सिसवा ब्लॉक का रोजगार सेवक बना करोड़पति
मानदेय केवल 9.34 लाख, लेकिन करोड़ों की संपत्ति का आरोप; जांच की मांग तेज
महराजगंज।
मनरेगा और पंचायत स्तर पर योजनाओं की पारदर्शिता पर एक बार फिर सवाल उठ खड़े हुए हैं। सिसवा ब्लॉक के एक रोजगार सेवक पर भ्रष्टाचार कर करोड़ों की संपत्ति अर्जित करने का गंभीर आरोप लगा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, चैनपुर इसरावती गांव की निवासी इसरावती, पत्नी राजकिशोर, रोजगार सेवक के रूप में कार्यरत हैं। उनकी नियुक्ति से अब तक उन्हें कुल ₹9,34,566 मानदेय प्राप्त हुआ है। वहीं वर्तमान में उन्हें प्रतिमाह ₹10,000 में से कटौती कर केवल ₹7,788 ही खाते में मिलता है।
आरोप है कि इतने सीमित मानदेय के बावजूद संबंधित रोजगार सेवक ने सिसवा नगर पालिका, निचलौल नगर पंचायत और अपने ग्राम पंचायत क्षेत्र में लाखों की जमीन खरीदी है। ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह संपत्ति केवल भ्रष्टाचार और योजनाओं में हेरफेर कर बनाई गई है।
करोड़ों की संपत्ति का सवाल
लोगों का कहना है कि लगभग 9.34 लाख रुपये मानदेय पाने वाला सेवक करोड़ों की संपत्ति कैसे अर्जित कर सकता है? जमीन और मकानों में निवेश को देखकर स्पष्ट है कि अवैध ढंग से धन अर्जित किया गया है। यह मामला केवल व्यक्तिगत भ्रष्टाचार नहीं बल्कि पूरी प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है।
जांच की मांग
ग्रामीणों ने मांग की है कि शासन-प्रशासन तत्काल मामले की जांच कराए। यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो दोषी रोजगार सेवक और उससे जुड़े अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
यह मामला सिसवा ब्लॉक में चर्चाओं का विषय बना हुआ है। आमजन का कहना है कि जब योजनाओं के क्रियान्वयन में लगे छोटे कर्मचारी ही भ्रष्टाचार कर करोड़पति बन जाएंगे तो गरीब और जरूरतमंदों तक सरकारी योजनाओं का लाभ कैसे पहुंचेगा।