मनरेगा और शीला फलक घोटाले से घिरे अधिकारी करूणाकर अदीब का तबादला, शासन ने आयुक्त कार्यालय से किया सम्बद्ध

मनरेगा और शीला फलक घोटाले से घिरे अधिकारी करूणाकर अदीब का तबादला, शासन ने आयुक्त कार्यालय से किया सम्बद्ध

भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के चलते महराजगंज से हटाए गए अदीब, शीला फलक घोटाले के मास्टरमाइंड बताए जा रहे अधिकारी पर कई जांचें लंबित

लखनऊ, 6 जून 2025 — उत्तर प्रदेश शासन ने ग्राम्य विकास विभाग में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल करते हुए महराजगंज जनपद में तैनात उपायुक्त (श्रम रोजगार) श्री करूणाकर अदीब को तत्काल प्रभाव से आयुक्त, ग्राम्य विकास कार्यालय, लखनऊ से सम्बद्ध कर दिया है। शासन की इस कार्यवाही को गंभीर आरोपों और लम्बित जांचों की पृष्ठभूमि में बेहद अहम माना जा रहा है।

गौरतलब है कि श्री अदीब पर मनरेगा घोटाले, ग्राम पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार को छुपाने, और बहुचर्चित शीला फलक घोटाले जैसे मामलों में गंभीर संलिप्तता के आरोप हैं। सूत्रों के अनुसार, डीसी मनरेगा के पद पर रहते हुए करुणाकर अदीब के खिलाफ सतर्कता विभाग द्वारा जांच चल रही है। आरोप है कि उन्होंने मनरेगा योजनाओं में बड़े स्तर पर वित्तीय अनियमितताओं को बढ़ावा दिया और कई आरोपियों को जांच के दायरे से बाहर रखने का प्रयास किया।

ग्राम पंचायत जांच में भ्रष्टाचार की लीपापोती

जनपद महराजगंज के पकड़ी भारत खंड में एक ग्राम प्रधान के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच में श्री अदीब ने कथित रूप से प्रधान को बचाने की मंशा से तीन प्रमुख आरोपियों को जांच रिपोर्ट से बाहर रखा। उन्होंने केवल दो छोटे स्तर के कर्मियों पर भ्रष्टाचार का दोषारोपण कर रिपोर्ट को समाप्त कर दिया, जिससे स्पष्ट होता है कि वे प्रभावशाली दोषियों को संरक्षण दे रहे थे।

शीला फलक घोटाले से जुड़ी अहम भूमिका

श्री अदीब पर सबसे गंभीर आरोप शीला फलक घोटाले से जुड़े हैं, जिसमें उन्हें पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। इस घोटाले में उच्च स्तर की जांच चल रही है, और इसमें प्रदेश के कई जनपदों में फर्जी तरीके से ग्राम्य विकास योजनाओं के नाम पर फर्जी खरीद और भुगतान का आरोप है। आरोपों के अनुसार, अदीब ने खुद ही अपनी जांच करते हुए खुद को क्लीन चिट देने का प्रयास किया। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब यह स्पष्ट होता है कि जांच की जिम्मेदारी भी उन्हीं के पास थी।

मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश के हस्तक्षेप के बाद हुई कार्रवाई

इन सभी आरोपों को देखते हुए मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश के पत्र को देखते हुए प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास को मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, मुख्य सचिव को बीते दिनों इस संबंध में विस्तृत शिकायत और दस्तावेज प्राप्त हुए, जिसके बाद उन्होंने त्वरित संज्ञान लेते हुए 5 जून 2025 को एक आदेश जारी कर आयुक्त ग्राम्य विकास को कार्रवाई के निर्देश दिए। उसी के अनुपालन में यह तबादला आदेश निर्गत किया गया है।

शासन का कदम सतर्कता और जवाबदेही की दिशा में

शासन द्वारा यह कदम प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर एक मजबूत संदेश के रूप में देखा जा रहा है। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे अधिकारी का स्थानांतरण न केवल आवश्यक था, बल्कि यह ग्रामीण विकास योजनाओं की साख बनाए रखने के लिए भी जरूरी था।

इस बीच, प्रयागराज में तैनात जिला विकास अधिकारी श्री भोलानाथ कनौजिया को महराजगंज में तैनात किया गया है। शासन को उम्मीद है कि नई तैनाती से जिले में ग्रामीण विकास योजनाओं का पारदर्शी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सकेगा।

अब देखना होगा कि शासन श्री करूणाकर अदीब के खिलाफ लंबित जांचों को किस दिशा में आगे बढ़ाता है और शीला फलक घोटाले की परतें कब तक पूरी तरह खुल पाती हैं। ग्रामीण विकास से जुड़े इन घोटालों ने न सिर्फ योजनाओं की साख को आघात पहुंचाया है, बल्कि जनता का भरोसा भी डगमगाया है।