पूर्व प्रधान और सचिव पर शौचालय घोटाले में FIR को लेकर आदेश, लेकिन डी डी ओ कर रहा अनदेखी!
जिलाधिकारी महराजगंज पर भारी डी डी ओ दो बार मिले स्पष्ट निर्देश, फिर भी नहीं हुई एफआईआर और निलंबन की कार्यवाही; पंचायत विभाग की कार्रवाई को नजरअंदाज करना उठा रहा कई सवाल
महराजगंज।
ग्राम पंचायत मदरहा ककटही, विकास खंड लक्ष्मीपुर में हुए शौचालय निर्माण घोटाले में पूर्व प्रधान और तत्कालीन सचिवों के विरुद्ध FIR दर्ज कराने तथा अनुशासनात्मक कार्यवाही के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद डीडीओ कार्यालय की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यह स्थिति जिले के प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।
जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) द्वारा भेजे गए पत्रांक 1039 / पंचायत / स्था० / 2025-26 दिनांक 14 जुलाई, 2025 में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि ग्राम पंचायत मदरहा ककटही में वर्ष 2024 में हुए व्यक्तिगत शौचालय निर्माण की जांच में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं। कुल 396 में से 219 शौचालयों का रैंडम सत्यापन किया गया, जिसमें 218 शौचालय मौके पर अनुपस्थित पाए गए। यह घोटाला ₹26.16 लाख का था, जिसमें ₹13.08 लाख पूर्व प्रधान नजरे आलम तथा ₹13.08 लाख तत्कालीन सचिवगण श्री मिलिंद चौधरी एवं श्री संतोष कुमार द्वारा दुरुपयोग किया गया।
उक्त प्रकरण की जांच रिपोर्ट मिलने के बाद जिला पंचायत राज अधिकारी ने दोनों पक्षों को कई बार कारण बताओ नोटिस भेजा, लेकिन किसी ने जवाब देना उचित नहीं समझा। इससे यह स्पष्ट हुआ कि दोनों पक्ष आरोपों को मौन स्वीकृति दे रहे हैं।
मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएम ने 1 जुलाई, 2025 को इस पूरे प्रकरण में एफआईआर और अनुशासनिक कार्रवाई हेतु विधिक राय प्राप्त करने का निर्देश दिया। इसके अनुपालन में संयुक्त निदेशक अभियोजन, महराजगंज ने 3 जुलाई, 2025 को स्पष्ट राय देते हुए कहा कि “प्रकरण में अभियोग पंजीकृत कराने तथा शासकीय कर्मियों के विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही किए जाने में कोई विधिक बाधा नहीं है।”
इसके बाद 14 जुलाई, 2025 को डीएम महोदय ने स्वयं अभियोग दर्ज करने व संबंधित सचिवों के निलंबन का स्पष्ट निर्देश दिया। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इतने स्पष्ट आदेशों के बावजूद जिला विकास अधिकारी महराजगंज द्वारा आज तक आरोपी सचिवो को निलंबित नहीं किया गया है और ना ही एडीओ पंचायत द्वारा एफआईआर ही कराया गया है
प्रश्न उठता है कि आखिर जिला विकास अधिकारी इस मामले में कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा?
क्या प्रशासनिक उदासीनता, राजनीतिक दबाव या फिर मिलीभगत इस देरी की वजह है? स्थानीय नागरिक और सामाजिक कार्यकर्ता इस पर नाराजगी जता रहे हैं और उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं।
इस मामले की निष्पक्ष जांच और त्वरित कार्रवाई न केवल भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए जरूरी है, बल्कि इससे आम जनता का प्रशासन पर भरोसा भी बहाल होगा। यदि इतने गंभीर मामले में भी अभियोग और निलंबन की कार्रवाई नहीं होती, तो अन्य भ्रष्टाचार मामलों में भी दोषियों को खुली छूट मिलना तय है।
अब देखना यह है कि डीएम महराजगंज इस घोटाले में अपने ही आदेशों का अनुपालन जिला विकास अधिकारी से कब और कैसे सुनिश्चित कराते हैं।