सत्ता की छाया में पलता अपराध: कोठीभार के आपराधिक राजन विश्वकर्मा की कहानी

सत्ता की छाया में पलता अपराध: कोठीभार के आपराधिक राजन विश्वकर्मा की कहानी

राजन विश्वकर्मा

एम एल सी देवेन्द्र प्रताप सिंह

टिंकू मिश्रा

एमएलसी प्रतिनिधि बताकर अपराध करने वाला राजन, एसपी और थानाध्यक्ष पर बना रहा है दबाव, पीड़ित पत्रकार ने की न्यायिक जांच की मांग

 

उत्तर प्रदेश के जनपद महराजगंज के कोठीभार थाना क्षेत्र में राजन विश्वकर्मा उर्फ अभय पुत्र विरेन्द्र विश्वकर्मा एक ऐसा नाम बन चुका है, जो अपराध की दुनिया में सत्ता की छाया में निरंतर फल-फूल रहा है। खुद को एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह का प्रतिनिधि बताने वाला यह व्यक्ति, ब्लॉक प्रमुख धीरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ धीरू सिंह के संरक्षण में खुलेआम अपराधिक गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। उस पर कोठीभार थाने में दर्ज कई संगीन मुकदमे इसकी पुष्टि करते हैं।

आपराधिक इतिहास पर एक नजर:

राजन विश्वकर्मा के खिलाफ कोठीभार थाने में दर्ज प्रमुख मुकदमों की सूची निम्नलिखित है:

1. मु0अ0सं0 434/24 – धारा 115(2), 324(4), 351(3), 352 BNS

2. मु0अ0सं0 302/22 – धारा 504, 506 भादवि, एवं SC/ST एक्ट की धारा 3(1)(ध), 3(2)(Va)

3. मु0अ0सं0 486/23 – धारा 147, 323, 427, 504, 506 भादवि

4. मु0अ0सं0 230/20 – धारा 147, 269, 323, 341, 504, 506 भादवि तथा महामारी अधिनियम 1897

 

इन मुकदमों से स्पष्ट है कि राजन विश्वकर्मा किसी आम अपराधी की तरह नहीं, बल्कि एक सुनियोजित नेटवर्क के तहत काम करने वाला, सत्ता संरक्षित अपराधी है।

हत्या के प्रयास का मामला: पत्रकार मनोज तिवारी का बयान

पत्रकार मनोज तिवारी, जो स्वयं एक हमले का शिकार हो चुके हैं, बताते हैं कि 14 अक्टूबर 2023 को उनके ऊपर जानलेवा हमला किया गया था। इस हमले का मुकदमा 486/2023 के अंतर्गत कोठीभार थाने में दर्ज किया गया। इस घटना में राजन विश्वकर्मा, टिंकू मिश्रा सहित अन्य लोगों की संलिप्तता बताई गई थी।

लेकिन पीड़ित का आरोप है कि सत्ता के दबाव में आकर विवेचक ने धाराएं कमजोर कर दीं और मोबाइल चोरी होने के बावजूद आज तक बरामदगी नहीं की गई। इससे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब अपराध के साक्ष्य मौजूद हैं, तो उन्हें नजरअंदाज क्यों किया गया?

एसपी महाराजगंज और थानाध्यक्ष पर दबाव के आरोप

मनोज तिवारी ने बताया कि जब उन्होंने मामले में निष्पक्ष जांच के लिए विजिलेंस से जांच की मांग की, तो उन्हें ही धमकाया गया। आरोप है कि तत्कालीन एसपी सोमेंद्र मीणा ने फाइल वापस कोर्ट से वापस मंगाकर कोठीभार थाना अध्यक्ष अखिलेश सिंह पर दबाव डाला कि राजन विश्वकर्मा और अन्य अभियुक्तों के नाम केस से बाहर किए जाएं।

मनोज तिवारी के अनुसार, यह पूरा घटनाक्रम दर्शाता है कि किस तरह सत्ता के प्रभाव में अपराधियों को बचाने का प्रयास किया गया और पीड़ित को ही प्रताड़ित किया गया।

पत्रकारिता पर दबाव और झूठी शिकायतें

जब पत्रकार ने न्याय के लिए आवाज उठाई तो राजन विश्वकर्मा व उसके संरक्षकों द्वारा एसपी कार्यालय में झूठी शिकायतें दर्ज कराई गईं। साथ ही मीडिया में कोठीभार थानाध्यक्ष के विरुद्ध अनर्गल बयानबाज़ी शुरू की गई ताकि पुलिस पर दबाव बनाया जा सके और जांच को प्रभावित किया जा सके।

इससे यह प्रतीत होता है कि सत्ता और अपराध के गठजोड़ के खिलाफ बोलने वालों को प्रताड़ित करने की एक सुनियोजित रणनीति अपनाई जा रही है।

मांग: विजिलेंस जांच व न्यायिक हस्तक्षेप

पत्रकार मनोज तिवारी ने मांग की है कि इस प्रकरण की जांच विजिलेंस विभाग से कराई जाए ताकि निष्पक्षता बनी रहे। उनका यह भी कहना है कि जिस तरह से सत्ता में बैठे लोगों के संरक्षण में अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं, यह प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है।

मनोज तिवारी ने यह भी अनुरोध किया कि मामले की न्यायिक निगरानी में दोबारा जांच कराई जाए और पूर्व में कम की गई धाराओं को पुनः जोड़ा जाए।

उत्तर प्रदेश में अपराध और सत्ता का गठजोड़ कोई नई बात नहीं है, लेकिन कोठीभार थाना क्षेत्र में जो हो रहा है, वह गंभीर चिंता का विषय है। जब एक पत्रकार, जो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, खुद को असुरक्षित महसूस करता है और पुलिस पर ही सवाल खड़े करने पड़ते हैं, तो यह स्थिति साफ दर्शाती है कि कानून व्यवस्था गहरे संकट में है।

यह आवश्यक है कि शासन-प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले और राजन विश्वकर्मा जैसे अपराधियों पर सख्त कार्यवाही कर उन्हें संरक्षण देने वालों की भी जांच कराए। नहीं तो आने वाले समय में सत्ता के साथ खड़े अपराधियों का हौसला और बढ़ेगा और आम जनता का कानून पर से विश्वास खत्म हो जाएगा।

संवाददाता -सुर्य प्रकाश तिवारी की विशेष रिपोर्ट
स्थान: महाराजगंज, उत्तर प्रदेश
प्रकाशन तिथि: 04 जून 2025