निचलौल ब्लॉक में सचिवों की मनमानी तैनाती, आदेशों पर हावी “पैसे का खेल”
लंबे समय से एक ही ब्लॉक में जमे सचिव, मनचाहे क्लस्टर पर हो रही तैनाती, भ्रष्टाचार और मिलीभगत के आरोप तेज
महराजगंज। शासन द्वारा जारी आदेशों और जिलाधिकारी महोदय के अनुमोदन के बावजूद निचलौल ब्लॉक में ग्राम पंचायत सचिवों की तैनाती में जमकर मनमानी और भ्रष्टाचार का खेल सामने आ रहा है। जिला पंचायत राज अधिकारी द्वारा जारी कार्यालय आदेश में स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि सचिव अपने क्लस्टर की ग्राम पंचायतों का चार्ज समयबद्ध ढंग से ग्रहण करें और शासन की प्राथमिकताओं को सुनिश्चित करें। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया था कि चार्ज का हस्तांतरण एक सप्ताह के भीतर अनिवार्य रूप से किया जाए, अन्यथा संबंधित सचिवों पर अनुशासनिक एवं विधिक कार्रवाई होगी।
लेकिन हकीकत आदेशों से बिल्कुल उलट है। वर्षों से निचलौल ब्लॉक में जमे सचिवों को मनचाहे क्लस्टर पर तैनाती मिल रही है। सबसे चौंकाने वाला उदाहरण एक सेक्रेटरी है, जो लगभग 24 वर्षों से निचलौल ब्लॉक में कार्यरत हैं और इस बार भी आदेशों के बावजूद अपने पुराने क्लस्टर पर ही भेजे गए हैं। यही नहीं, भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में घिरे और निलंबित हो चुके राजीव रामचन्द्र को कुछ समय नौतनवा ब्लॉक भेजने के बाद पुनः निचलौल ब्लॉक में तैनाती दे दी गई।
स्थानीय लोगों और ग्राम प्रधानों का आरोप है कि यह सब भारी भरकम रकम के लेन-देन के कारण हो रहा है। सचिवों को मनचाही पोस्टिंग देने का खेल ब्लॉक स्तर पर लंबे समय से चल रहा है। शासनादेश और पारदर्शिता की बातें कागजों तक सीमित रह गई हैं जबकि जमीनी हकीकत में सचिव और अधिकारी मिलकर ब्लॉक को “सेटिंग-गेटिंग” का अड्डा बना चुके हैं।
निचलौल ब्लॉक में वर्षों से डटे कुछ सचिव अपने प्रभाव और पहुंच के दम पर ट्रांसफर आदेशों को भी “कागजी खानापूर्ति” बना चुके हैं। सवाल यह है कि जब शासनादेश में स्पष्ट लिखा है कि किसी भी सचिव को लंबे समय तक एक ही ब्लॉक में नहीं रखा जाएगा, तो फिर इन मामलों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और उन अधिकारियों की भूमिका भी उजागर हो जो मोटी रकम लेकर सचिवों को मनचाहा क्लस्टर दे रहे हैं। यह मामला केवल आदेशों की अवहेलना नहीं बल्कि ग्रामीण विकास और पंचायतों की पारदर्शिता पर सीधा प्रहार है।
अगर समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो निचलौल ब्लॉक “भ्रष्टाचार और मनमानी तैनाती” का केंद्र बनकर शासन की साख पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करेगा।