महराजगंज में गोसदन प्रबंधन पर विवाद – सचिव निलंबित, असली जिम्मेदारियों पर उठे सवाल
वार्षिक दिवस बैठक और शासनादेश की अवहेलना के बीच गोवंश संरक्षण की व्यवस्थाओं में लापरवाही, प्रशासनिक जिम्मेदारियों की पड़ताल

महराजगंज।
जनपद महराजगंज में निराश्रित गोवंश की देखरेख और संरक्षण को लेकर जिला गोसदन की व्यवस्थाएं एक बार फिर सवालों के घेरे में हैं। शासन द्वारा जारी आदेशों के अनुसार गोसदन और अस्थायी आश्रय स्थलों के संचालन व प्रबंधन की जिम्मेदारी खण्ड विकास अधिकारियों (BDO), मुख्य विकास अधिकारी (CDO) और जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली कार्यकारिणी परिषद पर है। इसके बावजूद हाल के घटनाक्रम में पूरे मामले का ठीकरा जिला गोसदन के सचिव पर फोड़ते हुए उन्हें निलंबित कर दिया गया है। इससे प्रशासनिक हलकों में यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या कार्रवाई असली जिम्मेदारों से बचाने के लिए की गई है।

शासन के स्पष्ट आदेश
विशेष सचिव सुखलाल भारती द्वारा 01 दिसम्बर 2023 को निर्गत शासनादेश संख्या-DFA/600228/38-7099/2885/2019 में स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि खण्ड विकास अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र में गोवंश आश्रय स्थलों का नियमित निरीक्षण करें। प्रत्येक माह न्यूनतम दो बार स्थलीय जांच कर यह सुनिश्चित किया जाए कि चारा, पानी और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हों। साथ ही, बैठकों के कार्यवृत्त को रूरल सॉफ्ट पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य किया गया था।
इसके अलावा, यदि किसी विभाग का अपेक्षित सहयोग नहीं मिलता तो संबंधित विभागीय अधिकारी को लिखित रूप से अवगत कराना खण्ड विकास अधिकारी की जिम्मेदारी है।

वार्षिक दिवस की बैठक
हर वर्ष की तरह इस बार भी कलेक्ट्रेट सभागार में जिला गोसदन का वार्षिक दिवस मनाया गया। बैठक में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कार्यकारिणी परिषद के सदस्य उपस्थित रहे, जिनमें मुख्य विकास अधिकारी, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, उप जिलाधिकारी, पुलिस क्षेत्राधिकारी, जिला सूचना अधिकारी, उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी और खण्ड विकास अधिकारी शामिल थे।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी/सचिव ने बैठक की शुरुआत करते हुए गोसदन के इतिहास और वर्तमान प्रबंधन की जानकारी दी। बैठक में चारा, पानी, आश्रय स्थलों की स्थिति और विभागीय सहयोग पर चर्चा की गई। परिषद का गठन स्वयं जिलाधिकारी की अध्यक्षता में हुआ था, जिसमें सांसद, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधि भी सदस्य हैं।
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जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ना?
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि गोसदन की वास्तविक स्थिति शासनादेश के अनुरूप नहीं है। आश्रय स्थलों में चारे और पानी की कमी, देखभाल की अपर्याप्त व्यवस्था तथा विभागीय समन्वय की कमी जैसी समस्याएं बनी हुई हैं। इसके लिए सीधे तौर पर सचिव को जिम्मेदार ठहराते हुए कार्रवाई की गई, जबकि वास्तविक जिम्मेदारी परिषद और उसमें शामिल उच्च पदस्थ अधिकारियों पर है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि –
“गोसदन का संचालन अकेले सचिव के अधीन नहीं होता। जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली कार्यकारिणी परिषद और खण्ड विकास अधिकारियों की जिम्मेदारी तय है। फिर भी सचिव को निलंबित करना यह दर्शाता है कि उच्च जिम्मेदारियों से ध्यान हटाने का प्रयास हो रहा है।”
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
गोसदन की व्यवस्थाओं को लेकर आमजन और समाजसेवी संगठनों में रोष है। उनका कहना है कि जब जिले का शीर्ष प्रशासनिक अमला समिति का हिस्सा है, तो फिर निचले स्तर पर कार्रवाई करना केवल औपचारिकता है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि गोवंश संरक्षण की व्यवस्था केवल कागजों पर न होकर जमीनी स्तर पर मजबूत हो।
महराजगंज में सचिव का निलंबन केवल “बलि का बकरा” बनाने जैसा कदम प्रतीत होता है। असली जिम्मेदार वे अधिकारी और जनप्रतिनिधि हैं, जिन्हें शासन ने गोसदन प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी थी। यदि शासनादेशों का पालन नहीं हुआ, तो जवाबदेही सचिव तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। जब तक इस व्यवस्था में पारदर्शिता और वास्तविक जिम्मेदारियों पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक निराश्रित गोवंश की समस्या का स्थायी समाधान संभव नहीं है।