ग्राम प्रधान और सचिवों पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप, कारण बताओ नोटिस जारी

ग्राम प्रधान और सचिवों पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप, कारण बताओ नोटिस जारी

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जिला प्रशासन ने गंभीर वित्तीय गड़बड़ियों के चलते शुरू की जांच, जवाब न देने पर होगी विभागीय कार्रवाई

महराजगंज – ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों में वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के तहत महराजगंज जिले के ग्राम प्रधान और संबंधित अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। जिलाधिकारी अनुनय झा और जिला पंचायत राज अधिकारी श्रेया मिश्रा ने संबंधित ग्राम प्रधान और सचिवों को नोटिस देकर स्पष्टीकरण मांगा है। अगर निर्धारित समय सीमा में संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया, तो उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम 1947 की धारा 95 (1) (छ) के तहत प्रशासनिक और वित्तीय कार्रवाई की जाएगी।

प्रमुख वित्तीय अनियमितताएं

ग्राम पंचायत पकड़ी भारत खण्ड में वर्ष 2021-22 और 2022-23 में हुए कई निर्माण कार्यों और मरम्मत परियोजनाओं में भारी गड़बड़ी पाई गई है। जांच रिपोर्ट के अनुसार मापन पुस्तिका, कार्ययोजना और अन्य वित्तीय अभिलेख उपलब्ध नहीं कराए गए, जिससे यह संदेह पैदा हुआ कि आवंटित धनराशि का दुरुपयोग किया गया है।

1. छठ घाट बेदी निर्माण (104108 रुपये) – अभिलेख उपलब्ध नहीं

वर्ष 2021-22 में छठ घाट बेदी निर्माण पर 1,04,108 रुपये खर्च किए गए, लेकिन ग्राम पंचायत के सचिव द्वारा कोई साक्ष्य या मापन पुस्तिका उपलब्ध नहीं कराई गई। जांच के बाद पाया गया कि उक्त भुगतान की पुष्टि संभव नहीं है, जिससे वित्तीय अनियमितता का संकेत मिलता है।

2. पायका भवन मरम्मत (234530 रुपये) – कार्य अधूरा

पायका भवन पर 2,34,530 रुपये का खर्च दिखाया गया। हालांकि, मौके पर केवल टाइल्स लगाने का काम ही पाया गया, जबकि खिड़कियों, दरवाजों और अन्य आवश्यक मरम्मत कार्यों का कोई सबूत नहीं मिला। अभिलेख मांगने पर भी नहीं मिले, जिससे संदेह होता है कि धनराशि का दुरुपयोग हुआ है।

3. विद्यालय स्टेज निर्माण (232928 रुपये) – कार्य स्थल में अंतर

प्राथमिक विद्यालय में स्टेज निर्माण के नाम पर 2,32,928 रुपये खर्च होने का दावा किया गया, लेकिन स्टेज विद्यालय परिसर में न होकर खेल के मैदान और ग्राम सचिवालय के पास बना पाया गया। इससे स्पष्ट होता है कि कार्ययोजना के अनुसार परियोजना नहीं चलाई गई, और धन का अपव्यय हुआ है।

4. ग्राम सचिवालय मरम्मत (492561 रुपये) – अधूरा कार्य

ग्राम सचिवालय की मरम्मत के लिए लगभग 4,92,561 रुपये खर्च किए गए, लेकिन तय कार्य, जैसे छत की ढलाई, बिजली व्यवस्था और पानी सप्लाई का कोई प्रमाण नहीं मिला। अभिलेखों की अनुपस्थिति ने वित्तीय अनियमितताओं की पुष्टि की।

5. हैंडपंप रिबोर (137920 रुपये) – रिबोर कार्य अधूरा

आईजीआरएस शिकायतों के निस्तारण में भी अनियमितता पाई गई। कुछ हैंडपंपों के रिबोर के लिए भुगतान दिखाया गया, लेकिन मौके पर कोई कार्य नहीं हुआ। जैसे:

कलामुद्दीन के घर पर हैंडपंप नहीं मिला, जबकि 27,608 रुपये का भुगतान हुआ।

काशी के दरवाजे पर हैंडपंप नहीं मिला, जबकि 27,419 रुपये खर्च दर्शाए गए।

इंद्रजीत प्रजापति के घर पर भी हैंडपंप नहीं मिला, जबकि भुगतान हो चुका था।
जांच समिति ने बताया कि कई स्थानों पर अधूरे काम के बावजूद भुगतान कर दिया गया, जिससे अनियमितता स्पष्ट होती है।

जवाबदेही और स्पष्टीकरण का निर्देश

जिलाधिकारी ने ग्राम प्रधान सुनील कुमार गुप्ता और तत्कालीन सचिव रामकृष्ण प्रसाद को नोटिस जारी कर 15 दिन के भीतर साक्ष्य सहित स्पष्टीकरण मांगा है। अगर जवाब संतोषजनक नहीं मिला, तो तीन सदस्यीय समिति बनाकर कार्यवाही की जाएगी। इसी तरह, ग्राम पंचायत के अन्य अधिकारियों – दीप्ति जायसवाल और पवन मद्देशिया को भी नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

अनुत्तरित रहने पर होगी कड़ी कार्रवाई

जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि अगर नोटिस का जवाब निर्धारित समय सीमा में नहीं मिला, तो उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम के तहत दोषियों के खिलाफ कठोर वित्तीय और प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी। इसमें दोषियों से रिकवरी और जिम्मेदारियों का हनन मानते हुए पदों से हटाने तक की कार्रवाई शामिल हो सकती है।

प्रशासन का सख्त रुख

मुख्य विकास अधिकारी और जिला पंचायत राज अधिकारी को निर्देशित किया गया है कि संबंधित अधिकारियों से प्राप्ति रसीद लेकर यह सुनिश्चित करें कि नोटिस का पालन हो रहा है। इसके अलावा, खंड विकास अधिकारी को जांच की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए अतिरिक्त निर्देश दिए गए हैं।

शिकायतकर्ता की भूमिका और भविष्य की कार्यवाही

इस पूरे प्रकरण की जांच ग्राम सिंहपुर निवासी मनोज कुमार तिवारी द्वारा भेजी गई शिकायत के आधार पर हुई है, जो 9 सितंबर 2024 को भेजी गई थी। जांच के बाद प्रथम दृष्ट्या अनियमितताओं की पुष्टि हुई, जिसके बाद कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की गई है।

निष्कर्ष

यह मामला सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही और संभावित भ्रष्टाचार का उदाहरण है। प्रशासन द्वारा की गई जांच में कई अनियमितताओं का पता चला है, जिससे ग्राम पंचायतों में वित्तीय पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। अगर संबंधित अधिकारी समय पर साक्ष्य प्रस्तुत नहीं करते हैं, तो प्रशासन उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा।

इस घटनाक्रम ने विकास कार्यों में निगरानी की आवश्यकता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की महत्ता को रेखांकित किया है। भविष्य में ऐसी अनियमितताओं से बचने के लिए प्रशासन ने निगरानी तंत्र को और सुदृढ़ करने की बात कही है।