यूरिया खाद संकट: प्रशासनिक कार्रवाई के बावजूद किसानों की समस्या जस की तस, महराजगंज में खाद विक्रेता व सहयोगी गिरफ्तार

यूरिया खाद संकट: प्रशासनिक कार्रवाई के बावजूद किसानों की समस्या जस की तस, महराजगंज में खाद विक्रेता व सहयोगी गिरफ्तार

 

महराजगंज, 10 अगस्त 2025।
जनपद महराजगंज में यूरिया खाद की कमी से जूझ रहे किसानों की परेशानियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। सरकार व प्रशासन द्वारा लगातार दावे किए जाने के बावजूद जमीनी स्तर पर खाद की उपलब्धता बेहद सीमित है। कई किसान घंटों लाइन में लगने के बाद भी खाली हाथ लौटने को मजबूर हैं। वहीं, इस समस्या को लेकर बढ़ते आक्रोश के बीच एक घटना ने पूरे क्षेत्र का ध्यान अपनी ओर खींचा, जब खाद मांगने पर एक किसान को चप्पल से पीटने का मामला सामने आया।

घटना थाना बृजमनगंज क्षेत्र के मामी चौराहा स्थित चौधरी खाद भंडार पर हुई। जानकारी के अनुसार, किसान ब्रह्मदेव चौरसिया पुत्र भरत चौरसिया, निवासी लेहडा बाजार टोला मुरादपुर, यूरिया खाद लेने पहुंचे थे। खाद की मांग पर विक्रेता पंकज चौधरी पुत्र स्व. उदय सिंह, निवासी जगदेवपुर, ने कथित तौर पर किसान के साथ अभद्रता की और चप्पल से मारपीट कर दी। इस पूरे मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही प्रशासन हरकत में आ गया।

थाना बृजमनगंज पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पंकज चौधरी के साथ उसके सहयोगी जैस मोहम्मद पुत्र हुब्बल, निवासी जीतपुर फुलमनहा, को गिरफ्तार कर लिया। दोनों के खिलाफ मुकदमा संख्या 245/2025 धारा 115(2), 352, 351(3) बीएनएस तथा 3/7 ईसी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर आवश्यक विधिक कार्रवाई की जा रही है। गिरफ्तारी टीम में व0उ0नि0 तारकेश्वर वर्मा, उ0नि0 गजेन्द्र प्रताप सिंह व हे0का0 आलोक कुमार शामिल रहे।

पुलिस ने स्पष्ट किया कि सर्वोच्च न्यायालय व मानवाधिकार आयोग के आदेशों का अक्षरशः पालन करते हुए यह गिरफ्तारी की गई है। प्रशासन ने इस कदम को किसानों की गरिमा की रक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया है।

हालांकि, स्थानीय किसानों का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई केवल सतही समाधान है, जबकि असली समस्या—यूरिया खाद की पर्याप्त उपलब्धता—अब भी दूर की कौड़ी बनी हुई है। किसानों का आरोप है कि सरकारी गोदामों और प्राइवेट डीलरों के पास पर्याप्त स्टॉक नहीं है, जिससे काला बाजारी और तस्करी को बढ़ावा मिल रहा है। कई किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि सरकारी तंत्र खाद वितरण में पारदर्शिता लाने में नाकाम साबित हो रहा है।

गांवों में खाद की कमी के कारण धान में खाद डालनें का काम प्रभावित हो रहा है, जिससे धान की फसल उत्पादन पर सीधा असर पड़ सकता है। किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही खाद की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं की गई, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।

विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक सरकार पर्याप्त मात्रा में यूरिया खाद सरकारी व निजी गोदामों में उपलब्ध नहीं कराती और वितरण प्रक्रिया पर कड़ी निगरानी नहीं रखती, तब तक ऐसी घटनाएं और विवाद सामने आते रहेंगे। प्रशासनिक सख्ती से तात्कालिक विवाद तो सुलझ सकते हैं, लेकिन खाद संकट का स्थायी समाधान नहीं निकलेगा।

कुल मिलाकर, महराजगंज में हुई यह घटना न केवल खाद वितरण प्रणाली की खामियों को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि किसानों की समस्याओं को जड़ से हल करने के लिए सरकार को और गंभीर, ठोस व दीर्घकालिक कदम उठाने होंगे।