चरण में महात्मा गांधी नरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण और राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी) का सोशल ऑडिट कराने के लिए चार दिवसीय कैलेंडर जारी किया गया है। कागज़ों पर यह पहल पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए है, लेकिन जमीनी स्तर पर सोशल ऑडिट में भ्रष्टाचार और अवैध वसूली का बड़ा खेल चल रहा है।
पारदर्शिता की जगह भ्रष्टाचार हावी


सूत्रों के अनुसार, जनपद के कई ब्लॉकों में सोशल ऑडिट टीम के कुछ प्रमुख सदस्यों ने ग्राम प्रधानों से “रिकवरी बनाने” का भय दिखाकर 10 से 15 हजार रुपये तक वसूले हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सोशल ऑडिट टीम के बाकी सदस्य इसमें शामिल नहीं रहते, केवल प्रमुख द्वारा यह अवैध लेन-देन किया जा रहा है।
महराजगंज के ब्लॉकों का मामला चर्चा में
सूत्रों की मानें तो सबसे ताज़ा मामला नौतनवा ब्लॉक की रहने वाली सोशल ऑडिट टीम की ब्लाक कोआर्डिनेट रेनू सिंह पर आरोप है कि उन्होंने जनपद के सभी ब्लॉक के अंतर्गत कई ग्राम सभाओं में सोशल ऑडिट करते हुए प्रधानों से मोटी रकम वसूली। आरोप है कि इनके द्वारा आडिट विना काम देखें व विना फोटो सत्यापन के कार्य का आडिट कर लिया जाता है इसके बाद बिना ठीक से कार्यवाही किए फर्जी रिपोर्ट तैयार कर जिले और निदेशालय स्तर के ग्रुप में भेज दी गई।
निचलौल ब्लॉक में भी वसूली का खेल
इसी तरह निचलौल ब्लॉक के वसूली ग्राम सभा में सोशल ऑडिट टीम द्वारा प्रधान से मोटी रकम वसूली जाने की बात सामने आई है। यहां आरोप है कि ऑडिट टीम ने सिर्फ खानापूर्ति करते हुए कागज़ों पर एक फर्जी रिपोर्ट तैयार की और उसे ग्रुप में प्रेषित कर दिया। खास बात यह रही कि इस रिपोर्ट पर टीम के अन्य सदस्यों के हस्ताक्षर तक नहीं कराए गए।
वायरल हो रहे प्रपत्रों से खुला खेल
सोशल मीडिया पर इस पूरे खेल से जुड़े कुछ प्रपत्र और दस्तावेज वायरल हो रहे हैं, जिनसे यह साफ जाहिर होता है कि सोशल ऑडिट की प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं की जा रही हैं। इन दस्तावेजों में उन ग्राम सभाओं की चर्चा है, जहां न तो ग्राम सभा की बैठक ढंग से हुई और न ही जनता की भागीदारी सुनिश्चित की गई, बावजूद इसके फर्जी कार्यवाही रिपोर्ट तैयार कर अधिकारियों को भेज दी गई।
जनता के हक पर डाका
सोशल ऑडिट का मूल उद्देश्य योजनाओं की पारदर्शिता और जनता को जवाबदेही दिलाना है। लेकिन यदि सोशल ऑडिट ही भ्रष्टाचार का अड्डा बन जाए तो जनता के हक़ और अधिकार दोनों पर डाका पड़ना तय है। ग्राम प्रधानों पर अवैध वसूली का दबाव डालकर तैयार की गई रिपोर्टें न केवल अविश्वसनीय हैं, बल्कि शासन और प्रशासन की मंशा पर भी सवाल खड़े करती हैं।
प्रशासन से कार्रवाई की मांग
इन मामलों के सामने आने के बाद स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि सोशल ऑडिट टीमों की स्वतंत्र जांच कराई जाए और दोषी अधिकारियों व टीम सदस्यों पर कठोर कार्रवाई की जाए। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में सोशल ऑडिट प्रक्रिया पारदर्शी और जनता की भागीदारी पर आधारित हो।
👉 स्पष्ट है कि महराजगंज में सोशल ऑडिट व्यवस्था जनता की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पा रही है। भ्रष्टाचार का यह नया तरीका न केवल योजनाओं की साख गिरा रहा है, बल्कि गरीबों और वंचितों के अधिकारों को भी प्रभावित कर रहा है। अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस पर क्या ठोस कदम उठाता है।