मनोज प्रजापति की तैनाती पर उठे सवाल, भ्रष्टाचार के आरोपों पर उच्च स्तरीय जांच की मांग तेज
महराजगंज।
विकास खंड निचलौल के ग्राम पंचायत सचिव मनोज प्रजापति की लंबे समय से एक ही स्थान पर तैनाती को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने अपर मुख्य सचिव, पंचायती राज विभाग, उत्तर प्रदेश को पत्र भेजकर इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि मनोज प्रजापति बीते लगभग 20–25 वर्षों से निचलौल विकास खंड में ही कार्यरत हैं और राजनीतिक संरक्षण के चलते बार-बार स्थानांतरण आदेश जारी होने के बावजूद वहीं जमे हुए हैं।
शिकायत पत्र के अनुसार, जब भी उनके स्थानांतरण के आदेश आते हैं, दस्तावेजों में हेरफेर कर कुछ समय के लिए उन्हें अन्य जगह तैनात दिखाया जाता है, लेकिन कुछ ही महीनों बाद फिर से निचलौल में बहाल कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया से शासन के स्थानांतरण नीति की खुली धज्जियां उड़ रही हैं।
शिकायतकर्ता ने यह भी गंभीर आरोप लगाया है कि मनोज प्रजापति की स्थायी निवास जानकारी में भी गड़बड़ियां की गई हैं। बताया गया कि वे मूल रूप से बढ़या भोथियाही ग्राम के निवासी हैं, लेकिन आधिकारिक रिकॉर्ड में गोरखपुर का पता दर्ज है। यह सवाल खड़ा करता है कि फर्जी पते का उपयोग कर वर्षों तक एक ही विकास खंड में सेवा देना किस प्रकार की पारदर्शिता को दर्शाता है।
शिकायत में यह भी कहा गया है कि मनोज प्रजापति ने राजनीतिक नेताओं के प्रभाव का सहारा लेकर न केवल वर्षों तक एक ही विकास खंड में अपनी तैनाती बनाए रखी, बल्कि विभिन्न विकास योजनाओं में गड़बड़ी और वित्तीय अनियमितताओं में भी संलिप्त रहे हैं। शिकायतकर्ता मनोज कुमार तिवारी ने शासन से उनकी सम्पत्ति, बैंक खातों और पिछले 20–25 वर्षों में उनके द्वारा किए गए वित्तीय लेन-देन की गहन जांच कराने की मांग की है।
इस संबंध में जब मनोज प्रजापति से उनकी प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने आरोपों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि वे लगातार 20–25 वर्षों से निचलौल में ही कार्यरत हैं। उनका कहना है कि वर्ष 2021 में वे लगभग 10 महीने नौतनवा में और 2022 में 7 से 8 महीने गूगल विकास खंड में तैनात रहे थे। इसके बाद अगस्त 2022 से अब तक निचलौल में कार्यरत हैं। उनका कहना है कि सभी नियुक्तियां नियमों के तहत हुई हैं और लगाए गए आरोप निराधार हैं।
फिर भी स्थानीय स्तर पर यह चर्चा जोरों पर है कि क्यों बार-बार स्थानांतरण आदेश आने के बावजूद मनोज प्रजापति को निचलौल से हटाया नहीं जा रहा है। क्या वाकई इसमें राजनीतिक संरक्षण की भूमिका है या फिर यह केवल व्यक्तिगत आरोप हैं, यह तो उच्च स्तरीय जांच के बाद ही साफ हो पाएगा। फिलहाल इस मामले में शासन का रुख देखना महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि पंचायत सचिवों की तैनाती में पारदर्शिता बनाए रखना ग्रामीण विकास योजनाओं के सही क्रियान्वयन के लिए अत्यंत आवश्यक है।