डीएपी की ‘भरपूर उपलब्धता’ सिर्फ कागज़ों में!

डीएपी की ‘भरपूर उपलब्धता’ सिर्फ कागज़ों में!

पड़ताल में डीएपी नदारद 

महराजगंज में रोपाई सीजन में खाद की किल्लत, समितियों और दुकानों पर मायूस लौट रहे किसान

समिति पर मायुस बैठे किसान 

संवाददाता: पर्दाफाश न्यूज़ 24×7 | महराजगंज

खरीफ सीजन में रोपाई का कार्य जोरों पर है, लेकिन महराजगंज जिले में डीएपी और अन्य उर्वरकों की किल्लत ने किसानों की कमर तोड़ दी है। कृषि विभाग और सहकारिता विभाग दावा कर रहे हैं कि जिले में भरपूर खाद उपलब्ध है, मगर ज़मीनी सच्चाई यह है कि न समितियों के पास खाद है, न दुकानों पर। किसानों को मजबूरन कई किलोमीटर भटकना पड़ रहा है, फिर भी उन्हें डीएपी या अन्य आवश्यक उर्वरक नहीं मिल पा रहे।

कागज़ों में भारी स्टॉक, ज़मीन पर खाली गोदाम

 

जिला कृषि अधिकारी वीरेंद्र कुमार सिंह और मुख्य विकास अधिकारी अनुराग जैन का कहना है कि जिले में यूरिया, डीएपी, एनपीकेएस, एमओपी, एसएसपी जैसे सभी उर्वरक भारी मात्रा में उपलब्ध हैं। आंकड़ों के अनुसार:

फुटकर विक्रेताओं के पास: डीएपी 2233.605 मीट्रिक टन

थोक विक्रेताओं के पास: डीएपी 616.075 मीट्रिक टन

कृषि विभाग के गोदाम में: डीएपी 75.000 मीट्रिक टन

लेकिन जब किसान समितियों या दुकानों पर पहुंचते हैं, तो उन्हें बताया जाता है कि “रैंक नहीं आया है”, “खत्म हो गई”, या “तीन-चार दिन बाद आइए”।

खाद के लिए बेचैन किसान

सिर्फ दिखावे की प्रक्रिया, किसान बेहाल

खाद वितरण के लिए नियम भी तय किए गए हैं—जैसे खतौनी, आधार कार्ड, रकबे के अनुसार खाद की मात्रा निर्धारित करना आदि। लेकिन नियमों की आड़ में किसानों को उलझाया जा रहा है। उन्हें न तो समय पर खाद मिल पा रही है और न ही पक्की रसीदें दी जा रही हैं।

मिठौरा क्षेत्र के दरहटा, मधुबनी, जमुई, जगदौर, रामपुर मीर, भागाटार निचलौल क्षेत्र के रूदौली,गडौरा बेलवा, टिकुलहिया,बुडाडीह अरदौना फरेंदा में महुवा उर्फ महुली ,एल एस एस उदित पुर गोपाल पुर दुबे एल एस एस आनंदनगर बहुदेशीय परसा बेनी समिति पर खाद नहीं है।

रैंक 3-4 दिन बाद आएगा”, एआर का जवाब

सहकारिता विभाग के एआर सुनील कुमार गुप्ता ने बताया कि समितियों ने डिमांड भेज दी है, पैसा भी ट्रांसफर हो चुका है, लेकिन डीएपी की अगली खेप आने में 3-4 दिन लगेंगे। किसानों का कहना है कि ये जवाब वे पिछले हफ्ते से सुन रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई खेप समिति तक नहीं पहुंची।

जमाखोरी का आरोप, विभाग मौन

किसानों का आरोप है कि थोक और फुटकर विक्रेता जानबूझकर खाद की जमाखोरी कर रहे हैं। महंगे दामों में खाद बेचने के लिए ‘कृत्रिम संकट’ पैदा किया जा रहा है। भले ही विभागीय अधिकारी दावा करें कि स्टॉक की निगरानी की जा रही है, लेकिन जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल उलट है।

96 समितियां, 800 दुकानदार – फिर भी खाद नहीं!

जनपद में 96 सहकारी समितियां और 800 पंजीकृत उर्वरक विक्रेता हैं। इसके बावजूद खाद की ऐसी विकट समस्या का सामने आना व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। कृषि विभाग और सहकारिता विभाग एक-दूसरे के पाले में गेंद डाल रहे हैं और भुगतना किसानों को पड़ रहा है।

लगभग 50% रोपाई पुर्ण 

जहां एक ओर प्रशासन कागज़ों में उपलब्धता दिखाकर अपनी पीठ थपथपा रहा है, वहीं दूसरी ओर किसान रोपाई के सबसे ज़रूरी समय में खाद के लिए तरस रहे हैं। अगर जल्द ही डीएपी और अन्य उर्वरकों की आपूर्ति बहाल नहीं हुई, तो रोपाई पर सीधा असर पड़ेगा, जिसका खामियाजा आगामी फसल उत्पादन पर पड़ेगा।

पर्दाफाश न्यूज़ 24×7 की पड़ताल में यह स्पष्ट होता है कि खाद की समस्या सिर्फ आपूर्ति की नहीं, बल्कि व्यवस्था की विफलता और अधिकारियों की लापरवाही की कहानी कह रही है। किसान आज भी उसी सरकारी ‘सिस्टम’ से जूझ रहा है, जो सिर्फ आंकड़ों में विकास दिखाता है।