चौक नगर पंचायत में विवाद: भाजपा सभासदों की उपेक्षा पर मुख्यमंत्री योगी ने जताई नाराजगी
कार्यक्रम में 9 भाजपा सभासदों को नहीं बुलाने से भड़की राजनीतिक हलचल, मुख्यमंत्री ने अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल
चौक (उत्तर प्रदेश)। नगर पंचायत चौक में नए कार्यालय के उद्घाटन को लेकर सियासी खींचतान तेज हो गई है। भाजपा के 9 सभासदों को कार्यक्रम से दूर रखने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ी नाराजगी जताई है। सभासदों का आरोप है कि नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी (ईओ) ओमप्रकाश यादव ने जानबूझकर उन्हें नजरअंदाज किया और केवल चेयरमैन व चुनिंदा लोगों के साथ मिलकर पूरे आयोजन को संचालित किया।
ईओ पर यादववाद का आरोप
कार्यक्रम में भाजपा समर्थित 9 सभासदों को आमंत्रित न किए जाने पर सवाल उठ रहे हैं। सभासदों का कहना है कि नगर पंचायत में यादव जाति से जुड़े अधिकारियों का वर्चस्व स्थापित हो गया है, जिसके कारण अन्य जनप्रतिनिधियों को दरकिनार किया जा रहा है। एडीएम डॉ. पंकज कुमार वर्मा के अधीन कार्यरत ईओ ओमप्रकाश यादव, मनोज यादव (बड़े बाबू) और अन्य आउटसोर्सिंग कर्मचारी नगर पंचायत में मनमानी कर रहे हैं।
इस वर्चस्व के चलते वार्ड 1 के दिग्विजय भारती, वार्ड 3 के गोवर्धन प्रसाद, वार्ड 4 के त्रिभुवन गुप्ता, वार्ड 5 के हरिलाल भारती, वार्ड 6 के सर्वेश पांडे, वार्ड 7 के श्री राम गुप्ता, वार्ड 8 के अंगद वर्मा, वार्ड 10 के हरकेश पटेल और वार्ड 12 के आशीष साहनी को कार्यक्रम से बाहर रखा गया।
मुख्यमंत्री से की गई शिकायत
कार्यक्रम से उपेक्षित सभासदों ने चौक स्थित मंदिर के छावनी परिसर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की और अपना पक्ष रखा। उनका आरोप था कि ईओ यादव ने जानबूझकर केवल चेयरमैन और चार अन्य सभासदों को कार्यक्रम में शामिल किया और बाकी प्रतिनिधियों की पूरी तरह अनदेखी की।
सभासदों ने यह भी कहा कि अधिकारी मुख्यमंत्री योगी को जमीनी हकीकत से अनजान रखकर केवल अपने हितों के अनुरूप काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि नगर पंचायत के महत्वपूर्ण फैसलों में उन्हें शामिल नहीं किया जा रहा है, और प्रशासनिक आदेशों की खुलेआम अवहेलना हो रही है।
मुख्यमंत्री की कड़ी प्रतिक्रिया
सभासदों की शिकायत पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंभीर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी कि प्रशासनिक कार्यों में किसी भी तरह का पक्षपात बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिया कि सभी जनप्रतिनिधियों को समान महत्व दिया जाए और नगर पंचायत के कार्यों में पारदर्शिता हो।
मुख्यमंत्री के इस हस्तक्षेप के बाद प्रशासन में हलचल मच गई है। माना जा रहा है कि जल्द ही ईओ समेत अन्य अधिकारियों की जिम्मेदारियों की समीक्षा की जा सकती है।
भाजपा में असंतोष का माहौल
इस घटना ने नगर पंचायत की राजनीति में असंतोष को और बढ़ा दिया है। सभासदों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी शिकायतों का समाधान नहीं हुआ तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने से पीछे नहीं हटेंगे।
स्थानीय भाजपा नेताओं का कहना है कि इस तरह की उपेक्षा पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा सकती है। कई लोगों ने सवाल उठाए हैं कि क्या प्रशासनिक अधिकारी जानबूझकर भाजपा समर्थकों की अनदेखी कर रहे हैं ताकि सरकार की नीतियों को जमीनी स्तर पर कमजोर किया जा सके।
नगर पंचायत में बढ़ता तनाव
घटना के बाद से नगर पंचायत चौक का माहौल गरम है। सभासदों का कहना है कि ईओ ने कार्यक्रम के आयोजन में अपने निजी संबंधों और जातीय समीकरणों को प्राथमिकता दी। इस मनमानी के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए सभासद अब सामूहिक रूप से कार्रवाई करने की तैयारी में हैं।
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हस्तक्षेप से उम्मीद की जा रही है कि नगर पंचायत में जल्द ही स्थिति में सुधार होगा। हालांकि, भाजपा के नाराज सभासदों का कहना है कि यदि उनकी शिकायतों का संतोषजनक समाधान नहीं हुआ तो वे बड़े आंदोलन का रुख कर सकते हैं।
यह घटना प्रशासनिक कामकाज और राजनीतिक हितों के टकराव का प्रतीक बन गई है। आने वाले दिनों में नगर पंचायत चौक में और बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं, जिससे यहां की राजनीति में नए समीकरण बनते नजर आ सकते हैं।