भाजपा जिलाध्यक्ष पद की कुर्सी के लिए दावेदारी तेज, महराजगंज में राजनीति गरमाई

नई नियुक्ति पर टिकी निगाहें, संगठन के भीतर गुटबाजी और लाबिंग का दौर जारी
महराजगंज।
2027 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए महराजगंज जिले में भाजपा के नए जिलाध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर सियासी सरगर्मी चरम पर है। भाजपा जिलाध्यक्ष का पद जिले की राजनीति में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यही पदाधिकारी पार्टी को आगामी चुनावों में मजबूत आधार देने के लिए संगठनात्मक रणनीति तैयार करेगा। इसी को भांपते हुए जिलाध्यक्ष पद के लिए दावेदारों ने अपनी भाग-दौड़ तेज कर दी है।
राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री और संगठनात्मक चुनावों के प्रभारी स्वतंत्र देव सिंह गुरुवार को महराजगंज पहुंच रहे हैं। इस दौरान जिलाध्यक्ष पद के लिए रायशुमारी की जाएगी। बताया जा रहा है कि यह बैठक काफी महत्वपूर्ण होगी और इसमें संगठन की दिशा तय करने वाले कई बड़े फैसले लिए जा सकते हैं।
संजय पांडेय और परदेशी रबिदास समेत कई बड़े नाम रेस में
भाजपा जिलाध्यक्ष पद के लिए दावेदारों की सूची काफी लंबी है। वर्तमान जिलाध्यक्ष संजय पांडेय का दावा मजबूत माना जा रहा है, लेकिन उनकी राह इतनी आसान नहीं है। उनके खिलाफ कई अन्य दावेदारों ने भी मैदान में उतरकर अपनी ताकत झोंक दी है। इन दावेदारों में अरुणेश शुक्ला, परदेशी रबिदास, प्रदीप सिंह, ओम प्रकाश पटेल, आशुतोष शुक्ला, अरुण शुक्ला और अश्विनी सिंह के नाम प्रमुख हैं।
इसके अलावा, महराजगंज के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी जोरों पर है कि शहर का एक बड़ा जमीन कारोबारी भी इस पद की दौड़ में शामिल हो गया है। इस भू-माफिया ने अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए धन-बल का सहारा लेते हुए कई बड़े नेताओं तक अपनी पहुंच बनाई है।
गुटबाजी और बाहरी नेताओं का सहारा
जिलाध्यक्ष पद के लिए चल रही दौड़ में भाजपा के भीतर गुटबाजी भी उभरकर सामने आई है। पार्टी के दो गुटों के बीच इस पद को लेकर जोर-आजमाइश जारी है। कई दावेदार जिले के बाहर तक अपने संपर्कों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, एक दावेदार ने तो दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय तक अपनी पैरवी पहुंचा दी है। इस दावेदार ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित भाजपा कार्यालय के कई वरिष्ठ नेताओं के सामने अपनी दावेदारी रखी है। इसके अलावा, कुछ अन्य दावेदार भी राज्य और केंद्र स्तर के नेताओं के यहां परिक्रमा कर रहे हैं, ताकि किसी बड़े नाम का समर्थन उन्हें मिल सके।
जिले की राजनीति में बदलेंगे समीकरण
महराजगंज में भाजपा जिलाध्यक्ष की नियुक्ति न सिर्फ संगठन को नई दिशा देगी, बल्कि जिले की राजनीति में भी नए समीकरण तैयार करेगी। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि नए जिलाध्यक्ष की ताजपोशी से यह स्पष्ट हो जाएगा कि जिले में किस गुट का दबदबा है।
जानकारों का कहना है कि महराजगंज में भाजपा की गुटबाजी लंबे समय से चली आ रही है, और इस बार यह लड़ाई और भी तीव्र हो गई है। संगठन के भीतर कुछ पुराने नेताओं और नए उभरते चेहरों के बीच खींचतान जारी है। इस बार हाईकमान के फैसले पर सभी की नजरें टिकी हैं, क्योंकि यही फैसला जिले की सियासत को नई दिशा देगा।
संगठन की मजबूती के लिए जिलाध्यक्ष की भूमिका अहम
जिलाध्यक्ष का पद महराजगंज में भाजपा संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने में अहम भूमिका निभाता है। आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को जिले में अपना प्रदर्शन बेहतर करना है, ऐसे में नया जिलाध्यक्ष संगठन को धारदार बनाने का काम करेगा।
भाजपा कार्यकर्ताओं का मानना है कि जिलाध्यक्ष ऐसा होना चाहिए जो न केवल जिले के भीतर लोकप्रिय हो, बल्कि पार्टी की नीति और संगठन के लिए प्रतिबद्धता भी रखता हो। ऐसे में सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि हाईकमान किस नाम पर अपनी सहमति देगा।
दो-तीन दिनों में हो सकता है नाम का ऐलान
भाजपा के भीतर चल रही इस खींचतान का अंत जल्द ही हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक, अगले दो से तीन दिनों के भीतर नए जिलाध्यक्ष के नाम का ऐलान होने की संभावना है। इस दौरान दावेदारों की ओर से नामांकन प्रक्रिया पूरी की जाएगी, और हाईकमान अपनी पसंद को अंतिम रूप देगा।
क्या कहते हैं जानकार?
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि महराजगंज में भाजपा जिलाध्यक्ष पद की लड़ाई सिर्फ एक संगठनात्मक चुनाव नहीं है, बल्कि यह जिले में पार्टी की भविष्य की राजनीति तय करने वाला फैसला होगा। नए जिलाध्यक्ष की नियुक्ति से यह साफ हो जाएगा कि जिले की राजनीति में किसका कद सबसे ऊंचा है और कौन पार्टी के भीतर प्रभावशाली है।
भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि इस बार फैसला कार्यकर्ताओं और संगठन की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा। हालांकि, दावेदारों की भाग-दौड़ को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि किसके सिर ताज सजेगा।
सस्पेंस बरकरार
महराजगंज में भाजपा जिलाध्यक्ष पद की रेस ने न केवल सियासी गलियारों को गरमा दिया है, बल्कि जिले के आम नागरिकों की भी रुचि इस पर बढ़ा दी है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी के भीतर चल रही खींचतान किस ओर करवट लेती है और कौन सा चेहरा जिलाध्यक्ष के रूप में उभरता है।