सोहगी बरवां वन्यजीव प्रभाग में 500 पेड़ों का अवैध कटान, रेंजर-बीट प्रभारी पर मिलीभगत के आरोप, वन विभाग मौन

सोहगी बरवां वन्यजीव प्रभाग में 500 पेड़ों का अवैध कटान, रेंजर-बीट प्रभारी पर मिलीभगत के आरोप, वन विभाग मौन

महराजगंज। जिले के निचलौल रेंज अंतर्गत सोहगी बरवां वन्यजीव प्रभाग के कलनहीं बीट में नदी किनारे लगभग 500 पेड़ों के बड़े पैमाने पर अवैध कटान का मामला उजागर हुआ है। सूत्रों के अनुसार, इस कटान के पीछे रेंजर सुनील राव, बीट प्रभारी, फारेस्टर रविंद्र प्रसाद और लकड़ी माफियाओं की मिलीभगत बताई जा रही है।

जानकारी के मुताबिक, रेंजर सुनील राव का घर कुशीनगर जनपद में है और आरोप है कि वह हर वर्ष हजारों कीमती पेड़ों को कटवाकर नदी मार्ग से भेडिहारी, खड्डा समेत कई स्थानों तक पहुंचवाते हैं। इन स्थानों से लकड़ी को आगे विभिन्न बाजारों में करोड़ों रुपये में बेचा जाता है। सूत्र बताते हैं कि लकड़ी की यह तस्करी नाव और ट्रैक्टर-ट्रॉली, पिकअप के माध्यम से होती है,और दिखाई के लिए विभागीय चौकसी की बात कही जाती है।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस अवैध कटान में केवल बीट प्रभारी और रेंजर ही नहीं, बल्कि वन्यजीव प्रभाग के कुछ आला अधिकारी भी बराबर के हिस्सेदार हैं। यही वजह है कि नीचे से लेकर शासन स्तर तक शिकायत पहुंचने के बाद भी किसी तरह की ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती। राजनीतिक पकड़ के चलते रेंजर सुनील राव हर बार बच निकलते हैं, और कार्रवाई का दिखावा मात्र होता है।

ग्रामीणों का कहना है कि यह कोई पहला मामला नहीं है। मीडिया कई बार इनके कथित काले कारनामों और विभागीय सेटिंग के खेल का खुलासा कर चुका है। लेकिन हर बार मामला मोटी रकम के लेन-देन से सुलटा दिया जाता है, और शिकायत करने वालों को झूठा साबित करने की कोशिश की जाती है। कई बार तो शिकायतकर्ताओं को डराया-धमकाया जाता है या उन पर दबाव डालकर मामले से पीछे हटने के लिए मजबूर किया जाता है।

इस बार भी जब अवैध कटान की खबर फैली तो क्षेत्र में चर्चा होने लगी कि मामले को दबाने के प्रयास शुरू हो गए हैं। बताया जा रहा है कि कुछ अधिकारी और स्थानीय दलाल मिलकर मीडिया की खबरों को गलत साबित करने और कटान के सबूतों को मिटाने में जुट गए हैं।

 

इस गंभीर मामले पर वन विभाग का पक्ष जानने के लिए रिपोर्टर ने डीएफओ निरंजन सुर्वे के मोबाइल नंबर पर बार-बार संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनका फोन रिसीव नहीं हुआ। इस कारण विभागीय पक्ष खबर में सम्मिलित नहीं हो सका।

पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि सोहगी बरवां वन्यजीव प्रभाग अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र है, जहां कई दुर्लभ वन्यजीव प्रजातियां पाई जाती हैं। यहां बड़े पैमाने पर कटान न केवल पारिस्थितिकी संतुलन को बिगाड़ेगा, बल्कि आने वाले वर्षों में यहां के जंगलों के अस्तित्व पर भी संकट खड़ा कर देगा।

स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों ने मुख्यमंत्री और राज्य के वन मंत्री से मांग की है कि मामले की स्वतंत्र उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए और दोषियों को राजनीतिक संरक्षण से मुक्त कर कठोर दंड दिया जाए। साथ ही, जंगलों में CCTV निगरानी, ड्रोन सर्वे और नियमित निरीक्षण जैसी ठोस व्यवस्थाएं लागू की जाएं, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लग सके।