जांच एजेंसियों से घिरे धीरेन्द्र प्रताप सिंह की मुख्यमंत्री दरबार में हाजिरी, सोशल मीडिया पर उठे सवाल

लोकायुक्त और विजिलेंस जांच से परेशान कथित ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि धीरू सिंह की योगी आदित्यनाथ संग तस्वीरें वायरल, पत्रकार ने जताई निष्पक्षता पर आशंका
लखनऊ, 03 जून 2025:
जनपद महराजगंज के सिसवा ब्लॉक के कथित ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि धीरेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ धीरू सिंह, जिन पर पत्रकार मनोज कुमार तिवारी ने भ्रष्टाचार और हत्या की साजिश रचने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं, अब एक नई बहस के केंद्र में आ गए हैं। सोशल मीडिया पर वायरल एक तस्वीर में वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दरबार में हाजिरी लगाते हुए नजर आ रहे हैं, जिससे जांच की निष्पक्षता को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं।

यह मामला तब चर्चा में आया जब पत्रकार मनोज तिवारी ने प्रदेश के मुख्य सचिव को एक पत्र भेजकर आरोप लगाया कि धीरू सिंह और उनके ससुर, वर्तमान एमएलसी देवेन्द्र प्रताप सिंह, उनके खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज कराने और हत्या कराने की साजिश रच रहे हैं। तिवारी ने कहा कि उन्होंने भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर किया है और इसी के चलते वह इन प्रभावशाली लोगों के निशाने पर हैं।
तिवारी द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच लोकायुक्त और विजिलेंस विभाग कर रहे हैं। इसी बीच धीरू सिंह की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ बैठक की तस्वीर सामने आने से यह शंका गहराने लगी है कि कहीं वे राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर जांच को प्रभावित करने की कोशिश तो नहीं कर रहे।
तिवारी ने एक फेसबुक पोस्ट में सवाल उठाया, “जिस व्यक्ति पर भ्रष्टाचार और हत्या की साजिश जैसे गंभीर आरोप हों, जो लोकायुक्त और विजिलेंस के रडार पर हो, वह मुख्यमंत्री जी के साथ कैसे बैठ सकता है? क्या यही है शासन की पारदर्शिता?”
तस्वीर में धीरू सिंह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उपस्थित दिखाई दे रहे हैं। इस पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ यूजर्स ने लिखा कि “जिन्हें जांच में सहयोग देना चाहिए, वे राजनीतिक छत्रछाया में सुरक्षा ढूंढ रहे हैं।”
हालांकि अभी तक इस तस्वीर पर शासन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन यह बात जरूर सामने आ रही है कि पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की सुरक्षा और शिकायतों की निष्पक्ष जांच एक बार फिर से सवालों के घेरे में है।
इस पूरे मामले ने प्रदेश के प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस मामले की उच्च स्तरीय जांच नहीं कराई गई और आरोपों की पुष्टि या खंडन नहीं हुआ, तो यह शासन की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गहरा असर डाल सकता है।