मनरेगा में दिखावटी कार्य का खेल: कागज़ों पर 145 मजदूर सक्रिय, ज़मीन पर भ्रष्टाचार और साजिश

पचरुखिया ग्राम पंचायत में इंटरलॉकिंग और पोखरी जीर्णोद्धार के नाम पर चल रही फोटोबाजी, हकीकत में कोई कार्य नहीं
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महराजगंज, 28 जून 2025 — महराजगंज जिले की घुघुली ब्लॉक की ग्राम पंचायत पचरुखिया में मनरेगा योजनाओं के अंतर्गत दर्शाए जा रहे कार्यों में भारी अनियमितताएं सामने आई हैं। दो अलग-अलग कार्यों की पड़ताल में यह स्पष्ट हुआ है कि ज़मीन पर कोई वास्तविक काम नहीं हो रहा, फिर भी मजदूरों की उपस्थिति दर्ज कर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है।
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इंटरलॉकिंग कार्य: पहले ही हो चुका है निर्माण, फिर भी चल रहा “कार्य”
पचरुखिया में “मेन रोड से सकीना खातून के घर तक इंटरलॉकिंग कार्य” के नाम पर दिनांक 27 जून 2025 को उपस्थिति दर्ज की गई। ASHA TIWARI द्वारा सुबह 07:57 पर ली गई फोटो NMMS पोर्टल पर अपलोड की गई है, जिसमें 27 मजदूरों की मौजूदगी दिखाई गई है।
लेकिन जब कार्यस्थल की सच्चाई देखी गई तो यह पाया गया कि इंटरलॉकिंग कार्य की गिट्टी तोड़ाई बहुत पहले पूरा हो चुका है। फोटो में स्पष्ट देखा जा सकता है कि गिट्टी के बीच में दूब और घास जम चुकी है, जो इस बात का प्रमाण है कि पिछले कई दिनों से कोई कार्य नहीं हुआ।
इसके बावजूद चार मास्टर रोल में कुल 27 लेबर की उपस्थिति दर्ज कर सरकारी धन का बंदरबांट किया गया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि मजदूरों को सिर्फ उपस्थिति के लिए बुलाया जाता है, वास्तविक कार्य बिल्कुल नहीं होता।
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गोबरही पोखरी का जीर्णोद्धार: पानी से लबालब, फिर भी 118 मजदूर कार्यरत!
इसी पंचायत में एक अन्य कार्य “गोबरही पोखरी (गाटा संख्या 374) का जीर्णोद्धार” के नाम पर चल रहा है, जिसकी फोटो 27 जून को सुबह 07:26 पर ली गई है। फोटो में पोखरी पूरी तरह पानी से भरी हुई नजर आ रही है।
सबसे हैरानी की बात यह है कि इस कार्य में कुल 118 मजदूरों की उपस्थिति दर्ज की गई है। सवाल यह उठता है कि जिस पोखरी में चारों तरफ पानी लबालब भरा है, वहां इतने मजदूर किस प्रकार कार्य कर रहे हैं?
स्थानीय लोग बता रहे हैं कि पोखरी के तटबंध पर कुछ महीनों पहले सीमित काम हुआ था, लेकिन अब वहां कोई गतिविधि नहीं है। अधिकांश फोटो या तो पुरानी हैं या जानबूझकर ऐसे कोण से ली गई हैं जिससे भ्रम उत्पन्न हो।
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सवालों के घेरे में ग्राम पंचायत का प्रशासन
इन दोनों कार्यों में दूसरी अनिवार्य फोटो अपलोड नहीं की गई है, जो NMMS ऐप की एक प्रमुख शर्त है। इससे यह आशंका और पुख्ता होती है कि फोटो केवल हाज़िरी दिखाने के लिए खींची गई है।
स्थानीय स्तर पर यह चर्चा तेज हो गई है कि रोजगार सेवक और पंचायत अधिकारी मिलकर योजनाओं को सिर्फ कागजों पर चला रहे हैं, जबकि जमीनी हकीकत पूरी तरह अलग है।
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जांच की मांग तेज
ग्रामवासियों और जनप्रतिनिधियों ने इस फर्जीवाड़े की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि इस प्रकार की लापरवाही और भ्रष्टाचार न केवल सरकारी संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि असली जरूरतमंद मजदूरों के अधिकारों का हनन भी है।
अगर जल्द जांच और कार्रवाई नहीं हुई तो यह पूरा तंत्र ग्रामीण विकास की आत्मा को खत्म कर देगा। जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी से सख्त कदम उठाने की अपेक्षा की जा रही है।
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रिपोर्ट: मनोज कुमार तिवारी महराजगंज