अनुसूचित जाति की जमीन पर कब्जे का प्रयास, थानाध्यक्ष पर पक्षपात का आरोप
हरिजन आबादी की जमीन पर निर्माण कार्य कराने के विरोध में दलित परिवार का आरोप, थानाध्यक्ष द्वारा जातिसूचक गालियों और धमकियों का मामला
महराजगंज, उत्तर प्रदेश:
जिले के घुघली थाना क्षेत्र के कोहरा टोला गांव में अनुसूचित जाति के एक परिवार ने अपनी पुश्तैनी जमीन पर दबंगों द्वारा अवैध निर्माण और स्थानीय पुलिस के सहयोग से दबाव बनाए जाने का गंभीर आरोप लगाया है। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब पीड़ित परिवार ने पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई।
पीड़ित परिवार के मुताबिक, यह जमीन उनके पूर्वजों के समय से उनके कब्जे में रही है। वर्तमान में इस जमीन पर दो कानूनी विवाद चल रहे हैं। पहला मामला वाद संख्या 589/2020 अर्जुन बनाम छेदी है, जो सिविल जज अवर खंड प्रथम, महराजगंज की अदालत में लंबित है। इसकी अगली सुनवाई की तारीख 31 जनवरी 2025 निर्धारित है। वहीं, दूसरा मामला वाद संख्या 970/2017 सगीना बनाम सुखदेव का था, जो अदम पैरवी के कारण खारिज हो चुका है, लेकिन अब पुनः मूल नंबर पर दर्ज किया गया है।
थानाध्यक्ष पर पक्षपात का आरोप
पीड़ितों ने थानाध्यक्ष घुघली पर विपक्षी पक्ष के दबाव में आकर एकतरफा कार्रवाई करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि 11 जनवरी 2025 को थाना दिवस के अवसर पर उन्होंने अपनी शिकायत दर्ज कराई, लेकिन थानाध्यक्ष ने उनकी बात सुनने के बजाय उन्हें अपमानित किया।
पीड़ित परिवार के एक सदस्य ने आरोप लगाया, “थानाध्यक्ष ने हमें जातिसूचक शब्दों से संबोधित किया और खुलेआम गालियां दीं। उन्होंने धमकी दी कि अगर हमने निर्माण कार्य रोकने की कोशिश की तो हमें फर्जी मुकदमे में फंसा दिया जाएगा।”
दबंगई और निर्माण कार्य जारी
पीड़ितों के अनुसार, विपक्षी सुखदेव, छेदी, बिंदू, सुबेर, और उमेश के दबाव में आकर थानाध्यक्ष ने उन्हें धमकाया और विपक्षियों को निर्माण कार्य जारी रखने की अनुमति दे दी। पीड़ितों ने आरोप लगाया कि उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई और उनका अपमान किया गया।
सीएम और उच्च अधिकारियों से गुहार
प्रार्थीगण ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य उच्च अधिकारियों को मामले की जानकारी दी है। उन्होंने मांग की है कि तत्काल निर्माण कार्य रुकवाया जाए और उन्हें न्याय दिलाया जाए।
गांव में तनाव का माहौल
घटना के बाद से गांव में तनाव का माहौल है। पीड़ित परिवार और अन्य अनुसूचित जाति के लोग डर और असुरक्षा के साए में जी रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन ने समय पर कार्रवाई नहीं की तो स्थिति और बिगड़ सकती है।
प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में
इस पूरे मामले में प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस को निष्पक्षता से कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन यहां दबंगों को खुला समर्थन मिलता दिख रहा है।
न्याय की उम्मीद
पीड़ित परिवार को उम्मीद है कि पुलिस अधीक्षक और मुख्यमंत्री इस मामले में निष्पक्ष जांच कराएंगे और उन्हें न्याय दिलाएंगे। उन्होंने यह भी मांग की है कि थानाध्यक्ष पर जातिसूचक गालियां देने और धमकी देने के आरोप में सख्त कार्रवाई की जाए।
निष्कर्ष:
यह मामला एक बार फिर से दलित उत्पीड़न और दबंगई की घटनाओं की ओर ध्यान आकर्षित करता है। प्रशासन और पुलिस की निष्पक्षता सुनिश्चित करना इस मामले में न्याय दिलाने का सबसे बड़ा कदम होगा। अब देखना यह है कि उच्च अधिकारी इस मामले पर क्या कार्रवाई करते हैं।