खाद गोदाम में दबकर मौत या हार्ट अटैक? किसान की संदिग्ध मौत पर उठे सवाल, सरकारी तंत्र पर आरोप


महराजगंज। जिले में खाद वितरण केंद्र पर एक किसान की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रत्यक्षदर्शियों का दावा है कि मृतक किसान पर गोदाम में रखी खाद की बोरियां गिर गईं, जिससे वह दबकर मर गया। वहीं, सरकारी तंत्र इसे हार्ट अटैक बताने पर जोर दे रहा है। इस विरोधाभासी बयानबाजी से इलाके में आक्रोश और अविश्वास का माहौल है।
मिली जानकारी के अनुसार, कोठीभार थाना क्षेत्र के सबया दक्षिण टोला निवासी रमाशंकर (पुत्र परमहंस) गुरुवार शाम करीब 5 बजे बीजापुर स्थित खाद वितरण केंद्र पर खाद लेने पहुंचे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, वे केंद्र के अंदर गए और खाद वितरण की सभी औपचारिकताएं पूरी कर लीं। इसी दौरान, जब वे खाद लेने वाले थे, तभी अचानक गोदाम में रखी बोरियां उनके ऊपर गिर पड़ीं। ग्रामीणों का कहना है कि बोरियों के नीचे दबने से उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
लेकिन, प्रशासनिक अधिकारियों और समिति प्रबंधन का बयान बिल्कुल अलग है। सीडीएम नंद प्रकाश मौर्य का कहना है कि किसान की मौत हार्ट अटैक से हुई है। उनके मुताबिक, “किसान खाद लेने के लिए केंद्र के अंदर गया था, जहां अचानक हार्ट अटैक आने से उसकी मौत हो गई।”
घटना के बाद कोठीभार पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। हालांकि, पुलिस का कहना है कि वे सभी पहलुओं की जांच कर रहे हैं और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का कारण स्पष्ट होगा।
मृतक किसान के परिजनों का आरोप है कि सरकारी तंत्र इस हादसे की सच्चाई को छिपाने में जुटा है। उनका कहना है कि अगर मौत बोरियों के गिरने से हुई है, तो यह लापरवाही और सुरक्षा मानकों के उल्लंघन का मामला है। लेकिन इसे हार्ट अटैक बताकर जिम्मेदारी से बचने की कोशिश हो रही है।
ग्रामीणों का कहना है कि केंद्र पर भीड़ और अव्यवस्था पहले से ही बनी रहती है। गोदाम में खाद की बोरियां सही तरीके से नहीं रखी जातीं, जिससे कभी भी हादसा हो सकता है। लेकिन अधिकारियों और समिति प्रबंधन की लापरवाही से अब एक किसान की जान चली गई।
घटना के बाद गांव में शोक की लहर है और परिजन गहरे सदमे में हैं। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है, जबकि ग्रामीणों में गुस्सा साफ देखा जा सकता है। लोगों की मांग है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
इस बीच, मीडिया ने जब समिति के सचिव से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। वहीं, उच्च अधिकारियों की तरफ से भी अब तक कोई ठोस या संतोषजनक जवाब नहीं आया है।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि सरकार को इस मामले में पारदर्शिता रखनी चाहिए। यदि यह हादसा है, तो लापरवाह कर्मचारियों को निलंबित किया जाए और मृतक किसान के परिवार को आर्थिक मुआवजा दिया जाए। वहीं, यदि हार्ट अटैक की वजह साबित होती है, तो भी यह जरूरी है कि केंद्र पर भीड़ प्रबंधन और स्वास्थ्य सुरक्षा के इंतजाम बेहतर किए जाएं।
सिसवा के तमाम समाजसेवी और किसान नेताओं जैसे अमरेन्द्र कुमार संतोष मल ,शिव तिवारी, श्रीराम शाही बृजेन्द्र सिंह बांके चौरसिया, रविंद्र,धिरज तिवारी आदि ने किसान परिवार के दुःख के घड़ी में परिवार के साथ खड़े दिखाई दिए और निष्पक्ष जांच की मांग किया
फिलहाल, पूरे मामले की सच्चाई पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और पुलिस जांच के बाद ही सामने आएगी, लेकिन इस मौत ने खाद वितरण व्यवस्था की खामियों और सरकारी तंत्र की कार्यशैली पर गंभीर सवाल जरूर खड़े कर दिए हैं।