दुनिया का सबसे ऊंचा चिनाब रेलवे ब्रिज बनकर तैयार भारतीय इंजीनियरिंग की विश्वस्तरीय उपलब्धि, कश्मीर को देश से जोड़ेगा नया जीवनरेखा

दुनिया का सबसे ऊंचा चिनाब रेलवे ब्रिज बनकर तैयार

चिनाब बृज

भारतीय इंजीनियरिंग की विश्वस्तरीय उपलब्धि, कश्मीर को देश से जोड़ेगा नया जीवनरेखा

भारत ने एक और विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। जम्मू-कश्मीर की खूबसूरत घाटियों और दुर्गम पहाड़ियों के बीच बना चिनाब रेलवे ब्रिज अब दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज बन चुका है। यह ब्रिज न केवल भारत की इंजीनियरिंग क्षमता का परिचायक है, बल्कि राष्ट्रीय एकता और सामरिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। चिनाब नदी पर बना यह ब्रिज तकनीक, मजबूती और डिजाइन का अद्भुत संगम है।

चिनाब ब्रिज की प्रमुख विशेषताएं

यह ब्रिज 359 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जो इसे पेरिस के एफिल टावर (324 मीटर) से भी 35 मीटर अधिक ऊंचा बनाता है। इसकी लंबाई 1,315 मीटर है और इसे बनाने में करीब 30,000 टन स्टील का इस्तेमाल हुआ है। यह ब्रिज उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य कश्मीर घाटी को पूरे भारत से जोड़ना है।

इसकी नींव इतनी मजबूत है कि यह 260 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली तेज हवाओं को झेल सकती है। साथ ही यह भूकंप के सबसे खतरनाक क्षेत्र यानी भूकंप जोन-V में भी पूरी तरह से स्थिर रह सकती है। इसकी नींव की चौड़ाई आधे फुटबॉल मैदान के बराबर है, जो इसे और भी ज्यादा टिकाऊ बनाती है।

अंजी ब्रिज: एक और तकनीकी चमत्कार

चिनाब ब्रिज के साथ ही जम्मू-कश्मीर में एक और शानदार पुल का निर्माण हुआ है – अंजी ब्रिज। यह भारत का पहला केबल-स्पैन रेलवे ब्रिज है। इसकी लंबाई 725.5 मीटर है और इसका संपूर्ण ढांचा एक केंद्रीय पिलर पर टिका है। इसका सेंट्रल पायलन 193 मीटर ऊंचा है और इसमें 96 स्टे केबल्स लगे हुए हैं, जो पूरे ब्रिज को स्थिरता प्रदान करते हैं।

अंजी ब्रिज को खासतौर पर अत्यधिक ढलान वाले क्षेत्र में इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह कम जगह में अधिक भार को संभाल सके। यह ब्रिज भी उधमपुर-श्रीनगर रेल परियोजना का ही हिस्सा है।

क्यों हैं ये ब्रिज खास?

इन दोनों ब्रिजों का निर्माण न केवल इंजीनियरिंग की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामरिक और सामाजिक दृष्टि से भी इनका अत्यंत महत्व है। ये पुल कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से हर मौसम में जोड़ने का कार्य करेंगे। इससे न केवल क्षेत्रीय व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि सैन्य साजोसामान की आवाजाही भी अधिक प्रभावी और तीव्र हो सकेगी।

भारत की यह उपलब्धि पूरी दुनिया में सराही जा रही है। यह दर्शाता है कि भारतीय इंजीनियर अब सबसे कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में भी विश्वस्तरीय संरचनाएं बनाने में सक्षम हैं।

चिनाब और अंजी ब्रिज न केवल भारत के इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास की नई ऊंचाईयों को दर्शाते हैं, बल्कि यह संदेश भी देते हैं कि कठिनाइयों को पार करके ही असली प्रगति की राह तैयार होती है। यह केवल पुल नहीं, बल्कि भारत की आकांक्षा, आत्मनिर्भरता और अटूट संकल्प का प्रतीक हैं।