बरवा द्वारिका प्रकरण में पुलिस-प्रशासन की पक्षपातपूर्ण कार्रवाई से आक्रोश, पूर्वांचल किसान यूनियन ने दी आंदोलन की चेतावनी

बरवा द्वारिका प्रकरण में पुलिस-प्रशासन की पक्षपातपूर्ण कार्रवाई से आक्रोश, पूर्वांचल किसान यूनियन ने दी आंदोलन की चेतावनी

नगर पालिका परिषद सिसवा बाज़ार के अंतर्गत बरवा द्वारिका गांव में अवैध संबंधों से उपजा विवाद अब राजनैतिक रंग ले चुका है। गांववासियों का आरोप है कि सिसवा कस्बे का एक व्यक्ति अपनी महिला मित्र से अवैध रूप से मिलने बरवा द्वारिका आता-जाता था। इस आचरण से ग्रामीण नाराज़ थे और पहले भी उसे पकड़कर विरोध जता चुके थे। उस समय गांव के ही संभ्रांत व सम्मानित व्यक्ति अरविंद सिंह ने हस्तक्षेप कर मामले को शांत कराया था।

मगर, चर्चा है कि वह व्यक्ति अपनी आदतों से बाज नहीं आया और पुनः महिला मित्र से मिलने पहुंचा। इस पर एक बार फिर विवाद बढ़ा और गांव का माहौल बिगड़ गया। संयोग से अरविंद सिंह ने दोबारा बीच-बचाव किया, किंतु महिला मित्र का दीवाना अरविंद सिंह को धमकी देते हुए कह गया कि वे अपने ग्रामीणों को समझा दें, अन्यथा गंभीर परिणाम भुगतना होगा।

राजनीतिक संरक्षण का आरोप

मामला बढ़ने पर यह प्रकरण कोठीभार थाना पहुंचा। ग्रामीणों का गंभीर आरोप है कि सिसवा विधायक प्रेम सागर पटेल और थाना प्रभारी कोठीभार ने उक्त व्यक्ति से मोटी रकम लेकर पूरी घटना को मैनेज कर लिया। इसके बाद पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए गांव के निर्दोष और सम्मानित व्यक्ति अरविंद सिंह व उनके परिवार पर ही उत्पीड़न शुरू कर दिया।

ग्रामीणों का कहना है कि विधायक के इशारे पर थानाध्यक्ष ने कई बार शांति भंग की धाराओं में चालान कर अरविंद सिंह व उनके परिजनों को परेशान किया। इतना ही नहीं, एसडीएम निचलौल नंद प्रकाश मौर्य भी इस मामले में पक्षपातपूर्ण भूमिका निभाते दिखे। आरोप है कि वे लगातार विधायक से बात करते रहे और उतावलेपन में अरविंद सिंह के भाई को जेल भेजने में अहम भूमिका निभाई। इस पक्षपातपूर्ण रवैये से लोगों में भारी आक्रोश है।

जनता का गुस्सा और पूर्वांचल किसान यूनियन की चेतावनी

इस घटनाक्रम से पूरे क्षेत्र में असंतोष फैल गया है। ग्रामीणों का कहना है कि निर्दोष को फंसाना और अपराधी को बचाना न्याय व्यवस्था की धज्जियां उड़ाने जैसा है। इसी बीच पूर्वांचल किसान यूनियन खुलकर मैदान में उतर आई है।

संगठन के अध्यक्ष एवं महाराजगंज के पूर्व सांसद कुंवर अखिलेश सिंह ने प्रशासन को दो टूक चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि यदि शासन-प्रशासन ने अपनी आदतें नहीं बदलीं और राजनैतिक दबाव में निर्दोषों का उत्पीड़न जारी रखा तो यूनियन सड़कों पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेगी। उन्होंने साफ कहा कि इसके लिए पूर्ण जिम्मेदारी शासन और महाराजगंज प्रशासन की होगी।

संगठन के संस्थापक सदस्य घनश्याम शुक्ला ने भी चेताया कि बरवा द्वारिका प्रकरण की निष्पक्ष जांच अनिवार्य है। यदि ऐसा नहीं किया गया तो यह लड़ाई अब आर-पार की होगी।

विधायक पर गंभीर आरोप, अवैध सम्पत्ति का मामला भी उछला

इस पूरे प्रकरण में ग्रामीणों और यूनियन नेताओं ने विधायक प्रेम सागर पटेल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि विधायक ने एक चरित्रहीन व्यक्ति का साथ सिर्फ उसके अवैध धन के कारण दिया। जिस व्यक्ति के पक्ष में विधायक खड़े हैं, उस पर आरोप है कि उसने अपार संपत्ति अर्जित की है और फर्म त्रिपति गैलेक्सी के माध्यम से बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की है।

ग्रामीणों के अनुसार, इस सम्पत्ति अर्जन में कई अनियमितताएँ की गईं —
① जिला अधिकारी के आदेश से किसानों का नाम खारिज कर ताल जहदा दर्ज किया गया।
② किसानों के नाम से एफआईआर दर्ज कराई गई, जिसमें 6 एकड़ जमीन इनकी भी शामिल है।
③ जीडीए द्वारा बाउंड्रीवाल गिराए जाने की खबर अखबारों में प्रकाशित हुई, जिसकी छायाप्रति भी मौजूद है।

निष्पक्ष जांच की मांग

पूर्वांचल किसान यूनियन और ग्रामीणों की मांग है कि इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। उनका कहना है कि जब जनप्रतिनिधि स्वयं गलत व्यक्तियों का संरक्षण करने लगें और पैसे के लिए जनता की अनदेखी करें, तो जनता का विश्वास ऐसे नेताओं से उठ जाता है और उनकी राजनीति समाप्त हो जाती है।

👉 बरवा द्वारिका प्रकरण अब महज एक गांव की समस्या नहीं रह गया है, बल्कि पूरे जनपद में चर्चा का विषय बन गया है। लोग बेसब्री से देख रहे हैं कि क्या प्रशासन निष्पक्ष कार्रवाई करता है या फिर भ्रष्टाचार और राजनीतिक दबाव में न्याय की बलि चढ़ा दी जाएगी।

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