महराजगंज में प्रधानाध्यापक नियुक्तियों पर दोहरा रवैया!

महराजगंज में प्रधानाध्यापक नियुक्तियों पर दोहरा रवैया!

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एक जैसे मामलों में अलग-अलग आदेश, शिक्षा विभाग पर उठे सवाल

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महराजगंज। जनपद के बेसिक शिक्षा विभाग में प्रधानाध्यापक नियुक्तियों को लेकर दो अलग-अलग मामलों में जारी किए गए आदेशों ने विभागीय कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, एक ही प्रकार की शिकायत और जांच रिपोर्ट होने के बावजूद, जिले में दो तरह का रवैया अपनाकर आदेश जारी किए गए। इससे न केवल पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है, बल्कि यह आशंका भी गहराई है कि विभागीय अधिकारी कहीं न कहीं “पसंदीदा व्यक्तियों” को संरक्षण देने का काम कर रहे हैं।

मामला पहला: मिठौरा बाजार विद्यालय

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी महराजगंज द्वारा 22 अगस्त, 2025 को पंचायत पूर्व माध्यमिक विद्यालय, मिठौरा बाजार में कार्यरत प्रधानाध्यापक श्री दुर्गेश कुमार पाण्डेय की नियुक्ति को अवैध ठहराते हुए उनका वेतन तत्काल प्रभाव से रोकने का आदेश जारी किया गया। आदेश में कहा गया कि श्री पाण्डेय की नियुक्ति सेवा नियमावली के अनुरूप नहीं है, उनका अनुभव प्रमाणपत्र मान्य नहीं है और उनकी आयु नियुक्ति के समय निर्धारित सीमा से कम थी।
इसके आधार पर प्रबन्धक को निर्देशित किया गया कि तत्कालीन अनुमोदन समाप्त करने का प्रस्ताव एक सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करें।

मामला दूसरा: खोरिया बाजार विद्यालय

इसके विपरीत, वर्ष 2021 में इसी प्रकार के प्रकरण में सावित्री आदर्श लघु माध्यमिक विद्यालय, खोरिया बाजार में कार्यरत प्रधानाध्यापक श्री गिरिजेश कुमार मिश्र के मामले में तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ओम प्रकाश यादव ने न केवल उनका वेतन रोका बल्कि उनके नियुक्ति अनुमोदन को भी तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया। आदेश में स्पष्ट उल्लेख किया गया कि विद्यालय 2001 में उच्चीकृत हो चुका था और शासनादेश 2009 के अनुसार उच्चीकृत विद्यालयों में प्रधानाध्यापक का पद भरा ही नहीं जा सकता। इसके बावजूद 2011 में नियुक्ति दी गई, जो पूर्णतया नियम विरुद्ध थी।

दोहरे मानक पर उठे सवाल

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि दोनों मामलों में नियुक्तियां नियमों के विरुद्ध थीं, तो कार्रवाई की प्रकृति भी समान होनी चाहिए थी। लेकिन एक मामले में केवल प्रस्ताव मांगा गया और वेतन रोका गया, जबकि दूसरे मामले में अनुमोदन को तत्काल निरस्त कर दिया गया। इससे स्पष्ट है कि महराजगंज शिक्षा विभाग में निर्णय किसी ठोस नियमावली के बजाय व्यक्तियों और दबावों के आधार पर लिए जा रहे हैं।

स्थानीय शिक्षकों में नाराजगी

स्थानीय शिक्षकों और अभिभावकों में भी इस दोहरे रवैये को लेकर नाराजगी है। उनका कहना है कि अगर विभाग नियमों का पालन करता है तो सभी पर समान कार्रवाई होनी चाहिए। एक जैसे मामलों में अलग-अलग आदेश जारी करना भ्रष्टाचार और पक्षपात की बू देता है।

अब देखना यह होगा कि शासन और उच्च स्तर पर बैठे अधिकारी इन मामलों का संज्ञान लेकर महराजगंज शिक्षा विभाग में व्याप्त इस “दोहरे मानक” की जांच कराते हैं या नहीं।

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