लोकायुक्त के निर्देश पर वन विभाग की त्रिसदस्यीय टीम ने शुरू की जांच

लोकायुक्त के निर्देश पर वन विभाग की त्रिसदस्यीय टीम ने शुरू की जांच

सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग में 90 लाख के गबन का आरोप, भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग

महराजगंज: लोकायुक्त उत्तर प्रदेश के आदेश पर वन विभाग की त्रिसदस्यीय टीम ने 1 अप्रैल को सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग, महराजगंज में पहुंचकर गहन जांच शुरू की। टीम के अध्यक्ष डॉ. एच. राजामोहन के नेतृत्व में डीएफओ राजू राजा लिंगम और डीएफओ धनराज मीना इस जांच में शामिल रहे। यह जांच वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार तिवारी द्वारा दायर परिवाद के आधार पर की जा रही है, जिसमें वन विभाग के अधिकारियों पर 90 लाख रुपये के गबन का गंभीर आरोप लगाया गया है।

वन विभाग की वित्तीय अनियमितताओं पर उठे सवाल

पत्रकार मनोज तिवारी ने जांच समिति को एक विस्तृत मांग-पत्र सौंपते हुए विभाग की जांच प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की मांग की। उन्होंने जांच टीम को मांग पत्र सौंपते हुए जांच के चारों बिंदु पर निम्न मांग किया कि परियोजनाओं के प्रस्ताव कब भेजे गए, किन अधिकारियों ने उन्हें मंजूरी दी, और शासन से किस तिथि को धनराशि स्वीकृत हुई। इसके अलावा, उन्होंने इस बात की भी जांच की मांग की कि धनराशि किन खातों में स्थानांतरित की गई और सामग्री किन फर्मों से खरीदी गई।

लैन्टेना और गाजर घास की सफाई के नाम पर 12.50 लाख का फर्जीवाड़ा

शिकायत में कहा गया है कि सोहागी बरवां वन्यजीव प्रभाग द्वारा लैन्टेना और गाजर घास की सफाई के नाम पर 12.50 लाख रुपये खर्च दिखाया गया, जबकि इस क्षेत्र में ये वनस्पतियां पाई ही नहीं जातीं। सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी से स्पष्ट हुआ कि इससे पहले किसी भी वित्तीय वर्ष में इस मद में कोई खर्च नहीं किया गया था। इतना ही नहीं, सेंचुरी घोषित क्षेत्र में लैन्टेना सफाई ही नहीं हो सकती है। आरोप है कि इस धनराशि को नियमों के विपरीत कुछ खास व्यक्तियों के बैंक खातों में स्थानांतरित कर गबन किया गया।

जलकुंभी सफाई के नाम पर 8 लाख का घोटाला

शिकायत के अनुसार, उत्तरी चौक रेंज के चार तालाबों से जलकुंभी हटाने के नाम पर 8 लाख रुपये खर्च किए गए, जबकि इन तालाबों में जलकुंभी पाई ही नहीं जाती। इन तालाबों का क्षेत्रफल 10 हेक्टेयर से भी कम है। इस फर्जी खर्च की पुष्टि के लिए शिकायतकर्ता ने दो तत्कालीन वन अधिकारियों की बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग भी जांच समिति को सौंपी, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है।

अस्थायी पुल निर्माण के नाम पर 3 लाख की धांधली

वन विभाग द्वारा प्यास और रोहिणी नदी पर दो अस्थायी पुलों के निर्माण के लिए 3 लाख रुपये निकाले गए। लेकिन जांच में पाया गया कि पुल कभी बने ही नहीं। विभाग के अधिकारियों ने तर्क दिया कि पुल फरवरी में बनाया गया और मार्च में बारिश के कारण बह गया, लेकिन शिकायतकर्ता ने इसे भौगोलिक और प्राकृतिक सिद्धांतों के खिलाफ बताया।

पौधशालाओं में मिट्टी डालने के नाम पर 7 लाख रुपये का गबन

वित्तीय वर्ष 2023-24 में निचलौल और उत्तरी चौक रेंज की पौधशालाओं में मिट्टी डालने और ऊंचीकरण के नाम पर क्रमशः 5 लाख और 2 लाख रुपये खर्च दिखाए गए। जबकि बजट अक्टूबर 2023 में आ चुका था, लेकिन यह कार्य फरवरी और मार्च 2024 में दिखाया गया। शिकायतकर्ता के अनुसार, यह राशि अधिकारियों द्वारा अपने चहेतों के खातों में स्थानांतरित कर दी गई।

जांच समिति ने शुरू की जांच, विभागीय अधिकारियों में हड़कंप

लोकायुक्त के निर्देश पर गठित जांच समिति ने देर रात तक बैठक कर मामले की जांच की। वरिष्ठ पत्रकार मनोज तिवारी ने न्यायहित में जांच रिपोर्ट की एक प्रति मांगी है, ताकि आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके। इस घोटाले के उजागर होने के बाद विभागीय अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। लेकिन जांच अधिकारियों द्वारा सिर्फ कार्यालय में बैठक जांच प्रक्रिया किया गया स्थलीय निरीक्षण नहीं किया गया ऐसे में संशय भी बना हुआ है कि जांच प्रकिया को कैसे पुर्ण माना जाए

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जांच समिति 2 अप्रैल 2025 को जांच पुरी कर वापस  लौट कर रिपोर्ट में क्या निष्कर्ष निकलती हैं और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है।