सोहगी बरवां में विकास कार्यों का बंटाधार: भ्रष्टाचार के शिकंजे में फंसी ग्राम पंचायत

सूचना अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी पर एक माह बाद भी अधूरी जवाबदेही, फाइलें ‘गायब’ बताकर टालमटोल
महराजगंज/निचलौल।
जनपद महराजगंज के दुर्गम क्षेत्र में स्थित ग्राम पंचायत सोहगी बरवां में विकास कार्यों की वास्तविकता एक बार फिर सवालों के घेरे में है। ग्रामीणों द्वारा लंबे समय से उठाई जा रही शिकायतों के बीच आरटीआई (जन सूचना अधिकार) के तहत वर्ष 2020 से 2023 तक कराए गए कार्यों की जानकारी मांगने पर भी पारदर्शिता का अभाव सामने आया है।
ग्राम सिंहपुर निवासी मनोज कुमार तिवारी द्वारा दिनांक 11 जून 2025 को पत्र संख्या 305 के तहत विकास कार्यों की पूरी जानकारी मांगी गई थी। लेकिन पूरे एक माह 13 दिन बीतने के बाद भी संबंधित विभाग ठोस जानकारी देने में असफल रहा। 31 जुलाई 2025 को ग्राम विकास अधिकारी आशुतोष दुबे की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि सोहगी बरवां का चार्ज उन्हें 17 जून को मिला है और तत्कालीन सचिव फिरोज आलम ने केवल परिवार रजिस्टर, जन्म-मृत्यु पंजिका और कार्रवाई रजिस्टर ही सौंपा है। विकास कार्यों से संबंधित कोई भी फाइल उपलब्ध नहीं कराई गई। इस वजह से सूचना देने में कठिनाई हो रही है।
विकास योजनाओं में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के आरोप
स्थानीय लोगों का कहना है कि ग्राम पंचायत के नाम पर करोड़ों रुपये का बजट खर्च दिखाया गया है, लेकिन जमीनी स्तर पर कार्यों की स्थिति संतोषजनक नहीं है। सोलर पैनल, इंटरलॉकिंग सड़क, नाली निर्माण, खरंजा, विद्यालयों के निर्माण एवं मरम्मत जैसे कार्य कागजों पर तो पूरे हो चुके हैं, लेकिन अधिकांश योजनाओं का कोई ठोस लाभ ग्रामीणों तक नहीं पहुंच पाया।
ग्रामवासियों का आरोप है कि प्रधान और उनके निकटस्थ लोगों द्वारा मिलकर धनराशि का दुरुपयोग किया गया है। कई काम बिना संबंधित अधिकारियों की सही मंजूरी के कराए गए दिखाकर भुगतान निकाल लिया गया।
कठपुतली प्रधान और पर्दे के पीछे का खेल
ग्रामीणों का कहना है कि वर्तमान प्रधान महज औपचारिक रूप से पद पर बैठे हैं, असली संचालन एक चालाक व्यक्ति के हाथ में है, जो बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में संलिप्त है। इस मिलीभगत के कारण पंचायत का विकास रुक गया है और ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए आज भी तरस रहे हैं।
विद्युत आपूर्ति से लेकर सड़क तक सब अधूरा
सोहगी बरवां जैसे दुर्गम क्षेत्र में अब तक स्थायी विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित नहीं हो पाई है। वहीं सड़क, नाली और अन्य आधारभूत सुविधाओं के नाम पर भारी रकम खर्च दिखाई गई, लेकिन नतीजा शून्य है।
फाइलों का गायब होना बड़ा सवाल
आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी का समय पर न मिलना और फाइलों के ‘गायब’ बताए जाने से पंचायती राज विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह सब जानकारी छिपाने और भ्रष्टाचार को बचाने की साजिश है।
ग्रामीणों ने उच्चाधिकारियों से तत्काल जांच की मांग की है, ताकि सोहगी बरवां में पिछले वर्षों में खर्च हुई धनराशि का सही हिसाब सामने आ सके और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।