ठूठीबारी घोटाले की जांच फाइलों में दबकर रह गई, जांच आदेश के बावजूद नहीं हुई कार्रवाई

ठूठीबारी घोटाले की जांच फाइलों में दबकर रह गई, जांच आदेश के बावजूद नहीं हुई कार्रवाई

कार पार्किंग व स्कूल फर्नीचर घोटाले की शिकायतों पर महीनों से हो रहा है टालमटोल, सूत्रों का दावा – बड़े अधिकारियों की संलिप्तता से रुक रही जांच

 

महराजगंज, जून 2025।
जिले के निचलौल विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत ठूठीबारी में हुए फर्नीचर आपूर्ति और टैक्सी स्टैंड निर्माण घोटाले की जांच को लेकर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। 6 मार्च 2025 को जिला पंचायत राज अधिकारी द्वारा स्पष्ट आदेश दिए गए थे कि ग्राम पंचायत में हुए इन कार्यों की जांच सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) द्वारा शिकायतकर्ताओं की उपस्थिति में कर एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपी जाए। लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी न तो जांच पूरी हुई और न ही कोई कार्रवाई हुई।

शिकायतकर्ताओं श्री उमाकांत पाण्डेय और श्री सन्नी निगम ने प्राथमिक विद्यालय सडकहवा में डेस्क-बेंच आपूर्ति में भारी अनियमितताओं, बिना GST के ₹4.78 लाख का भुगतान, बिना मोहर व हस्ताक्षर के बिल, तथा निविदा प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। वहीं ग्राम पंचायत में हाल ही में बनी कार पार्किंग/टैक्सी स्टैंड की रिटर्निंग वॉल टूटने और मरम्मत में अनियमितता का भी आरोप है।

प्रशासन द्वारा स्पष्ट निर्देशों के बावजूद जांच की प्रक्रिया ठप पड़ी है। अब यह सवाल उठने लगे हैं कि आखिर जांच में देरी क्यों हो रही है? क्या विभागीय अधिकारियों द्वारा जानबूझकर इस मामले को दबाया जा रहा है?

सूत्रों की मानें तो जिले की एक वरिष्ठ महिला अधिकारी पर गंभीर आरोप लग रहे हैं कि वे इस मामले में संलिप्त हैं और जांच को दबाने के लिए “मैनेजमेंट” का खेल चल रहा है। इसी कारण जांच रिपोर्ट आज तक नहीं आ सकी है।

ग्रामीणों का कहना है कि जांच के नाम पर सिर्फ चिट्ठी-पत्री और फाइलों का खेल चल रहा है। न कोई स्थलीय सत्यापन हुआ और न ही शिकायतकर्ताओं को अब तक बुलाया गया। यह स्थिति प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करती है।

यदि जल्द ही निष्पक्ष जांच शुरू नहीं हुई तो ग्रामीण जन आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं। जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन को अब हस्तक्षेप कर पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम लग सके और दोषियों को सज़ा मिल सके।