निचलौल की ज़मीन पर भूमाफियाओं का कब्ज़ा और प्रशासन की चुप्पी
उत्तर प्रदेश के महाराजगंज ज़िले के निचलौल क्षेत्र में नगर पंचायत की ज़मीन पर अवैध कब्ज़े का मामला लगातार गंभीर रूप लेता जा रहा है। राजस्व विभाग की वेबसाइट पर दर्ज अभिलेख बताते हैं कि खाता संख्या 01842 तथा प्लॉट संख्या 2111 (क्षेत्रफल 0.0490 हेक्टेयर) सहित कई भूखंड वर्षों से निगरानी में दर्ज हैं। इनका उपयोग किसी निजी निर्माण या बिक्री के लिए नहीं होना चाहिए। इसके बावजूद, जमीनी हकीकत यह है कि इन भूखंडों पर भूमाफियाओं और प्रभावशाली लोगों ने पक्के मकान, दुकानें और व्यावसायिक ढांचे खड़े कर दिए हैं।
यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि यह वेबसाइट राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) द्वारा तैयार की गई है और उत्तर प्रदेश राजस्व विभाग के अधीन संचालित होती है। इसका उद्देश्य लोगों को उनकी ज़मीन से जुड़े रिकॉर्ड की पारदर्शी जानकारी देना है। लेकिन जब रिकॉर्ड में दर्ज जानकारी पर प्रशासन कार्रवाई ही न करे, तो यह पूरी व्यवस्था केवल दिखावे तक सीमित रह जाती है।
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि इन जमीनों पर कब्ज़ा सिर्फ़ भूमाफिया ही नहीं, बल्कि निचलौल नगर पंचायत के वार्ड नंबर 4 के सभासद और उनके सहयोगियों द्वारा भी किया गया है। करोड़ों रुपए मूल्य की यह भूमि धीरे-धीरे निजी संपत्ति में बदल दी गई, जबकि यह पूरी तरह से सार्वजनिक और सरकारी नियंत्रण में रहनी चाहिए थी।
यह स्थिति ग्रामीण स्तर पर भ्रष्टाचार और प्रशासनिक उदासीनता की पोल खोलती है। जब जिम्मेदार ही कब्ज़ा करने वालों में शामिल हों, तो आम नागरिकों को न्याय मिलने की उम्मीद कैसे की जा सकती है? अब ज़रूरी है कि जिला प्रशासन और राजस्व विभाग इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराए, कब्ज़ाधारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करे और सरकारी ज़मीन को मुक्त कराए। अन्यथा, निचलौल की यह समस्या भविष्य में और विकराल रूप धारण कर सकती है।