मनरेगा फंड में धांधली: बिना एनओसी के कराए गए कार्य, ग्राम प्रधान और रोजगार सेवक पर गम्भीर आरोप

मनरेगा फंड में धांधली: बिना एनओसी के कराए गए कार्य, ग्राम प्रधान और रोजगार सेवक पर गम्भीर आरोप

महराजगंज, 16 अगस्त 2025।
जनपद महराजगंज के विकास खण्ड निचलौल क्षेत्र में मनरेगा के तहत भारी वित्तीय अनियमितताओं का मामला प्रकाश में आया है। ग्राम पंचायत गिरहिया में ग्राम प्रधान और ग्राम रोजगार सेवक की मिलीभगत से बिना संबंधित विभाग की अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लिए लाखों रुपये का कार्य कराए जाने और फर्जी उपस्थिति दर्ज कर भुगतान निकालने का आरोप लगा है।

उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार, मानदेय राशि व मजदूरी भुगतान की आड़ में  मजदूरों के नाम पर कुल ₹3,77,676 की धनराशि खर्च दिखायी गयी है। आश्चर्यजनक यह है कि भुगतान पोस्ट ऑफिस, पंजाब नेशनल बैंक, पुर्वांचल ग्रामीण बैंक, बाडोदरा यूपी बैंक और यूनियन बैंक जैसे विभिन्न बैंकों में खातों में सीधे “क्रेडिटेड” दर्ज किया गया है। परन्तु हकीकत यह है कि वास्तविक मजदूरों को इस काम का कोई पारिश्रमिक नहीं मिला।

जांच में यह भी सामने आया है कि उपस्थिति रजिस्टर में 10-10 दिन की हाजिरी सभी के नाम पर दर्ज की गई है, जबकि मौके पर कार्य कराए जाने का कोई प्रमाण नहीं मिला। मजदूरों की सूची में जानी-मानी ग्रामीण महिलाओं के नाम लिखकर उनके खातों में राशि भेजी गई है। कई मजदूरों के हस्ताक्षर या अंगूठे के निशान तक संदिग्ध हैं।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि बिना एनओसी के यह कार्य कैसे पास हुआ?
खण्ड विकास अधिकारी (बीडीओ) निचलौल ने पहले ही स्पष्ट आदेश जारी किया था कि नहर पटरी, नालों या अन्य विभागीय सम्पत्ति पर कोई कार्य बिना सिंचाई विभाग की अनुमति (एनओसी) के नहीं कराया जाएगा। सिंचाई विभाग ने अपने पत्र संख्या 1485 व 1486 दिनांक 11 जून 2025 में स्पष्ट किया था कि मनरेगा फंड से कार्य तभी किया जाए, जब संबंधित विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त हो।

बावजूद इसके, ग्राम पंचायत सचिव, तकनीकी सहायक और रोजगार सेवक ने नियमों की अनदेखी कर मनरेगा फंड का गमन कर लिया। यह सीधा-सीधा नियम उल्लंघन और वित्तीय कदाचार है।

ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान और रोजगार सेवक ने मिलीभगत करके केवल कागजों पर कार्य दिखाकर पूरी राशि अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर हड़प ली। ग्राम पंचायत सचिव ने भी इस मामले में चुप्पी साध रखी है।

खण्ड विकास अधिकारी निचलौल ने सभी ग्राम पंचायतों को चेतावनी देते हुए निर्देश दिया है कि भविष्य में बिना एनओसी के किसी भी प्रकार का कार्य कराने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत सचिव, तकनीकी सहायक और रोजगार सेवक की होगी। ऐसे मामलों में संबंधित अधिकारियों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

अब ग्रामीणों की मांग है कि इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच करायी जाए और दोषी ग्राम प्रधान, रोजगार सेवक तथा संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए ताकि मनरेगा जैसी ग्रामीण रोजगार योजना का वास्तविक लाभ गरीब मजदूरों तक पहुँच सके।

यह मामला दर्शाता है कि किस प्रकार पारदर्शिता की कमी और विभागीय मिलीभगत से मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है। यदि समय रहते शासन-प्रशासन ने सख्त कदम नहीं उठाए तो ऐसे फर्जीवाड़े भविष्य में भी ग्रामीण विकास योजनाओं की जड़ों को खोखला करते रहेंगे।