महराजगंज जिलाध्यक्ष चुनाव: जातीय समीकरणों पर उठे सवाल

भाजपा के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के नारे पर जातीय प्रतिनिधित्व के सवाल
महराजगंज। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हमेशा अपने नारे ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ को अपनी राजनीति का आधार बताया है। लेकिन जिलाध्यक्ष के चुनाव में उभरे जातीय समीकरणों ने इन दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। महराजगंज में जिलाध्यक्ष पद के लिए हो रही खींचतान और विभिन्न जातियों की भागीदारी को लेकर बड़े सवाल उठ रहे हैं।
ब्राह्मण बनाम ब्राह्मण: अपने ही खिलाफ मैदान में क्यों?
भाजपा जिलाध्यक्ष पद के लिए एक ब्राह्मण उम्मीदवार के खिलाफ 6 अन्य ब्राह्मणों द्वारा नामांकन दाखिल किया गया है। यह सवाल खड़ा करता है कि भाजपा के भीतर ही जातीय संतुलन कितना बिगड़ा हुआ है। अगर ब्राह्मण समाज के इतने उम्मीदवार मैदान में हैं, तो इसका मतलब है कि समाज के भीतर भी एकता का अभाव है।
जातीय प्रतिनिधित्व पर सवाल
महराजगंज जिले में विभिन्न जातियों के प्रतिनिधित्व को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। लोग जानना चाहते हैं कि भाजपा जातीय आधार पर राजनीति नहीं करती, तो फिर जिले के हर समुदाय को उचित प्रतिनिधित्व क्यों नहीं दिया गया?
महराजगंज में विभिन्न जातियों के प्रतिनिधित्व का आंकड़ा:
आंकड़े चार विधानसभा क्षेत्रों फरेन्दा, सदर महराजगंज, नौतनवा, सिसवा का अनुमानित है
1. कुर्मी/ पटेल जनप्रतिनिधि: 129578 वोट
महराजगंज में कुर्मी समाज के कितने जनप्रतिनिधि हैं, इसका स्पष्ट आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। लेकिन यह सवाल उठाया जा रहा है कि कुर्मी समाज को उचित प्रतिनिधित्व क्यों नहीं दिया गया है। जबकि यहां के सांसद एवं वित्त राज्यमंत्री श्री पंकज चौधरी लम्बे समय से महराजगंज संसदीय क्षेत्र पर कब्जा जमाऐ हुए हैं
2. ब्राह्मण जनप्रतिनिधि: 151468 वोट
ब्राह्मण समाज से अब तक भाजपा ने कई जनप्रतिनिधि दिए हैं। लेकिन यह भी स्पष्ट है कि ब्राह्मण समाज के भीतर खुद एकता की कमी है। आरक्षण
3. ठाकुर जनप्रतिनिधि: 79111 वोट
ठाकुर समाज के भी कुछ प्रतिनिधि सक्रिय राजनीति में हैं। हालांकि, इनकी संख्या पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
4. तेली जनप्रतिनिधि: क्रमश 122194 वोट
बनिया समाज के प्रतिनिधि अपेक्षाकृत कम दिखते हैं।
5. यादव जनप्रतिनिधि:
151290 वोट
यादव समाज से भी कई लोग राजनीति में सक्रिय हैं, लेकिन भाजपा में उनकी भागीदारी सीमित है।
6. दलित में जाटव, बाल्मीकि , धोबी,खागी,पासी,कोरी अनुसूचित जाति: क्रमश 254182,37761,64756,15106, 54672,2000 वोट
दलित और अनुसूचित जाति के लोगों को कितना प्रतिनिधित्व मिला है, इस पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
7. जायसवाल समाज: 154588 वोट
जायसवाल समाज का भी प्रतिनिधित्व सीमित है, जो पार्टी की जातीय संतुलन नीति पर सवाल खड़ा करता है।
कुशवाहा/ मौर्या 127794, प्रजापति 76558, निषाद/कश्यप 133404, नौनिया/चौहान 81728 बरई/ चौरसिया 80983 अन्य 117573 तो वहीं मुस्लिम वोट भी 225229 वोट भी महराजगंज के इन चारों विधानसभा में अहम भुमिका निभाती है
सबसे अधिक जनसंख्या वाली जातियां और प्रतिनिधित्व की कमी
महराजगंज में सबसे अधिक जनसंख्या वाली जातियों की सूची बनाकर यह देखा जा सकता है कि किन-किन जातियों को अब तक प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। इन आंकड़ों के आधार पर जातीय समीकरण को संतुलित करने की जरूरत है।
जातीय संतुलन की जरूरत
भाजपा के नारे का मतलब है कि हर जाति को साथ लेकर चलना। लेकिन अगर ऐसा होता, तो महराजगंज में हर जाति के प्रतिनिधियों को मौका दिया जाता। जिले में कई जातियां ऐसी हैं, जिन्हें अब तक राजनीति में उचित स्थान नहीं मिल पाया है।
आवेदन करने वालों की सूची और उनकी जाति
महराजगंज जिलाध्यक्ष पद के लिए आवेदन करने वालों में कौन-कौन सी जातियों के लोग शामिल हैं, इसका खुलासा अभी तक नहीं हुआ है। लेकिन यह देखना जरूरी है कि क्या सभी जातियों को इस प्रक्रिया में शामिल होने का अवसर दिया गया है या नहीं।
बड़े नेताओं से संवाद की जरूरत
भाजपा के बड़े नेताओं को इन सवालों के जवाब देने होंगे। यह सुनिश्चित करना होगा कि हर जाति को प्रतिनिधित्व मिले और पार्टी का नारा जमीन पर भी नजर आए। बड़े नेताओं से यह सवाल पूछना होगा:
1. एक ब्राह्मण के खिलाफ 6 ब्राह्मण उम्मीदवार क्यों?
2. कुर्मी, ब्राह्मण, ठाकुर, यादव, दलित और अन्य जातियों को कितना प्रतिनिधित्व दिया गया?
3. जिन जातियों को प्रतिनिधित्व नहीं मिला, उन्हें कब और कैसे मौका मिलेगा?
4. भाजपा अपनी जातिवाद-विरोधी नीति को कैसे अमल में लाएगी?
भाजपा के लिए यह चुनाव परीक्षा का समय
जिलाध्यक्ष का चुनाव भाजपा के लिए यह साबित करने का मौका है कि वह अपने नारे पर खरा उतर रही है। अगर पार्टी सभी जातियों को उचित प्रतिनिधित्व देने में विफल रहती है, तो यह न केवल भाजपा के लिए बल्कि उसके समर्थकों के लिए भी चिंता का विषय होगा।
जनता की नजर
महराजगंज की जनता भाजपा के इस चुनाव को जातीय संतुलन के नजरिए से देख रही है। भाजपा को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसका नारा ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ महज नारा बनकर न रह जाए।
निष्कर्ष:
जिलाध्यक्ष का चुनाव महराजगंज में भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी जातीय संतुलन बनाने में सफल होती है या नहीं।